यूपी का यह मुस्लिम परिवार कुरान पढ़ता है और गीता भी, शादी में हिंदू की तरह होती है रस्में

ग्रेटर नोएडा के नूरपुर गांव के प्रधान तालिब राणा बताते है कि मंढा हो या फिर हल्दी आज भी उनके यहां शादी समारोह में हिंदू रस्म होती है। सिंदूर दान से लेकर विदाई तक कभी ऐसा नहीं महसूस होता कि रस्म का भी कोई मजहब होता है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 06:46 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 07:01 PM (IST)
यूपी का यह मुस्लिम परिवार कुरान पढ़ता है और गीता भी, शादी में हिंदू की तरह होती है रस्में
हाजी बाबू उर्फ मुरसलीन की फाइल फोटो

ग्रेटर नोएडा [प्रवीण विक्रम सिंह]। गीता-कुरान दोनों भगवान की आवाज है। भगवान ऋषि मुनियों से भी श्रेष्ठ होते है। एक तरफ गीता सभी दर्शनों की मां है तो दूसरी तरफ कुरान अलकिताब (सभी किताबों) का संरक्षक है और सभी की पुष्टि करने वाला है। दोनों का उद्देश्य साधक को समग्र की तरफ लेकर जाना है। छह पीढ़ी पहले मतांतरण कराकर हिंदू से मुसलमान बने ग्रेटर नोएडा के नूरपुर निवासी हाजी बाबू उर्फ मुर्सलीन बताते है कि पूर्वजों की विरासत में उनको आज भी गर्व है। त्योहार को या शादी समारोह, कभी यह नहीं लगता कि वह किसी अलग मजहब से है।

उनका मानना है कि हिंदू और मुस्लिम दोनों एक ही है। हिंदू-मुस्लिम का डीएनए एक होने के बयान ने लोगों में ऊर्जा पैदा की है। नफरत का बीज बोने वालों के इरादों को कमजोर किया है।

बता दें कि कुछ दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा था कि हिंदू-मुस्लिम का डीएनए एक है।

ग्रेटर नोएडा के नूरपुर गांव के प्रधान तालिब राणा बताते है कि मंढा हो या फिर हल्दी आज भी उनके यहां शादी समारोह में हिंदू रस्म होती है। सिंदूर दान से लेकर विदाई तक कभी ऐसा नहीं महसूस होता कि रस्म का भी कोई मजहब होता है। तालिब बताते है कि हमारे मत अलग है, लेकिन पूर्वजों की विरासत एक ही है। करीब 800 साल पहले पूर्वज नूरपुर गांव में आकर बसे थे। उनके पूर्वज पूर्व में हिंदू (क्षत्रिय) थे। साढ़े पांच सौ के करीब परिवार गांव में रहते है जिसमें तीन सौ परिवार हिंदू है, लेकिन जब भी होली दिवाली या ईद का त्योहार होता है तो कभी यह नहीं लगता कि कुछ बंटा हुआ है या फिर अलग है।

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