योगी सरकार को कमजोर करने में जुटी अफसरशाही : विक्रम सिंह
जागरण संवाददाता ग्रेटर नोएडा गौतमबुद्ध नगर और लखनऊ में कमिश्नरी सिस्टम को कमजोर करने
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : गौतमबुद्ध नगर और लखनऊ में कमिश्नरी सिस्टम को कमजोर करने का प्रयास हो रहा है। योगी सरकार को अफसरशाही कमजोर करने में जुटी हुई है। सीआरपीसी की धारा 133 व 145 (भूमि संबंधी विवाद) कमिश्नरेट पुलिस से वापस लिए जाने का निर्णय सीधे तौर पर कमिश्नरी सिस्टम को कमजोर करने का प्रयास है। लखनऊ में हुए शराब कांड में आबकारी विभाग की जिम्मेदारी बनती है और कार्रवाई पुलिस कमिश्नर पर कर दी गई। यह बातें उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहीं।
दरअसल, प्रदेश की राजधानी लखनऊ व शो विडो कहे जाने वाले गौतमबुद्ध नगर में कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद अफसरशाही के बीच विवाद खड़े होने की चर्चा शुरू हो गई थी। अब अचानक अधिकार कम होने पर पूर्व डीजीपी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। विक्रम सिंह ने कहा कि पहले से ही कमिश्नरेट को आर्म्स एक्ट व एक्साइज एक्ट के अधिकार नहीं दिए गए। इसी बीच भूमि संबंधी अधिकार भी वापस लेने की बात सामने आने लगी है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पूर्ण रूप से अधिकार न देकर कमिश्नरी को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नौकरशाही में मौजूद कुछ लोग योगी सरकार का अहित करने में जुटे हुए हैं। लखनऊ में हुए शराब कांड आबकारी विभाग का फेलियर था उसको पुलिस पर डाल दिया गया। ऐसे ही निर्णय होते रहेंगे तो आने वाले दिनों में परिणाम और घातक होंगे।
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तिलमिला गए हैं अपराधी
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद पहली बार गौतमबुद्ध नगर में अपराधियों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ी गई है। कमिश्नरेट पुलिस अब तक अपराधियों की 45 करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी है। इस वजह से अपराधी प्रवृत्ति के लोग तिलमिलाएं हुए हैं। ऐसे में इस सिस्टम को अधिक संसाधन व अधिकार देकर मजबूत करना चाहिए, न कि कमजोर करने का प्रयास होना चाहिए।
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यह है सीआरपीसी की धारा 133 व 145
सीआरपीसी की धारा 133 के तहत तालाब, ग्राम समाज की जमीन के अधिकार का निस्तारण होता है। जिन विवादों के चलते लोक शांति भंग होने की आशंका रहती है। वहीं सीआरपीसी की धारा 145 के तहत विवादित जमीन और मकान को पुलिस अटैच कर सकती थी।