नमो दैव्ये, महा दैव्ये: कोरोना की जंग में लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बनीं सुमन

सुमन लता बताती है कि ग्रामीण इलाकों में सर्वे के दौरान कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। सुबह घर के काम निपटा कर गांवों में पैदल मुआयने पर निकल जाती है। कोरोना के प्रति डर के चलते कई लोग पूरी जानकारी देने से भी कतराते है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 04:56 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 04:56 PM (IST)
नमो दैव्ये, महा दैव्ये:  कोरोना की जंग में लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बनीं सुमन
सुमन लता बताती है कि वह पिछले पांच वर्षो से आशा कार्यकर्ता के तौर पर कार्य कर रही है।

नोएडा [पारुल रांझा]। कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में लड़ाई का एक मोर्चा आशा कार्यकर्ताओं ने संभाल रखा है। आशा कार्यकर्ताओं का कार्य कई मामलों में चुनौतीपूर्ण है। कोई सामाजिक असहयोग का सामना करते हुए लोगों को इस वैश्विक महामारी से बचा रही है तो कोई अपनी पारिवारिक समस्याओं को दरकिनार करते हुए ड्यूटी कर रही हैं। सेक्टर-49 बरोला की रहने वाली सुमन लता भी कोरोना की जंग में लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है।

रोज झुग्गी-झोपड़ियों व ग्रामीण इलाकों में घर-घर जाकर लोगों को साफ़-सफाई और घर में रहने की नसीहत दे रही हैं। साथ ही लोगों से स्वास्थ्य संबंधी जानकारी लेती हैं कि किसी सदस्य में बुखार, सर्दी, खांसी या कोरोना संक्रमण का कोई लक्षण तो नहीं है। ग्रामीण अब इन्हें आशा दीदी बुलाने लगे हैं।

घर-घर जाकर ग्रामीणों से लेती है हालचाल

ग्रामीणों के बीच एक पुल का काम करने वाली 50 वर्षीय सुमन लता बताती है कि वह पिछले पांच वर्षो से आशा कार्यकर्ता के तौर पर कार्य कर रही है। आमतौर पर उनका कार्य जन्म से पहले और बाद में नवजात की देखभाल, परिवार नियोजन और बुनियादी बीमारियों का इलाज व टीकाकरण के लिए लोगों का प्रोत्साहन आदि करने का है। लेकिन कोविड-19 महामारी के इस दौर में काफी जिम्मेदारी बढ़ गई है। अब वह कार्य घर-घर जाकर लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करने के साथ उनका हालचाल लेना है। साथ ही उन्हें सही तरीके से हाथ धुलना, शारीरिक दूरी का पालन करवाना और मास्क लगाने के फायदे के बारे में बताया जाता है।

सर्वे के दौरान होती है कई परेशानियां

सुमन लता बताती है कि ग्रामीण इलाकों में सर्वे के दौरान कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। सुबह घर के काम निपटा कर गांवों में पैदल मुआयने पर निकल जाती है। कोरोना के प्रति डर के चलते कई लोग पूरी जानकारी देने से भी कतराते है। घर में कोई सदस्य यह नहीं बताना चाहता है कि उन्हें क्या दिक्कत हो रही है। लोग तरह-तरह के सवाल करने लगते हैं। वहीं, कई लोग काफी सहयोग देते है। सभी परेशानियों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें केवल लोगों की सुरक्षा की चिंता रहती है। इसलिए चिलचिलाती धूप में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ले कर अपना कार्य पूरा करती है। शाम को घर लौटने के बाद परिवार से दूरी बनाकर रखती है।

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