इलेक्ट्रिक वाहनों के हब के रूप में विकसित हो रहा नोएडा व ग्रेटर नोएडा, 260 इकाइयों का संचालन शुरू

अब तक नोएडा ग्रेटर नोएडा में इलेक्ट्रिकल वाहनों उत्पादन-बिक्री की 260 से अधिक इकाइयां खुल चुकी हैं। केंद्र व राज्य सरकार की ओर से इलेक्ट्रिकल वाहनों के उत्पादन-बिक्री पर सब्सिडी दी जा रही है। दिल्ली-एनसीआर में नोएडा-ग्रेटर नोएडा इलेक्ट्रिक वाहनों के हब के रूप में विकसित हो रहा है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 09:31 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 09:31 PM (IST)
इलेक्ट्रिक वाहनों के हब के रूप में विकसित हो रहा नोएडा व ग्रेटर नोएडा, 260 इकाइयों का संचालन शुरू
नौ लाख इलेक्ट्रिक वाहनों का कुल कारोबार है।

नोएडा [कुंदन तिवारी]। दिल्ली-एनसीआर में नोएडा-ग्रेटर नोएडा इलेक्ट्रिक वाहनों के हब के रूप में विकसित हो रहा है, क्योंकि सरकार की फास्टर अडाप्शन एंड मैन्युफैक्चङ्क्षरग आफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एफएएमई) स्कीम के जरिये अब तक नोएडा ग्रेटर नोएडा में इलेक्ट्रिकल वाहनों उत्पादन-बिक्री की 260 से अधिक इकाइयां खुल चुकी हैं। केंद्र व राज्य सरकार की ओर से इलेक्ट्रिकल वाहनों के उत्पादन-बिक्री पर सब्सिडी दी जा रही है। जहां पर केंद्र सरकार आम आदमी को 1.5 लाख रुपये की इलेक्ट्रिक बाइक की खरीद पर 40 हजार रुपये की छूट दे रही है, वहीं राज्य सरकार उसके रोड टैक्स व रजिस्ट्रेशन शुल्क पर छूट दे रही है।

देश में नौ लाख वाहन प्रतिवर्ष कारोबार है, उसमें दिल्ली एनसीआर की 80 फीसद हिस्सेदारी है। इसमें से 50 फीसद से अधिक पर उत्तर प्रदेश का कब्जा है। जिस तेजी के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन-बिक्री में नोएडा ग्रेटर नोएडा बढ़ा रहा है, आने वाले समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2070 तक कार्बन उत्सर्जन मुक्त देश बनने के संकल्प में उत्तर प्रदेश अग्रणी भूमिका निभाएगा। वर्ष 2025 तक देश में 70 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन का अनुमान है।

योजना को प्रदेश से मिल रहा बल: नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन (एनईएमएम) के अंतर्गत विनिर्माण, अवसंरचना और टेक्नोलाजी की देश में क्षमताएं प्राप्त करने के लिए सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर भारत में लगभग 6-7 मिलियन इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जिससे वर्ष 2035 तक निजी व सार्वजनिक वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील कराया जा सके।

20 पैसा प्रति किलोमीटर का आ रहा खर्च: पेट्रोल-डीजल वाहनों के संचालन पर प्रति किलोमीटर दो से पांच रुपये का खर्चा है, लेकिन इलेक्ट्रिकल वाहनों के संचालन प्रति किलोमीटर 20 पैसा खर्च आता है।

मोबाइल की तरह चार्ज होती है बैटरी: टू-व्हीलर्स को स्टैंडर्ड पावर साकेटस (12 एएमपीएस) से चार्ज किया जा सकता है। इसके अलावा उनमें डिटैचेबल बैटरीज होती हैं, जिन्हें कहीं भी और कभी भी चार्ज किया जा सकता है। बैटरी चार्जिंग के एक सेशन के बाद इलेक्ट्रिक बाइक्स और स्कूटर औसतन 60-80 किलोमीटर चल सकता है।

यह है स्थिति : नौ लाख इलेक्ट्रिक वाहनों का कुल कारोबार है। दिल्ली एनसीआर में 80 फीसद इलेक्ट्रिक वाहन बन व बिक रहे। नोएडा-ग्रेटर नोएडा समेत उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 50 फीसद की है। महाराष्ट्री की हिस्सेदारी दस फीसद, अन्य राज्य समेत पूरा देश में दस फीसद की हिस्सेदारी है। इलेक्ट्रिक बाइक्स और स्कूटर के हब के रूप में नोएडा-ग्रेटर नोएडा विकसित हो रहा है। कुल कारोबार में 80 फीसद वाहन एनसीआर में बनकर बिक भी रहे है। इसमें उत्तर प्रदेश 50 फीसद से अधिक पर काबिज है। सुशांत कुमार, सीईओ व एमडी, एएमओ मोबिल्टी सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड

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