नमूने हुए बेकार, सड़कों पर धूल का गुबार

जागरण संवाददाता नोएडा जिले की सड़कें वाहन चलाने के लिए जितनी सुगम हैं स्वास्थ्य के लिए

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 09:19 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 09:19 PM (IST)
नमूने हुए बेकार, सड़कों पर धूल का गुबार
नमूने हुए बेकार, सड़कों पर धूल का गुबार

जागरण संवाददाता, नोएडा :

जिले की सड़कें वाहन चलाने के लिए जितनी सुगम हैं, स्वास्थ्य के लिए उतनी ही हानिकारक हैं। यहां अनुमानित हर सड़क पर 75 माइक्रोन से कम धूल के कण आसानी से पाए जा रहे हैं, इन्हें ऐरो डायनमिक पार्टिकल्स कहा जाता है। यह कण वाहनों की गति के साथ पहिये पर तेजी से यात्रा करते हैं फिर उड़कर वायु मंडल में एकत्र होकर नाक और मुंह के जरिये मनुष्य के फेफड़ों में जमा हो जाते हैं। इससे लोगों को अस्थमा, हृदय रोग, मानसिक अवसाद, आंखों में जलन, गंजापन व सांस लेने के लिए आक्सीजन की गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है। इतना ही नहीं त्वचा रोग भी पनपने शुरू हो जाते हैं।

लोगों को इन्हीं परेशानियों से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शहर की सड़कों पर जमा धूल की मानिटरिग कराने का काम शुरू कर विगत सात अक्टूबर को 10 सड़कों से धूल के नमूने जांच के लिए गाजियाबाद प्रयोगशाला भेजे थे। जिनका 17 अक्टूबर को परिणाम आया था। रिपोर्ट के अनुसार 10 में से 7 सड़कों पर धूल के कण 75 माइक्रोन से कम मिले थे। रिपोर्ट मिलने के बाद विभाग ने सड़कों से धूल खत्म करने का दावा किया था, लेकिन वर्तमान में हर सड़क पर धूल का गुबार उड़ते देखा जा सकता है। नतीजन, शहर में हवा गुणवत्ता सूचकांक बहुत खराब व गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। पीएम-2.5 व पीएम-10 का औसत 40 व 60 के बजाय 400 से 500 के बीच है। जो मनुष्य को बीमार बनाने के लिए काफी है।

प्राधिकरण के भरोसे यूपीपीसीबी:

जिले में ग्रेप (ग्रांडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) लागू है। इसके तहत प्रदूषण को कम करने के लिए पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने डीजल जेनरेटर समेत प्रदूषण फैलाने वाली कई चीजों पर प्रतिबंध लगा दिया है। धूल को नियंत्रित करने के लिए पानी का छिड़काव व निर्माण परियोजनाओं को सेल्फ आडिट के आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन पीसीबी के नोएडा क्षेत्रीय कार्यालय में स्टाफ का अभाव है। विभाग व्यवस्थाओं को दुरुस्त कराने के लिए प्राधिकरण के भरोसे है। क्षेत्रीय अधिकारी सड़कों पर लगातार पानी के छिड़काव का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन धरातल पर उनके दावे हवा-हवाई होते नजर आ रहे हैं। सैंपलिंग वाली सड़कों पर एक महीने बाद दोबारा धूल की मानिटरिग की जाएगी। इसके अलावा अन्य सड़कों से धूल के नमूने लेने का काम भी किया जाएगा। विभाग प्रदूषण को कम करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

- प्रवीन कुमार, क्षेत्रीय अधिकारी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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