स्ट्रोक के तीन फीसद मरीज ही समय पर पहुंच रहे अस्पताल
जागरण संवाददाता नोएडा खराब दिनचर्या गलत खानपान और तनाव के चलते शरीर में कई बीमारिय
जागरण संवाददाता, नोएडा :
खराब दिनचर्या, गलत खानपान और तनाव के चलते शरीर में कई बीमारियां घर कर रही हैं। इनमें मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप शामिल है। बदलती जीवनशैली की वजह से स्ट्रोक का खतरा तेजी से बढ़ा है। युवा भी इसकी चपेट में आ रहे है। समय पर इलाज नहीं मिलने से परेशानी बढ़ी है। वर्तमान में स्ट्रोक के तीन फीसद मरीज समय पर अस्पताल पहुंच पाते हैं। यह बातें मेट्रो अस्पताल के डाक्टरों ने विश्व स्ट्रोक दिवस दिवस पर कही।
न्यूरोलाजिस्ट डा कपिल के सिघल ने बताया कि स्ट्रोक मस्तिष्क का दौरा है। यह तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बाधित होता है। इस स्थिति में आक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं मरना शुरू हो जाती हैं। एक झटके के दौरान मस्तिष्क की कोशिकाओं का यह नुकसान विशेष रूप से मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित की जाने वाली क्षमताओं को प्रभावित करता है। स्ट्रोक किसी भी उम्र में हो सकता है और यह पुरुषों तथा महिलाओं को समान रूप से प्रभावित करता है। धूमपान सहित कई अन्य प्रकार के तंबाकू उत्पादों का सेवन करना हृदय या फेफड़ों की बीमारियों के साथ ब्रेन स्ट्रोक का भी खतरा बढ़ा सकता है। न्यूरो स्पाइन सर्जन डा. आकाश मिश्रा ने बताया कि वर्कआउट न करने के चलते न केवल वजन बढ़ने लगता है, बल्कि कई अन्य बीमारियां भी दस्तक देती हैं। इससे स्ट्रोक का खतरा भी बने लगता है। सर्दी में वायु प्रदूषण के कारण स्ट्रोक के मामलों में बढ़ोतरी होती है। स्ट्रोक होने पर तुरंत ही नजदीकी अस्पताल पहुंचे। स्ट्रोक के लक्षण
-कमजोरी
-गंभीर सिरदर्द
-लकवा पड़ना
-शारीरिक सुन्नता
-चलने-फिरने व बोलने में परेशानी
-बोलने में या समझने-समझाने में समस्या
-अप्रत्याशित चक्कर आना या संतुलन खोना
-एक या दोनों आंखों में असामान्य धुंधलापन स्ट्रोक से बचाव
-तनाव से दूर रहें
-रक्तचाप नियंत्रित रखें
-योग और मेडिटेशन करते रहें
-हृदय रोगी नियमित जांच कराएं
-धूमपान और मदिरापान से दूर रहे
-वसायुक्त आहार अधिक मात्रा में न खाए
-कोई भी काम में तनाव नहीं लें, नींद पूरी करें
-25 साल के बाद अपनी मेडिकल जांच नियमित रूप से कराएं स्ट्रोक होने पर तत्काल ध्यान देना जरूरी है और मरीज को साढ़े चार घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचाकर दवाई उपलब्ध कराने पर जीवन को बचाया जा सकता है। मरीज के लिए एक-एक सेकेंड बहुत महत्वपूर्ण है।
-डा ज्योति बाला शर्मा, न्यूरोलाजिस्ट, फोर्टिस अस्पताल हृदय रोग व कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के बाद स्ट्रोक के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। बुजुर्ग के साथ युवा भी इसके शिकार बन रहे हैं। हालांकि समय पर उपचार होने से मरीजों के स्वस्थ होने की संभावनाएं बढ़ी हैं।
- डा सौम्य मित्तल, न्यूरोलाजिस्ट, फेलिक्स अस्स्पताल