Mucormycosis : नोएडा में ब्लैक फंगस से 38 वर्षीय व्यक्ति की मौत, इस तरह बरतें सावधानियां

यथार्थ अस्पताल में इलाज के दौरान एक 38 वर्षीय युवक की मौत हो गई। प्रबंधन का कहना है कि यथार्थ ग्रुप के तीन अस्पतालों में आठ मरीज ब्लैक फंगस के आए हैं। पांच दिन पूर्व एक 75 वर्षीय वृद्ध की भी गंभीर स्थिति में मौत हुई थी।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 06:17 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 06:17 PM (IST)
Mucormycosis : नोएडा में ब्लैक फंगस से 38 वर्षीय व्यक्ति की मौत, इस तरह बरतें सावधानियां
कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस इंफेक्शन लोगों को निशाना बना रहा है।

नोएडा, जागरण संवाददाता। कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस इंफेक्शन लोगों को निशाना बना रहा है। यथार्थ अस्पताल में इलाज के दौरान एक 38 वर्षीय युवक की मौत हो गई। प्रबंधन का कहना है कि यथार्थ ग्रुप के तीन अस्पतालों में आठ मरीज ब्लैक फंगस के आए हैं। पांच दिन पूर्व एक 75 वर्षीय वृद्ध की भी गंभीर स्थिति में मौत हुई थी। दोनों ही किसी अन्य अस्पताल में भर्ती थे और गंभीर हालत में भर्ती हुए थे।

चार मरीजों की हुई सर्जरी, हुए खतरे से बाहर

वर्तमान में सेक्टर-110 स्थित अस्पताल में पांच और ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित अस्पताल में एक मरीज का उपचार चल रहा है। इनमें चार मरीजों की सर्जरी हुई है, अब वह खतरे से बाहर हैं। वहीं, दो मरीज केवल दवाओं से ही ठीक हो गए हैं। वहीं कैलाश अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक बरौला निवासी मांगेराम शर्मा की हालत अभी स्थिर है। गौरतलब है कि जिले में ब्लैक फंगस के अबतक 9 मामले मिले हैं। आठ मामले यथार्थ और एक कैलाश अस्पताल में मिला है।

मधुमेह रोगियों को सावधान रहने की जरूरत

आईवियर ब्रांड के डीलर सुमित मोदी कोरोना और मधुमेह का संयोजन इस बीमारी के लिए एक घातक संयोजन है। यह नाक से शुरू होकर 24 से 48 घंटे में ही आंखों तक पहुंच जाता है। जिससे उभरी हुई आंखें, पलकों का गिरना, आंखें लाल होना, आंखों बंद होना, आंखों में दर्द या सूजन, चेहरे की सूजन, नाक से खून बहना, दांतों में दर्द जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

मस्तिष्क में फैलने से रोकने के लिए प्रभावित आंखों को होती है निकालने की आवश्यकता

आप्टोमेट्रिस्ट राजीव खन्ना ने बताया कि संक्रमण को मस्तिष्क में फैलने से रोकने के लिए प्रभावित आंखों को निकालने की आवश्यकता हो सकती है। संतुलित आहार, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना और आंखों को उचित आराम देकर रोग से बचा जा सकता है।

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