सरोकार : महिला सशक्तिकरण, ‘शक्तिउदय’ से खींची आर्थिक उत्थान की ‘रेखा’
‘शक्तिउदय’ प्रोजेक्ट के जरिये दूर करने का प्रयास भी कर रही हैं। वह खुद इस दिक्कत को इसलिए समझ पाई क्योंकि मूलरूप से टिहरी गढ़वाल के साकरी गांव निवासी हैं। पौडी गढ़वाल के ल्वाली गांव में उनकी ससुराल है।
कुंदन तिवारी, नोएडा। उत्तराखंड में पौडी, टिहरी गढ़वाल के तमाम गांव ऐसे हैं जहां पर रहने, खाने, पीने के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध है, लेकिन राेजगार नहीं होने से आर्थिक संपन्नता कोसों दूर है। इसके लिए लोग कमाने खाने के लिए मैदानी इलाकों की ओर निकल जाते हैं। खेती किसानी का भार घर पर मौजूद महिलाओं के कंधों पर आ जाता है।
खेती के जरिये महिलाएं राशन, फल-सब्जी, दूध दही का इंतजाम तो कर लेती हैं, लेकिन दैनिक उपभोग में आने वाली तमाम वस्तुएं साबुन, तेल, मंजन, मसाले आर्थिक दिक्कतों की वजह से नहीं जुटा पाती हैं। उनकी इन दिक्कत को नोएडा सेक्टर-61 में रहने वाली रेखा शर्मा ने बखूबी समझा ही नहीं, बल्कि महसूस कर ‘शक्तिउदय’ प्रोजेक्ट के जरिये दूर करने का प्रयास भी कर रही हैं। वह खुद इस दिक्कत को इसलिए समझ पाई, क्योंकि मूलरूप से टिहरी गढ़वाल के साकरी गांव निवासी हैं। पौडी गढ़वाल के ल्वाली गांव में उनकी ससुराल है।
रेखा शर्मा ने बताया कि दो वर्ष पहले उत्तराखंड सरकार के साथ ‘शक्तिउदय’ नामक प्रोजेक्ट को लेकर अनुबंध किया था। इसमें स्पष्ट किया था कि वर्ष 2013 में जो प्राकृतिक आपदा आई थी, उसमें 13 गांव ऐसे थे, जहां कोई भी कमाने वाला व्यक्ति नहीं बचा था। पूरा का पूरा गांव विधवा महिलाओं से भरा हुआ है। ऐसी महिलाओं को रोजगार देकर अपने प्रोजेक्ट में जोड़ना चाहती हैं।
सरकार से इसके लिए चंबा में फैक्ट्री लगाने के लिए जमीन उपलब्ध कराने का आग्रह किया था, लेकिन सरकार ने उन्हें टिहरी डैम के पास उपलब्ध जमीन दिखाई थी, लेकिन यहां पर आवासीय क्षेत्र नहीं होने पर इनकार कर दिया, लेकिन सरकार से चंबा, देहरादून, मसूरी के निकटवर्ती गांव में जमीन देने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि मसूरी, देहरादून की करीब 100 महिलाओं को अपने साथ जोड़कर आर्थिक रूप से मजबूत करना शुरू कर दिया है। यदि प्रतिमाह महिलाओं को तीन हजार रुपये की व्यवस्था करा दी जाए, तो उनके जीवन स्तर में काफी सुधार आ सकता है। इसके लिए वह गरीब-जरूरतमंद महिलाओं से कॉटन व जूट के थैलों की सिलाई करा रही हैं। जिन्हें बाजार में सप्लाई कराकर उससे मिलने वाली राशि से उनका मेहनताना दे रही हैं।
बिहार सरकार से साधा संपर्क
रेखा शर्मा ने बताया कि हाल ही में बिहार सरकार से संपर्क किया है। वहां प्रतिवर्ष कई जिलों के गांव में बाढ़ आती है, जो लोगों का सबकुछ तबाह कर जाती है। ऐसे में गांव की गरीब-जरुरतमंद महिलाएं प्रोजेक्ट में साथ आएंगी, तो उसका जीवन स्तर सुधारने में सहायता मिलेगी। हालांकि यहां के लिए मधुबनी में नीता मंडल को प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए ‘शक्तिउदय’ की ओर से तैनात कर दिया गया है।
सिलाई मशीन कंपनी का मिला साथ
‘शक्तिउदय’ प्राेजेक्ट के साथ सिलाई मशीन बनाने वाली एक कंपनी का साथ लेकर रेखा शर्मा गरीब जरूरतमंद महिलाओं को सूई, धागा, डिजाइन कर कटे हुए थैले बनाने का सामान उपलब्ध कराती हैं। महिलाएं यदि संभव होता है तो सिलाई मशीन के प्रशिक्षण केंद्र पर जाकर थैले सिलती हैं, यदि नहीं तो अपने घर माल लाकर भी थैले तैयार कर सकती हैं। उनके पास सिलाई मशीन नहीं है, तो बहुत ही कम ब्याज पर उन्हें मशीन उपलब्ध करा दी जाती है। इसकी ईएमआइ वह कमाई के साथ-साथ चुका सकती हैं।
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