Supertech Noida Emerald Case: 10 सेकेंड में ध्वस्त हो जाएंगे दोनों टावर, ऐसी होगी गिराने की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के दो टावर को गिराना चुनौती भरा होगा। अब तक देश में इतनी ऊंची कोई इमारत ध्वस्त नहीं की गई है ऐसे में इसे ध्वस्त करना जहां विशेषज्ञों के लिए चुनौती है
नोएडा [लोकेश चौहान]। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के दो टावर को गिराना चुनौती भरा होगा। अब तक देश में इतनी ऊंची कोई इमारत ध्वस्त नहीं की गई है, ऐसे में इसे ध्वस्त करना जहां विशेषज्ञों के लिए चुनौती है, वहीं इसमें कई प्रकार की परेशानियां भी आ सकती हैं। सबसे बड़ी समस्या यह होगी कि इन टावरों के पास में आवासीय टावर बने हैं, ऐसे में बिना उन्हें नुकसान पहुंचाएं दोनों टावर को ध्वस्त करने में किस तकनीक का प्रयोग किया जाए, यह अब तक तय नहीं हो सका है।
टावरों को ध्वस्त किए जाने के दौरान धमाकों से जो कंपन होगा और उसका जो असर होगा, उससे अन्य इमारतों को सुरक्षित रखना भी चुनौती है।
एक्जीक्यूट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक और इमारतों को ध्वस्त करने के विशेषज्ञ आनंद शर्मा का कहना है कि वह दो दिन बाद स्थलीय निरीक्षण करेंगे, इसके बाद यह तय होगा कि किस तकनीक से दोनों टावरों को गिराया जा सकता है। इसमें कितना विस्फोटक प्रयोग किया जाएगा।
यह भी जानें 2 माह का समय लगेगा विस्फोटक, सामान लगाने में 15 दिन लगेंगे इमारत को खाली करने में 10 सेकेंड में ही गिर जाएंगे दोनों टावर 30 मीटर जगह होनी चाहिए एक तरफ खाली 2 मंजिला हैं टावर 08-10 मीटर होनी चाहिए समीप की इमारत से न्यूनतम दूरी 950 फ्लैट हैं दोनों टावर में 120 मीटर है दोनों टावर की ऊंचाई
बता दें कि नोएडा के सेक्टर-93 स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट में नियम विरुद्ध बनाए गए दो टावरों को ध्वस्त करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। इसके लिए तीन माह का समय दिया गया है। इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मामला गया था।
इसे गिराने के लिए रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। सोसायटी के एक-एक व्यक्ति के सहयोग से अरबपति बिल्डर के खिलाफ हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक दस साल लड़ाई लड़ी। आरडब्ल्यूए पदाधिकारियों ने घर-घर जाकर जुटाए गए चंदे के पैसे से सुप्रीम कोर्ट में वकील कर अरबपति बिल्डर को मात दी।