छिपाने के बजाए मिर्गी का इलाज कराए रोगी

भागदौड़ भरी जीवनशैली में मॉर्डन लाइफ स्टाइल युवाओं को मिर्गी का रोग बढ़ रहा है। समय पर इलाज न होने पर यह घातक हो सकता है। भागदौड़ भरी जीवनशैली में मॉर्डन लाइफस्टाइल युवाओं को मिर्गी का रोगी बना रहा है। शहर के कई न्यूरो सर्जन की माने तो काम को अगले दिन पर टालना, रात को देर से घर पहुंचना, धुम्रपान और तनाव से बचने के लिए शराब का सेवन करना भी मिर्गी की बीमारी का कारण बनता जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Nov 2018 12:15 AM (IST) Updated:Sat, 17 Nov 2018 12:15 AM (IST)
छिपाने के बजाए मिर्गी का इलाज कराए रोगी
छिपाने के बजाए मिर्गी का इलाज कराए रोगी

जागरण संवाददाता, नोएडा: भागदौड़ भरी जीवनशैली में मॉडर्न लाइफ स्टाइल के कारण युवाओं में मिर्गी का रोग बढ़ रहा है। समय पर इलाज न होने पर यह घातक हो सकता है। शहर के कई न्यूरो सर्जन की माने तो काम को अगले दिन पर टालना, रात को देर से घर पहुंचना, धुमपान और तनाव से बचने के लिए शराब का सेवन करना भी मिर्गी की बीमारी का कारण बनता जा रहा है।

समय पर इलाज न होने पर यह घातक रूप भी ले सकती है। न्यूरो सर्जन की मानें तो मिर्गी किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है। कुछ प्रकार की मिर्गी बचपन में होती है जो कुछ समय बाद खत्म हो जाती है। अधिकतर लोगों में भ्रम होता है कि मिर्गी रोग आनुवांशिक होता है, जबकि ऐसा नहीं है। अपवाद के तौर पर सिर्फ 2 प्रतिशत लोगों में ही ये रोग आनुवांशिक हो सकता है। चिकित्सकों की मानें तो मिर्गी अब असाध्य नहीं रह गया है। लोग नीम-हकीम या अंधविश्वास में पड़ कर इसका सही इलाज नहीं करा पाते हैं, जबकि आजकल इसके लिए प्रभावी दवाएं उपलब्ध हैं। दवाओं की असफलता पर सर्जरी या अन्य कई प्रकार विधि से मिर्गी को पूर्णतया ठीक या नियंत्रित किया जा सकता है। मिर्गी के इलाज में नई दवाएं ज्यादा कारगर साबित हो रही हैं। जिन मरीजों की दवाओं से मिर्गी ठीक नहीं हो रही है, उन्हें ऑपरेशन से ठीक किया जा सकता है।

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मिर्गी के लक्षण

-अचानक से बेहोश हो जाना

-तेज रोशनी से आंखों में परेशानी होना

-बात करते हुए दिमाग का सुन्न होना

-अचानक से मांसपेशियों पर नियंत्रण खो देना

-शरीर के किसी अंग की मांसपेशियों का अचानक फड़कना

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मिर्गी के प्रमुख कारण

- सिर पर चोट लगना

- दिमागी बुखार आना

- ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन स्ट्रोक

- दिमाग में कीड़े की गांठ बनना

- शराब या नशीली दवाइयों का ज्यादा इस्तेमाल करना

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अगर किसी को दौरा आता है तो रखे इन बातों का ध्यान

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- रोगी को सुरक्षित जगह पर एक करवट लेटा दें

- कपड़े ढीले करें

- खुली हवा में रखें और आसपास भीड़ न लगाएं

- सिर के नीचे मुलायम कपड़ा रखें

- मिर्गी के दौरे के समय रोगी के मुंह में कुछ न डाले

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मिर्गी का दौरा आना एक मेडिकल इमरजेंसी है। दौरे पड़ने की स्थिति में मरीज का सीटी स्कैन, एमआरआई एवं ईइजी कराकर मिर्गी के कारण एवं प्रकार सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

डॉ. राकेश कुमार, न्यूरोलॉजिस्ट, प्रकाश अस्पताल

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यह अनुवांशिक रोग नहीं है। सिर्फ 2.24 फीसदी में ही अनुवांशिक होता है। यह रोग किसी को भी हो सकता है। मिर्गी वाले रोगी को स्वी¨मग, ड्राइ¨वग, से बचना चाहिए।

डॉ. विशाल जैन, न्यूरो सर्जन, यथार्थ अस्पताल

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ब्रेन ट्यूमर की वजह से भी मिर्गी हो सकती है। इसमें ब्रेन विद्युत गातिविधियों की जांच इलेक्ट्रोइन्सेफेलोग्राम (ईइजी) के द्वारा होती है। सर्जरी से पहले ब्रेन की एमआरआई की जानी चाहिए। अगर ब्रेन में कोई ट्यूमर मिलता है। तो एमआरआई स्पेक्ट्रोस्कोपी की जानी चाहिए, जिससे ये पता चलता है कि यह ट्यूमर कैंसर का है या नहीं।

डॉ. पुनीत गुप्ता, डॉयरेक्टर ऑन्कोलाजी सर्विस, मेट्रो अस्पताल

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