कोरोना से स्वस्थ मरीजों के लिए प्रदूषण अधिक घातक
सर्दी के साथ प्रदूषण और कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने लगा है।
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : सर्दी के साथ प्रदूषण और कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने लगा है। जो कोरोना संक्रमित होकर ठीक (पोस्ट कोविड मरीज) हो चुके हैं, उन्हें भी विशेष सावधानी की जरूरत है। कोरोना वायरस से संक्रमितों के फेफड़ों में काफी असर पड़ता है। वहीं, प्रदूषण से इनमें सूजन (इंफ्लामेशन) बढ़ने की आशंका होती है। इससे छोटे-छोटे खून के थक्के बनने लगते हैं। यह जानलेवा साबित हो सकता है।
यथार्थ सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ सुनील कुमार ने बताया कि कोरोना का खतरा टला नहीं है। भले ही अभी संक्रमितों की संख्या कम हो रही है। बड़ी तादाद में कोरोना संक्रमित ठीक हो रहे हैं। लेकिन नवंबर व दिसंबर में कोरोना के मामले बढ़ने की आशंका है। ऐसे समय में कोरोना से ठीक हुए मरीजों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। खासकर लेवल-1 और लेवल-2 श्रेणी के मरीजों के लिए यह अधिक घातक है। इस श्रेणी के मरीजों के फेफड़े संक्रमण के कारण ठीक हालात में नहीं होते। प्रदूषण के कारण फेफड़ों में इंफ्लामेशन का खतरा होता है. इससे खून के थक्के बनने लगते हैं। इससे मौत तक हो सकती है। कोरोना संक्रमितों के लिए अभी फेफड़ों की सूजन कम करने के लिए स्टेरायड्स दवाई दी जाती है. वहीं, खून को पतला करने के लिए ब्लड थिनर दिया जाता है. ये दोनों दवाई कोरोना के मरीजों के लिए संजीवनी की तरह काम करती है। लेकिन दिक्कत पोस्ट कोविड मरीजों के साथ आती है। चिकित्सक की निगरानी में नहीं होने के कारण ये अपना ख्याल नहीं रख पाते। इनको अधिक ध्यान देने की जरूरत है.
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पोस्ट कोविड मरीजों के लिए बचाव के उपाय:-
- आक्सीजन पर हैं तो रात के समय आक्सीजन लगाकर सोएं।
- किसी भी गतिविधि के बाद करीब 30 मिनट के लिए आक्सीजन जरूर लें। चाहे उनके आक्सीजन का स्तर सामान्य ही क्यों न हो।
- फेफड़ों की सूजन कम करने के लिए एंटी फाइब्रोबाइटिक थेरेपी की डोज बढ़ा लें।
- लीवर फंक्शन की जांच कराते रहें
- फेफड़ों के व्यायाम के लिए इंसेटिव स्पाइसोमीटर (फूंक मारने का यंत्र) का उपयोग दिन में तीन बार करें।
- घर के बाहर जाने से परहेज करें।
- जरूरी होने पर मास्क पहनकर बाहर निकलें।
- आक्सीजन सिलेंडर साथ रखें।
- परेशानी होने पर चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें।