Jagran Foram 2021: रट्टे से नहीं दादा-दादी की कहानियों की तरह याद होगा पाठ
आइएएस संतोष यादव ने बताया कि नई शिक्षा नीति को लाने में लंबा वक्त गुजर गया लेकिन यह पुरानी शिक्षा नीति की तरह रट्टे वाली नहीं होगी। बच्चे अब पाठ इतनी आसानी से समझ और याद कर सकेंगे जैसे हमें आज तक दादा-दादी की सुनाई कहानियां याद हैं।
ग्रेटर नोएडा [सुशील गंभीर]। ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपोर्ट सेंटर एंड मार्ट में जागरण विमर्श के तहत तीसरे सत्र में बुधवार को वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और वर्तमान में संयुक्त सचिव शिक्षा संतोष यादव ने भी अपने विचार रखे। आइएएस संतोष यादव ने अपने संबोधन में कहा कि नई शिक्षा नीति बनाने के लिए 15 लाख सुझाव आए थे। इन सभी पर विचार करने के बाद नई शिक्षा नीति का ढांचा तैयार किया गया है। संतोष यादव ने कहा कि रट्टा मार पढ़ाई किसी काम की नहीं होती है।
उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति को लाने में लंबा वक्त गुजर गया, लेकिन यह पुरानी शिक्षा नीति की तरह रट्टे वाली नहीं होगी। बच्चे अब पाठ इतनी आसानी से समझ और याद कर सकेंगे, जैसे हमें आज तक दादा-दादी की सुनाई कहानियां याद हैं। नई शिक्षा नीति पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि एकदम से सबकुछ बदल जाएगा। किसी भी बदलाव को अपनाने में समय लगता है और इस नीति में कोशिश की गई है कि 2025 में जब बच्चा दूसरी कक्षा पास करे, तो कम से कम 45 शब्द एक मिनट में पढ़ सके। जागरण विमर्श के मंच पर दैनिक जागरण के समाचार संपादक अरविंद चतुर्वेदी के साथ बातचीत में केंद्र सरकार के संयुक्त शिक्षा सचिव संतोष यादव ने नई शिक्षा नीति की इन सरलताओं को बताया, साथ ही चुनौतियों पर भी खुलकर बात की। फिर चाहे इस नीति को पूरी तरह से लागू करना हो या इसके लिए निजी क्षेत्र से सहयोग की गुंजाइश।
शिक्षकों को तैयार करना सबसे बड़ी चुनौती
भविष्य की ओर हम जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगे तो नई नीति के तहत पढ़ाने वाले शिक्षक तैयार होंगे, लेकिन मौजूदा शिक्षक नई नीति के साथ कैसे पढ़ाएं, यह सबसे बड़ी चुनौती है। संतोष यादव ने इस चुनौती से निपटने के लिए ही शिक्षकों की ट्रेनिंग पर सबसे ज्यादा समय लगाया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि एक बार ट्रेनिंग दे दी तो काम खत्म। हर साल कम से कम 50 घंटे पूर्व में दी गई ट्रेनिंग को फिर से दोहराया जाएगा।
स्कूल के नाम पर नहीं चलेगी फर्जी दुकान
संतोष यादव के मुताबिक स्कूल स्थापित करने की अनुमति देने के लिए एक अथारिटी होगी, जो नई शिक्षा नीति के तहत नियमावली लागू कराने का काम करेगी। मौजूदा समय में भी शिक्षा विभाग निगरानी का काम करता है, लेकिन आने वाले समय में यह व्यवस्था इतनी मजबूत हो जाएगी कि स्कूल के नाम पर फर्जी दुकान नहीं चल सकेगी।
मजबूरी ने दिखाया नया रास्ता
संतोष यादव ने कहा कि कोरोना महामारी ने भले ही हर क्षेत्र को झकझोर दिया, लेकिन मजबूरी के इस दौर ने आनलाइन शिक्षा के रूप में एक नया रास्ता भी दिखाया है। हालांकि, इससे छात्र वर्ग का सिर्फ 30 से 40 फीसद हिस्सा ही लाभ ले सका, लेकिन इस नुकसान को कम करने के लिए कई तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं।
निजी क्षेत्र की बड़ी भागेदारी
संतोष यादव ने बताया नई शिक्षा नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने में निजी क्षेत्र की बड़ी भागेदारी है। क्योंकि शिक्षा क्षेत्र में लगभग 40 फीसद हिस्सेदारी निजी है और ऐसे में इतनी तादाद के बगैर पूरे देश में पूरी तरह से और प्रभावी ढंग से नई शिक्षा नीति का लाभ पहुंचाना संभव नहीं है।
स्मार्ट सिटी के मामले में उत्तर प्रदेश पूरे देश में नंबर वन
रोजगार के मामले में पहले भी स्वयं सहायता समूह थे,लेकिन स्वयं सहायता समूह में एक करोड़ महिलाओं को रोजगार मिला है। वहीं, स्व सहायता समूह में एक करोड़ महिलाओं को भी रोजगार हासिल हुआ है। वन इंडस्ट्रीज वन प्रोडक्ट इसने कारोबारी सेवाओं को बहुत सपोर्ट किया है। कई राज्य इस योजना को अपने यहां लागू करने पर विचार कर रहे हैं, इससे 25 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है