प्रोटीन के नाम पर लकवे की खुराक बनी खेसारी

दालों को प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत माना जाता है। लोगों के इस भरोसे की आड़ में मिलावट हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Sep 2018 11:16 PM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 11:16 PM (IST)
प्रोटीन के नाम पर लकवे की खुराक बनी खेसारी
प्रोटीन के नाम पर लकवे की खुराक बनी खेसारी

पीलीभीत : दालों को प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत माना जाता है। लोगों के इस भरोसे की आड़ में मिलावट खोर उनकी थाली में पहुंचा रहे हैं लकवा जैसी घातक बीमारी की खुराक। अरहर और चना दाल में खेसारी की मिलावट करके। जिले में बड़े पैमाने पर मिलावटखोर सक्रिय हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग ने जांच अभियान चलाया तो अब तक 50 क्विंटल खेसारी दाल पकड़ी जा चुकी है।

प्रतिबंध के बावजूद मिलावट

खेसारी दाल के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव के कारण सरकार से इसकी बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध है। फिर भी ऐसे अधिक मुनाफे के चक्कर में दुकानदार जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ से नहीं चूक रहे। शासन ने खाद्य सुरक्षा विभाग को दुकानों और थोक व्यापारियों के प्रतिष्ठानों पर चेकिंग के चेकिंग अभियान के आदेश दिए हैं।

अब तक पकड़ी गई 50 किलो मिलावटी दाल

खाद्य सुरक्षा विभाग की टीमें अब तक तीन दुकानों पर 50 किलो से अधिक खेसारी दाल पकड़ चुकी हैं। शहर की एक दुकान से 25 किलो, नगर क्षेत्र की ही दो अन्य दुकान से 15 व 16 किलो दाल मिलावटी मिली। परीक्षण के लिए इनके सैंपल लैबोरेटरी भिजवाए गए हैं। रिपोर्ट में खेसारी की पुष्टि होने पर दुकानदारों के खिलाफ एडीएम कोर्ट में मुकदमा चलेगा।

वर्जन..

खेसारी की दाल पर शासन से प्रतिबंध है। इसके नियमित सेवन करने से शरीर में अपंगता आ सकती है। इसका रंग चटख पीला होता है। दानों का आकार भी अनियमित होता है। उपभोक्ता भी सजग रहें। दुकान पर देखें कि दाल के दाने ज्यादा पीले और टेढ़े-मेढ़े तो नहीं हैं। विभाग भी नियमित चेकिंग करा रहा है।

विजय कुमार वर्मा, अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन

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