पाकिस्तानी फौज को पीठ दिखाने के लिए कर दिया था विवश

मनीष तिवारी ग्रेटर नोएडा धोखा गद्दारी वादाखिलाफी पाकिस्तानी फौज पिछले लंबे समय से इन विश

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 Aug 2020 07:10 PM (IST) Updated:Tue, 11 Aug 2020 07:10 PM (IST)
पाकिस्तानी फौज को पीठ दिखाने के लिए कर दिया था विवश
पाकिस्तानी फौज को पीठ दिखाने के लिए कर दिया था विवश

मनीष तिवारी, ग्रेटर नोएडा

धोखा, गद्दारी, वादाखिलाफी, पाकिस्तानी फौज पिछले लंबे समय से इन विशेषताओं से आच्छादित है। सीज फायर की शर्तों के बाद भी पाकिस्तानी सेना ने भारतीय वीरों पर हमला बोला था। बावजूद इसके कमांडो अशोक व भारतीय वीरों ने हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया। पाकिस्तान के दो सैनिकों को मौत की नींद सुला दी। भारतीय वीरों के हमले का पाकिस्तानी जवान सामना नहीं कर पाए और पीठ दिखाकर भागने को विवश हो गए थे।

गौतमबुद्ध नगर के शाहपुरखुर्द गांव निवासी अशोक ने कुश्ती की प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में अपना लोहा मनवाया था। 11 फरवरी 1999 को खेल कोटे से उन्हें भारतीय सेना की राजपूत रेजिमेंट में तैनाती मिली। वह बताते हैं कि 2003 के आस-पास उनकी तैनाती कश्मीर के पल्लनवाला यूनिट में थी। वहां की सबसे खतरनाक बांध पोस्ट पर अपने साथी के साथ तैनात थे। पोस्ट से लगभग दो किलोमीटर आगे से पाकिस्तान की सीमा शुरू होती थी। इस कारण अक्सर गोलीबारी होती रहती थी। हर पल चौकन्ना रहना पड़ता था। 2004 में भारत-पाकिस्तान के बीच सीज फायर हुआ। समझौते के तहत दोनों देश की सेना को एक-दूसरे पर फायरिग नहीं करनी थी। अशोक बताते हैं कि वे आश्वस्त थे कि पाकिस्तान समझौते का पालन करेगा। नवंबर की शाम लगभग छह बजे हल्का अंधेरा हो गया था। वह अपने साथी जवानों के साथ आराम कर रहे थे। कुछ जवान खाना बनाने की तैयारियों में लगे थे। पोस्ट से महज पचास मीटर आगे घना जंगल शुरू होता था। टावर पर एक जवान मुश्तैद था। तभी जवान को जंगल में कुछ हरकत का एहसास हुआ। उसने दूसरे जवानों को सचेत कर दिया, लेकिन वे सीज फायर से आश्वस्त थे। उन्हें लगा कि कोई जंगली जानवर होगा। कुछ ही सेकेंड बाद दुश्मन ने टॉवर पर तैनात जवान पर गोली चलाई पर उनका निशाना चूक गया। वहीं, गोली की आवाज सुनते ही जवान हथियार लेने के लिए भागे। इस बीच दुश्मनों ने लगातार फायरिग शुरू कर दी। बंकर में जाना भी मुश्किल था। विभिन्न चीजों की आड़ लेकर जवानों ने मुंहतोड जवाब दिया। क्वार्टर पर हमले की सूचना भेज दी गई। दोनों ओर से लगभग आधे घंटे तक फायरिग होती रही। सभी साथियों ने दिलेरी दिखाते हुए दुश्मन के दो जवानों को मौत की नींद सुला दी। साथ ही कुछ घायल भी हुए। हमले ने दुश्मन के पैर हिला दिए। वह उल्टे पांव अपनी सीमा में भाग गए। सेना के अधिकारियों ने सभी जवानों की वीरता को सराहा। अशोक बताते हैं कि वह सेना की शूटिग टीम में थे। सेना की विभिन्न प्रतियोगिता में 15 पदक जीते हैं। साथ ही कमांडों की ट्रेनिग भी ली है। अफ्रीका महाद्वीप के इथोपिया में 2003 में गृह युद्ध चल रहा था। सयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा भेजी गई शांति सेना में वह भी शामिल थे।

chat bot
आपका साथी