ओखला पक्षी विहार के विकास के लिए करना पड़ेगा इंतजार

ओखला पक्षी विहार को पर्यटन स्थल के रूप में विकासित करने के लिए अभी कुछ महीने तक इंतजार करना पड़ेगा। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने पक्षी विहार में विकास कार्य के लिए 99 करोड़ रुपये स्वीकृत किया है। मंत्रालय ने मार्च माह में विभाग को स्वीकृत बजट में से एक करोड़ रुपये दे दिया था लेकिन चुनाव आचार संहिता के कारण इस पैसा का उपयोग नहीं किया जा सका। लिहाजा विभाग ने मिले बजट को सरेंडर कर दिया है। अब आचार संहिता समाप्त होने के बाद विभाग दोबारा मंत्रालय से पैसे की मांग करेगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 May 2019 10:05 PM (IST) Updated:Mon, 20 May 2019 10:05 PM (IST)
ओखला पक्षी विहार के विकास के लिए करना पड़ेगा इंतजार
ओखला पक्षी विहार के विकास के लिए करना पड़ेगा इंतजार

जागरण संवाददाता, नोएडा :

ओखला पक्षी विहार को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए अभी कुछ महीने तक इंतजार करना पड़ेगा। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने पक्षी विहार में विकास कार्य के लिए 99 करोड़ रुपये स्वीकृत किया है। मंत्रालय ने मार्च माह में विभाग को स्वीकृत बजट में से एक करोड़ रुपये दे दिया था, लेकिन चुनाव आचार संहिता के कारण इस पैसा का उपयोग नहीं किया जा सका। लिहाजा विभाग ने मिले बजट को सरेंडर कर दिया है। अब आचार संहिता समाप्त होने के बाद विभाग दोबारा मंत्रालय से पैसे की मांग करेगा।

यमुना नदी के किनारे स्थित ओखला पक्षी विहार को वन विभाग पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करना चाहता है। करीब पांच किमी क्षेत्रफल में फैले पक्षी विहार में हर साल हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। पिछले वर्ष यहां करीब 46 प्रजातियों के 15 हजार 650 पक्षियों की मौजूदगी दर्ज की गई थी। विभाग ने पक्षी विहार के चहुंमुखी विकास के लिए केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को 99 करोड़ रुपये की कार्य योजना का प्रस्ताव बना कर भेजा था। इसके तहत ओखला पक्षी विहार के अंदर गेस्ट हाउस, व्याख्यान केन्द्र, भव्य प्रवेश द्वार, चौड़ी सड़कें, साइकिल ट्रैक, वॉच टावर व अत्याधुनिक कैफेटेरिया के साथ झील का भी सुंदरीकरण किया जाना है। मंत्रालय ने प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान करते हुए मार्च महीने में एक करोड़ रुपये वन विभाग को जारी कर दिए थे। बजट मिलने के कुछ दिन बाद ही चुनाव आचार संहिता लग गई, जिसके चलते बजट का उपयोग नहीं किया जा सका है। प्रभागीय वनाधिकारी प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि चुनाव आचार संहिता के चलते बजट का उपयोग नहीं होने पर उसे सरेंडर कर दिया गया है। अब मंत्रालय से दोबारा बजट की मांग की जाएगी। हालांकि बजट मिलने में कुछ समय लग सकता है।

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