जिले में 14 गोशालाओं का होगा निर्माण

जिले में कोई गोवंशीय पशु बेसहारा न रह जाए इसके लिए 14 नई गोशालाओं का निर्माण कराया जाएगा। सड़कों व खेत-खलिहान में बेसहारा घूमने वाले गोवंशीय को नई बनने वाली गोशालाओं में पहुंचाया जाएगा। अभी तक जिले में कुल 29 गोशालाएं संचालित हो रही हैं। करीब 3000 गोवंशीय पशुओं को आश्रय मिला है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 04 Dec 2020 01:04 AM (IST) Updated:Fri, 04 Dec 2020 01:04 AM (IST)
जिले में 14 गोशालाओं का होगा निर्माण
जिले में 14 गोशालाओं का होगा निर्माण

पीलीभीत,जेएनएन : जिले में कोई गोवंशीय पशु बेसहारा न रह जाए , इसके लिए 14 नई गोशालाओं का निर्माण कराया जाएगा। सड़कों व खेत-खलिहान में बेसहारा घूमने वाले गोवंशीय को नई बनने वाली गोशालाओं में पहुंचाया जाएगा। अभी तक जिले में कुल 29 गोशालाएं संचालित हो रही हैं। करीब 3000 गोवंशीय पशुओं को आश्रय मिला है।

पिछले वर्षों में तराई के इस जिले में गोवंशीय पशुओं की समस्या शहर से लेकर गांवों तक काफी अधिक रही। बेसहारा पशुओं के झुंड सड़कों पर यातायात के लिए समस्या बनते रहे और गांवों में किसानों की फसलों को इनसे नुकसान पहुंचता रहा। विभिन्न गांवों में इन पशुओं के हमले में कई लोगों की मौत हो गई। कई अन्य लोग घायल हुए। तब पूरे जिले में सिर्फ दो गोशालाएं संचालित थीं। देवीपुरा और भरा पचपेड़ा, इन दोनों गोशालाओं में चारा-पानी का भी समुचित इंतजाम नहीं रहता था। समस्या बढ़ने पर शासन ने गोशालाओं की संख्या बढ़ाने और इसके लिए बजट देने का एलान किया तो नई गोशालाएं बनने लगीं। साथ ही गोशालाओं की हालत में भी सुधार किया गया। डीएम पुलकित खरे के व्यक्तिगत रुचि लेने के चलते गोशालाओं में पशुओं के लिए चारा-पानी का इंतजाम हो गया है। गोशालाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए गोबर से विभिन्न उत्पाद तैयार करने की जिम्मेदारी संबंधित गांवों के महिला स्वयं सहायता समूहों को दी गई है। पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में करीब एक लाख गोवंशीय पशु हैं। 3000 गोशालाओं में पल रहे। लगभग साढ़े तीन हजार अभी बेसहारा घूम रहे हैं। शेष गोवंशीय पशु लोगों के घरों व डेयरियों में पाले जा रहे हैं जो साढ़े हजार गोवंशीय पशु अभी तक बेसहारा घूम रहे हैं, उन्हें नई गोशालाओं में भेजने की व्यवस्था कराई जाएगी। इनसेट

एक वृहद गो संरक्षण केंद्र भी बनाने की योजना

जिले में शासन से 14 और गोशालाओं को बनाने की स्वीकृति प्राप्त हो गई है। स्थान चयनित करने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी, इसके साथ ही एक वृहद गो संरक्षण केंद्र भी बनाया जाना है। शासन की मंशा है कि कोई भी गोवंशीय पशु बेसहारा नहीं रहना चाहिए। इच्छुक ग्रामीणों को भी पालने के लिए गाय उपलब्ध कराई जाएगी।

डा. अखिलेश गर्ग, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी

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