Jagran Forum 2021: ओलिंपिक की मेजबानी को ध्यान में रखते हुए ढांचा तैयार करने पर जोर: डॉ अरुणवीर सिंह

अरुणवीर ने कहा कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा को स्पोर्ट्स हब बनाने के लिए शुरुआती आधारभूत ढांचा तैयार किया जा रहा है। 2032 ओलिंपिक की मेजबानी तो ब्रिसबेन को मिल गई है लेकिन हम ढांचा तैयार करके उसके बाद की मेजबानी की दावेदार कर सकते हैं।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 08:30 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 08:30 PM (IST)
Jagran Forum 2021: ओलिंपिक की मेजबानी को ध्यान में रखते हुए ढांचा तैयार करने पर जोर: डॉ अरुणवीर सिंह
दैनिक जागरण विमर्श में यमुना विकास प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरुण वीर सिंह

नोएडा [लोकेश चौहान]। भारत का सपना है कि वह पहली बार ओलिंपिक की मेजबानी करे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय खेल मंत्रालय और भारतीय ओलिंपिक संघ (आइओए) भी इसको लेकर संजीदा हैं। गुजरात सरकार ने अहमदाबाद में दुनिया के सबसे बड़े नरेन्द्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम के उद्घाटन के दौरान उसके आसपास के क्षेत्र को स्पोर्ट्स हब में तब्दील करके भविष्य में वहां पर ओलिंपिक आयोजन का सपना दिखाया था। अब यमुना विकास प्राधिकरण भी जेवर एयरपोर्ट के आस-पास ओलिंपिक की मेजबानी को ध्यान में रखते हुए खेल ढांचा तैयार करने पर काम कर रहा है। जागरण विमर्श में यूपी-एनसीआर को स्पोर्ट्स हब कैसे बनाया जाए विषय पर खेल संपादक अभिषेक त्रिपाठी से चर्चा के दौरान यमुना विकास प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरुणवीर सिंह ने यह बात कही।

अरुणवीर ने कहा कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा को स्पोर्ट्स हब बनाने के लिए शुरुआती आधारभूत ढांचा तैयार किया जा रहा है। 2032 ओलिंपिक की मेजबानी तो ब्रिसबेन को मिल गई है लेकिन हम ढांचा तैयार करके उसके बाद की मेजबानी की दावेदार कर सकते हैं। पहले मेजबानी धन और लाबिंग के आधार पर मिलती थी लेकिन आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय खेलों की मेजबानी उस देश में खेल के लिए उपलब्ध संसाधन और आधारभूत ढांच के के आधार पर मिलेगी। यहां जेवर एयरपोर्ट बन रहा है।

विश्व स्तरीय एक्सप्रेस-वे पहले से ही है। इससे खिलाडिय़ों का यहां आना आसान होगा। जल्द ही यहां पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप माडल पर स्टेडियम बनाने की तैयारी की जा रही है। पंचायत स्तर पर खेल के मैदान बनाए जाएंगे। गांव-गांव में छोटे-छोटे खेल सेंटर बनाने की योजना है जिससे बच्चों को खेल से जोड़ा जा सके।

हालांकि इस सत्र में शामिल हुए गाजियाबाद क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश मिश्रा ने तस्वीर का दूसरा पहलू दिखाते हुए कहा कि अधिकारियों की इच्छा शक्ति के चलते कई खेल परियोजनाएं अधूरी रह जाती हैं। सरकार के जनप्रतिनिधि घोषणाएं करने तक सीमित रह जाते हैं। सरकार और अधिकारियों की उदासीनता से खिलाडिय़ों को सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। खिलाडिय़ों को बेहतर सुविधाएं मिले तो स्थिति और बेहतर हो सकती है।

गाजियाबाद में करीब 600 करोड़ रुपये की लागत से 75,000 दर्शक क्षमता वाले क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण हाईटेंशन लाइन न हटने और एफएआर का निर्धारण न होने के कारण तीन वर्ष से रुका हुआ है। इस परिसर में क्रिकेट के अलावा बैडमिंटन, कबड्डी, लान टेनिस की सुविधा भी खिलाडिय़ों को मिल जाती, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसी सत्र में शामिल पूर्व अंतरराष्ट्रीय फुटबाल खिलाड़ी और कोच अनादि बरुआ ने कहा कि बिना सुविधाएं दिए खिलाडिय़ों से पदक की उम्मीद और बेहतर प्रदर्शन के अपेक्षा करना बेमानी है। खेल सुविधाओं को विकसित किए बिना खिलाडिय़ों से बेहतर प्रदर्शन और देश के लिए सिर्फ पदक की उम्मीद की जा सकती है। बिना सुधार के इसे पूरा किया जाना संभव नहीं है।

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