बिल्डर के खिलाफ न्याय निर्णायक अधिकारी ने सुनाया क्षतिपूर्ति देने का आदेश

जागरण संवाददाता ग्रेटर नोएडा उत्तर प्रदेश भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) लखन

By JagranEdited By: Publish:Fri, 12 Nov 2021 08:54 PM (IST) Updated:Fri, 12 Nov 2021 08:54 PM (IST)
बिल्डर के खिलाफ न्याय निर्णायक अधिकारी ने सुनाया क्षतिपूर्ति देने का आदेश
बिल्डर के खिलाफ न्याय निर्णायक अधिकारी ने सुनाया क्षतिपूर्ति देने का आदेश

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : उत्तर प्रदेश भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) लखनऊ के न्याय निर्णायक अधिकारी पीयूष चंद्र श्रीवास्तव ने शाहबेरी से जुड़े शिकायती पत्रों की सुनवाई करते हुए बिल्डर के खिलाफ क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश दिया है। सभी शिकायती पत्र शाहबेरी के जसबीर मान बिल्डर से जुड़े हुए हैं। खरीदारों का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता हरप्रीत सिंह अरोड़ा ने बताया कि न्याय निर्णायक अधिकारी ने पांच शिकायतकर्ताओं के प्रकरणों में सुनवाई करते हुए बिल्डर को 45 दिन के भीतर क्षतिपूर्ति की धनराशि शिकायतकर्ताओं को अदा करने का आदेश दिया है। निर्धारित अवधि में भुगतान न होने पर न्याय निर्णायक अधिकारी ने क्षतिपूर्ति की धनराशि पर छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाने की भी हिदायत दी है। भुगतान न होने तक ब्याज का हकदार भी शिकायतकर्ता होगा। न्याय निर्णायक अधिकारी ने शिकायतकर्ता विवेक चौधरी व विशाखा चौधरी के शिकायती पत्र पर सुनवाई करते हुए बिल्डर के खिलाफ क्षतिपूर्ति के तौर पर तीन लाख रुपये अदा करने को कहा है। साथ ही शिकायतकर्ता नूपुर पाठक को तीन लाख 75 हजार रुपये, अंगदप्रीत सिंह को चार लाख सात हजार रुपये, अरविद कुमार व अंजू देवी को दो लाख 60 हजार रुपये, जगदीप सिंह व आरती शर्मा को तीन लाख 34 हजार रुपये अदा करने को कहा है।

बता दें कि 17 जुलाई 2018 की रात दो इमारतों के धराशायी होने से नौ लोगों की दबकर मौत हो गई थी। इसके बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण शाहबेरी की इमारतों को अवैध करार देते हुए निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी। खरीदारों ने बिल्डर के खिलाफ यूपी रेरा का दरवाजा खटखटाया था। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि यूपी रेरा की पीठ में पिछले करीब एक साल से मामले लंबित थे। हारकर उन्होंने लखनऊ स्थित न्याय निर्णायक अधिकारी की कोर्ट में अर्जी दाखिल कर क्षतिपूर्ति की मांग की। शिकायतकर्ताओं ने बताया कि परियोजना वैध बताकर उन्हें फ्लैट बेचे गए। खरीदारों को फंसाने के लिए बिल्डर ने रेरा से पंजीकरण होने का भी दावा किया। इससे खरीदारों के लिए परियोजना को लेकर शक की कोई गुंजाइश नहीं बची। परियोजना का निर्माण कार्य अब भी अधर में अटका है। फ्लैट खरीदारों की लड़ाई लड़ रहे सचिन राघव ने बताया कि अवैध निर्माण में बैंकों ने भी नियमों की अनदेखी कर होमलोन कर भोलीभाली जनता को फंसाया। खरीदार दरबदर भटकने को मजबूर हैं।

chat bot
आपका साथी