Noida-Greater Noida Authority: जैसे-जैसे एसआइटी की जांच बढ़ रही आगे, भ्रष्ट अधिकारियों के नाम आ रहे सामने

एसआइटी जांच रिपोर्ट के बाद शासन द्वारा की गई कार्रवाई से नोएडा के साथ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में भी हड़कंप मच गया। अब जैसे-जैसे विजिलेंस की जांच का दायरा आगे बढ़ेगा वैसे-वैसे अन्य अधिकारियों की गर्दन फंसेगी। तमाम अधिकारी व कर्मचारी शीर्ष अधिकारियों के साथ अटैच रहे।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Tue, 05 Oct 2021 04:05 PM (IST) Updated:Tue, 05 Oct 2021 04:05 PM (IST)
Noida-Greater Noida Authority: जैसे-जैसे एसआइटी की जांच बढ़ रही आगे, भ्रष्ट अधिकारियों के नाम आ रहे सामने
जांच आगे बढ़ने के साथ ही घोटाले में लिप्त अन्य अधिकारी व कर्मचारियों के नामों का भी पर्दाफाश होगा।

नोएडा [कुंदन तिवारी]। सुपरटेक मामले में एसआइटी जांच रिपोर्ट के बाद शासन द्वारा की गई कार्रवाई से नोएडा के साथ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में भी हड़कंप मच गया। अब जैसे-जैसे विजिलेंस की जांच का दायरा आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे अन्य अधिकारियों की गर्दन फंसेगी। तमाम अधिकारी व कर्मचारी शीर्ष अधिकारियों के साथ अटैच रहे, लेकिन जांच में उनकी पुष्टि नहीं हो सकी। इसलिए जांच आगे बढ़ने के साथ ही घोटाले में लिप्त अन्य अधिकारी व कर्मचारियों के नामों का भी पर्दाफाश होगा। सही ढंग से जांच हुई तो इन्हें दिक्कत होना तय है।

बता दें कि एसआइटी की जांच में 26 अधिकारियों के नाम दस्तावेजों की जांच में एक भ्रष्ट कड़ी के रूप में सामने आए हैं। इन्होंने सुनियोजित तरीके से इस अनियमितता को अंजाम तक पहुंचाया। विजिलेंस जांच में इनसे जुड़े और लोगों के नाम भी सामने आएंगे, जिनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आगामी 24 से 48 घंटे में अनियमितता में शामिल अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जांच के बाद दोषी अधिकारियों की सूची में तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी मोहिंदर सिंह, एसके द्विवेदी, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी आरपी अरोड़ा और पीएन बाथम का नाम भी शामिल है।

सूत्रों ने बताया कि इन अधिकारियों ने तीनों ही रिवाइज प्लान पर एप्रूवल दिया था, जबकि जांच में दूसरे व तीसरे रिवाइज प्लान को एप्रूव कराने में नियोजन विभाग की ओर से अनियमितता बरती गई थी। जाहिर है फाइलों पर वार्ता लिखकर इनकी अपने स्तर पर जांच कराई जा सकती थी, लेकिन ऐसा किया नहीं गया। इस सूची में तत्कालीन विधि सलाहकार राजेश कुमार व विधि अधिकारी ज्ञान चंद को अनियमितता में शामिल किया गया। इन दोनों अधिकारियों ने आरडब्ल्यूए की ओर से लगाई गई आरटीआइ का जवाब देने में आपत्ति लगाई थी।सुप्रीम कोर्ट में भी आरडब्ल्यूए को आरटीआइ का जवाब नहीं देने का मामला रखा गया था। सूची में एक बड़ा नाम तत्कालीन वित्त नियंत्रक एसी सिंह का नाम भी है। इन्होंने पर्चेजेबल एफएआर देने में नियमों की अनदेखी की।

टावर की ऊंचाई बढ़ती गई और आसपास के टावरों से उसके बीच की दूरी घटती चली गई, लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि क्या पर्चेजेबल एफएआर को वित्त नियंत्रक ने सीधे दिया, क्या एफएआर बढ़ाने के लिए नीचे वाले अधिकारी से एफएआर दिए जाने के बारे में कोई जानकारी ली ही नहीं गई। शीर्ष स्तर पर ही फैसला लिया जाता रहा। इसका निरीक्षण कर परियोजना अभियंता को रिपोर्ट देनी थी। रिपोर्ट लगाई भी गई तो नियमों की अनदेखी करते हुए यही कारण है तत्कालीन परियोजना अभियंता बाबूराम और एमसी त्यागी और मुख्य परियोजना अभियंता केके पांडे का नाम भी इस सूची में शामिल किया गया। हालांकि एसआइटी की जांच में और भी कई बिंदू है, जिनमें इन अधिकारियों को सूचीबद्ध किया गया है।

विजिलेंस जांच में आएंगे और भी कई नाम

इस मामले में अब विजिलेंस की टीम भी जांच करेगी। पत्रावलियों की जांच होगी। बयान दर्ज किए जाएंगे एक दूसरे को आमने सामने बैठाकर जांच की जाएगी। जाहिर है कई और नामों का पर्दाफाश हो सकता है। इस दौरान कहां-कहां नियम तोड़े गए किन-किन अधिकारियों के हस्ताक्षर किसके दबाव या आर्थिक लाभ के लिए किए गए, सब कुछ पूछा जाएगा।

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