उत्तर प्रदेश के हाइटेक शहर में एक गांव ऐसा भी, जहां चलती है स्वच्छता की पाठशाला

नोएडा के झुंडपुरा गांव के लोगों ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में देश में नंबर वन शहर बनाने में कवायद शुरू की है। यहां स्वच्छता की पाठशाला में हर सप्ताह लोगों को सफाई व घरों का सूखा और गीला कचरा को वाहनों में डालने के लिए प्रेरित किया जाता है।

By JP YadavEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 09:17 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 09:17 AM (IST)
उत्तर प्रदेश के हाइटेक शहर में एक गांव ऐसा भी, जहां चलती है स्वच्छता की पाठशाला
गांव में प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।

नोएडा [पारुल रांझा]। अब तक आपने कई विद्यालयों के बारे में सुना होगा, लेकिन स्वच्छता की पाठशाला से आप शायद ही अवगत हों। यहां बच्चों को ही नहीं बल्कि गांव की महिलाओं, पुरुषों व बुजुर्गों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जाता है। नोएडा के सेक्टर-11 के झुंडपुरा गांव के लोगों ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में देश में नंबर वन शहर बनाने की दिशा में कवायद शुरू की है। यहां स्वच्छता की पाठशाला में हर सप्ताह लोगों को सफाई व अपने घरों का सूखा और गीला कचरा को वाहनों में डालने के लिए प्रेरित किया जाता है। ग्रामीणों को जब इस बात का अहसास हुआ कि नोएडा प्राधिकरण, प्रशासन व जनप्रतिनिधियों का ध्यान केवल शहरी सेक्टरों की तरफ है और गांव वालों से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, तो यहां के लोगों ने स्वयं ही इसके विकास का बीड़ा उठा लिया।  

स्वच्छता के प्रति जागरूकता को लगाई जाती है चौपाल

झुंडपुरा ग्राम समिति के संजीव अवाना ने बताया कि गांव में प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है। प्लास्टिक मुक्त बनाने व पौधारोपण कर गांव को हरा भरा बनाने के लिए हर माह अभियान भी चलाए जाते है। अभियान के दौरान एकत्रित प्लास्टिक को प्राधिकरण को सौंपा जाता है।

20-25 युवाओं से शुरू की गई इस मुहिम में गांव के अन्य लोग भी कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगे है। स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए लाइब्रेरी परिसर में चौपाल भी लगाई जाती है। इसके अलावा ग्रामीणों को योग का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

शिक्षा के प्रति अलख जगाने को बनवाई लाइब्रेरी

विजय अवाना ने बताया कि गांव में डेढ़ साल पहले ग्रामीणों ने यहां के बच्चों में शिक्षा के प्रति अलख जगाने के लिए ग्राम समाज की जमीन पर लाइब्रेरी बनवाई है। तब से यहां हर रोज बच्चों का तांता लगता है। कोई पढ़ने आता है तो कोई रंगों की दुनिया में खो जाने को।

पब्लिक लाइब्रेरी में सुबह-शाम बच्चे आते हैं। लाइब्रेरी की दीवारों पर जो रंग उकेरे हैं, वो ग्रामीणों व बच्चों की क्रिएटिविटी की देन है। लोगों के दान से लाइब्रेरी में 5 हजार किताबें हैं। जिसमें इतिहास, किस्से-कहानियां, कोर्स की किताबें, आदि शामिल है।

वाई-फाई से लैस इस लाइब्रेरी में कंप्यूटर की भी व्यवस्था है ताकि गांव के बच्चों को सभी सुविधाएं मिल सके। निवासियों ने यहां के बच्चों में शिक्षा के प्रति अलख जगाने के लिए भी स्वयं से यह लाइब्रेरी भी बनाई है, ताकि गांव को बच्चों को बेहतर सुविधा मिल सकें। यहां बच्चों की पढ़ाई से लेकर चित्रकला, क्विज एवम पर्सनैलिटी डेवलपमेंट सभी जरूरी विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

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