रुहेलखंड के पहले अर्जुन, हमारे सिमरनजीत

पीलीभीतजेएनएन हाकी के नायक सिमरनजीत सिंह ने एक और सफलता प्राप्त की है। रुहेलखंड में वह पहले ऐसे खिलाड़ी हैंजिन्होंने अर्जुन खेल पुरस्कार प्राप्त का श्रेय पाया है। टोक्यो ओलिंपिक पुरुष हाकी में चार दशक बाद पदक जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस खिलाड़ी की उपलब्धि पर तराई का जिला अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। खेल जगत के प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। इसकी सूचना मिलने के बाद से उनके गांव मझारा फार्म में तो जश्न का माहौल है। सिमरनजीत बुधवार की रात में बेंग्लुरू से घर आ गए। ऐसे में परिवार की खुशी दोगुनी हो गई। दादी गुरमीत कौर ने पौत्र को गले से लगा लिया। माता-पिता और छोटे भाई को भी इस उपलब्धि पर गर्व है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 11:11 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 11:11 PM (IST)
रुहेलखंड के पहले अर्जुन, हमारे सिमरनजीत
रुहेलखंड के पहले अर्जुन, हमारे सिमरनजीत

पीलीभीत,जेएनएन : हाकी के नायक सिमरनजीत सिंह ने एक और सफलता प्राप्त की है। रुहेलखंड में वह पहले ऐसे खिलाड़ी हैं,जिन्होंने अर्जुन खेल पुरस्कार प्राप्त का श्रेय पाया है। टोक्यो ओलिंपिक पुरुष हाकी में चार दशक बाद पदक जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस खिलाड़ी की उपलब्धि पर तराई का जिला अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। खेल जगत के प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। इसकी सूचना मिलने के बाद से उनके गांव मझारा फार्म में तो जश्न का माहौल है। सिमरनजीत बुधवार की रात में बेंग्लुरू से घर आ गए। ऐसे में परिवार की खुशी दोगुनी हो गई। दादी गुरमीत कौर ने पौत्र को गले से लगा लिया। माता-पिता और छोटे भाई को भी इस उपलब्धि पर गर्व है।

सिमरनजीत में हाकी के प्रति बचपन से ही जुनून रहा है। मां मंजीत कौर बताती हैं कि उनका यह बड़ा बेटा बचपन में बहुत शरारत करता था। जिद करके पिता से हाकी और गेंद मंगवा ली थी। घर के बाहर और खेत पर हाकी खेला करता था। जब उनके साथ बरेली जिले के बहेड़ी क्षेत्र में ननिहाल जाता, तो अपनी हाकी और गेंद साथ ले जाना नहीं भूलता। वर्ष 2006 में पंजाब से उसके ताऊ रक्षपाल सिंह घर आए थे। उन्होंने जब बालक सिमरनजीत में हाकी के प्रति अधिक लगाव देखा तो अपने साथ लेकर चले गए, इसके बाद सिमरनजीत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पंजाब में हाकी का प्रशिक्षण लिया। यहीं से प्रतियोगिताओं में भागीदारी शुरू कर दी, उसकी मेहनत और लगन से सफलता कदम चूमने लगी। देखते ही देखते वह भारतीय जूनियर हाकी टीम में चुन लिया गया। देश-विदेश में कई मैच खेले और बेहतर प्रदर्शन की बदौलत टीम को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय सीनियर पुरुष हाकी टीम में चयनित होने का यही आधार बना। जुलाई में जापान के टोक्यो ओलिंपिक के लिए भारतीय पुरुष हाकी टीम में भी सिमरनजीत का चयन हुआ। कई दशकों बाद टोक्यो ओलिंपिक के पुरुष हाकी में भारत को पदक प्राप्त हो सका। उसमें भी सिमरनजीत के प्रदर्शन की सराहना की गई। टोक्यो ओलिंपिक से लौटने के कुछ दिन बाद ही सिमरनजीत यहां अपने घर आए थे। तब शहर से लेकर गांव मझारा फार्म तक उनका ऐतिहासिक स्वागत हुआ था। अब अर्जुन पुरस्कार के लिए चयनित किए जाने के बाद सिमरनजीत एक बार फिर अपने परिवार के बीच पहुंच चुके हैं। छोटा भाई अर्शजीत सिंह भी दीपावली मनाने के लिए आस्ट्रेलिया से आ चुके हैं। पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। अर्जुन पुरस्कार के लिए चयनित होने पर परिवार में जश्न का माहौल है। सभी ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर इस खुशी को साझा किया। माता मंजीत कौर और पिता इकबाल सिंह को बेटे की उपलब्धि पर गर्व है।

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इनसेट

फैक्ट फाइल नाम- सिमरनजीत सिंह

मझोला क्षेत्र के मझारा फार्म निवासी

मझारा फार्म पर जन्म- 1997

नर्सरी शिक्षा- सेंट पैट्रिक स्कूल मझोला-2001

पांचवीं तक पढ़ाई- एसके पब्लिक स्कूल मझोला- 2002-3

पीलीभीत के बेनहर पब्लिक स्कूल-2005

हाकी के प्रशिक्षण के लिए पंजाब रवाना-2006 (अपने ताऊ रक्षपाल सिंह के साथ)

मां-मंजीत कौर

पिता-इकबाल सिंह

मंजीत कौर के मुताबिक बचपन में बड़ा शरारती रहा। जिद करके पिता से हाकी और गेंद मंगवाई थी।

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