बैंक खातों में मोबाइल नंबर बदलवाकर करोड़ों ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश
जागरण संवाददाता नोएडा सेक्टर-20 थाना पुलिस ने बैंक खातों में गड़बड़ी कर ठगी करने वाल
जागरण संवाददाता, नोएडा :
सेक्टर-20 थाना पुलिस ने बैंक खातों में गड़बड़ी कर ठगी करने वाले गिरोह के मास्टर माइंड और एक बैंककर्मी सहित सात आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से पुलिस ने 18 लाख 96 हजार रुपये, पांच एटीएम, 10 मोबाइल, चार फर्जी आधार कार्ड और आइ- 20 कार बरामद की है। गिरोह का सरगना करण तनेजा इसी प्रकार से धोखाधड़ी करने के मामले में पूर्व में दिल्ली से तीन बार जेल जा चुका है। गिरोह के बदमाशों को पकड़ने वाली टीम को डीसीपी की तरफ से 25 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की गई है। यह था मामला, ऐसे आए पकड़ में नोएडा जोन के डीसीपी राजेश एस के मुताबिक बीते माह सेक्टर-दो निवासी 73 वर्षीय महिला के खाते से दो से पांच लाख रुपयों के रूप में कई बार में करीब 44 लाख रुपये इंटरनेट बैंकिग का प्रयोग करते हुए निकाले गए थे। उन्होंने सेक्टर 20 थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस टीम ने बैंक के सीसीटीवी कैमरों और खाते की जानकारी लेकर मामले की जांच शुरू की। जांच में पता चला था कि दो लोग बैंक में पीड़ित महिला का फर्जी पति और बेटा बनकर पहुंचे थे। दोनों ने उनके फर्जी आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों के आधार पर उनके खाते के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर को बदलवा दिया था। जिसके बाद उन्होंने खाते में नेट बैंकिग भी एक्टिवेट करा ली थी। इसके बाद उनके खाते से धीरे-धीरे करके लगभग 44 लाख रुपये निकाल लिए। दोनों लोगों ने महिला के बैंक खाते की चेक बुक लेने के लिए भी बैंक में आवेदन किया था। गुरुवार को फर्जी बेटा बनकर आरोपित दिल्ली नरेला निवासी पवन और फर्जी पति बनकर हरियाणा के रोहतक के पटेल नगर निवासी सतीश चेक बुक लेने पहुंचा था। सूचना पर पुलिस ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने गिरोह के सरगना हरियाणा के फरीदाबाद सेक्टर-तीन निवासी करण तनेजा, गाजियाबाद लोनी निवासी बैंक कर्मचारी विकास शर्मा, दिल्ली हरीनगर निवासी तरुण महाजन, अलीगढ़ के दादो निवासी रजनीश यादव और हिमाचल प्रदेश के पालमपुर कांगडा निवासी सचिन को गिरफ्तार किया है।
--------------- फर्जी आधार कार्ड से दूसरे के खातों में रजिस्टर्ड कराते थे अपना मोबाइल नंबर पुलिस पूछताछ में पता चला है कि आरोपित लंबे समय से ठगी करने में लगे हुए हैं। जालसाजी करके फर्जी आधार कार्ड बनाते थे और कभी फर्जी खाता धारक तो कभी खाता धारक के स्वजन बनकर लोगों के बैंक खातों में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर को बदलवाकर अपना नंबर रजिस्टर्ड करा देते थे। उसके बाद ये लोग उस खाते में नेट बैंकिग कराकर आनलाइन सोना खरीदते थे और बाद में दिल्ली व आसपास के दलालों के माध्यम से सोने को बेच देते थे।