अधिकारियों-किसानों के बीच गतिरोध जारी, 11वें दौर की वार्ता विफल
जागरण संवाददाता नोएडा किसानों और प्राधिकरण के बीच गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रह
जागरण संवाददाता, नोएडा :
किसानों और प्राधिकरण के बीच गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है, शनिवार सेक्टर-6 स्थित नोएडा प्राधिकरण कार्यालय पर दोनों की 11वें दौर की वार्ता आयोजित हुई, लेकिन बिना किसी समझौते के वार्ता को समाप्त कर दिया गया। किसानों को बुधवार का समय देकर वापस भेज दिया। जाते-जाते किसान सेक्टर-5 स्थित हरौला बरातघर पर धरना जारी रखने और फिर से प्राधिकरण का घेराव करने का ऐलान कर गए।
बता दें कि पूरी वार्ता में किसान इस बात को लेकर अड़े रहे कि पहले किसानों की मांग का प्रस्ताव तैयार कर प्राधिकरण बोर्ड बैठक में लाकर पास करे, उसके बाद शासन के पास मंजूरी के लिए भेजा जाए लेकिन प्राधिकरण अधिकारी किसानों की मांग को सीधे शासन के पास भेजने की बात कह कर किसानों को समझाते रहे, लेकिन दोनों की ओर से इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी।
भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखवीर खलीफा ने कहा कि शासन के यहां जनवरी 2021 से मांग पत्र विचाराधीन है। वहा से अब तक कोई जवाब नहीं आया। काफी विचार के बाद किसानों ने प्राधिकरण को बुधवार तक का समय दिया है। प्राधिकरण ने कहा कि दो दिन में शासन स्तर पर मांगों को लेकर बातचीत हो जाए, उसके बाद स्पष्ट किया जाएगा। हालांकि किसानों ने चेतावनी दी कि मांगे पूरी होने तक प्रदर्शन जारी रहेगा। नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रवीण कुमार मिश्र कहा कि किसानों से बातचीत कर सीधे शासन स्तर पर मांगों को पूरा करवाने के लिए कहा गया। दोबारा से बातचीत के लिए बुधवार को बुलाया है।
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किसानों की मांग
-आबादी जहां है, जैसी है,उसको वैसे ही छोड़ा जाए।
-पांच फीसद का अतिरिक्त मुआवजा सभी किसानों को दिया जाए।
-जिनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया है, उनमें जिन लोगों को पांच फीसद का विकसित भूखंड दिया जा चुका है, लेकिन अन्य सदस्य को नहीं मिला, उन्हें लाभ में शामिल किया जाए।
-गांव की नक्शा नीति को समाप्त किया जाए।
-गांव में मकान बनाने के लिए 15 मीटर की जगह 25 मीटर का दायरा निर्धारित किया जाए।
-आबादी निस्तारण के लिए 450 मीटर का दायरा बढ़ाकर एक हजार मीटर किया जाए।
-किसानों के बच्चों को निजी कंपनियों में रोजगार दिया जाए।
-किसानों को जारी किए गए नोटिस तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाए।
-किसानों के बच्चों का निजी स्कूलों में दाखिला कराया जाए।
-निजी अस्पतालों में सस्ती दर पर किसानों के परिवार को स्वास्थ्य लाभ दिलाया जाए।