Water Conservation: बर्बाद न हो नीर, शहरवासियों ने समझी पीर; सुरक्षित कल के लिए सहेज रहे जल
आरडब्ल्यूए अध्यक्ष धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि आरओ चार लीटर पानी में सिर्फ एक लीटर पानी शुद्ध करता है जबकि तीन लीटर पानी व्यर्थ बह जाता है इसलिए इस ओर लोगों को जागरूक किया गया आज सोसायटी में अधिकतर लोग दूषित पानी को बर्बाद होने से इस्तेमाल कर रहे है।
पारुल रांझा, नोएडा। पानी की एक-एक बूंद कीमती है। यह सभी जानते हैं लेकिन पानी की बर्बादी बदस्तूर जारी है। आने वाले संकट से जूझने के लिए शहर में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो जल बचाने में जुटे है। जल संरक्षण के लिए अपने घर से ही शुरुआत कर इन लोगों ने बड़ा उदाहरण पेश किया है। चाहे वह रसोई में लगे आरओ से गिरते पानी की बात हो या फिर पार्कों में सिंचाई के दौरान पानी के व्यर्थ बहने की बात हो। ये लोग अलग-अलग तरीकों से न केवल जल संरक्षण कर रहें है बल्कि दूसरों को भी ऐसा करने को प्रेरित कर हैं। इनका मानना है कि यदि लोगों में इच्छा दृढ़ हो, तो सब संभव है।
सुरक्षित कल के लिए सहेज रहे जल : सेक्टर-34 स्थित बी-3 अरावली अपार्टमेंट में करीब 50 फीसद लोग अपने घरों के आरओ से प्रतिदिन व्यर्थ बहने वाले पानी से बालकनी में लगे पौधों को सींचने, सफाई करने, बर्तन व वाहन धुलाई में इस्तेमाल कर रहे हैं। यहां आरडब्ल्यूए ने सोसायटी के बाहर जरूरतमंद लोगों के लिए आरओ सिस्टम भी लगाया गया है। शुद्ध एवं शीतल जल से लोग अपनी प्यास बुझाते हैं। वहीं, इससे निकलने वाले 700 से 800 लीटर पानी टंकी में स्टोर किया जाता है। इसे वाहनों की सफाई के अलावा रेहड़ी वाले प्रयोग करते हैं। आरडब्ल्यूए अध्यक्ष धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति भी लोगों को जागरूक कर जलस्तर को बढ़ने का संदेश दे रहे हैं।
पानी की बर्बादी रोकने को बनाया डिवाइस : नोएडा निवासी विक्रमादित्य ने एक ऐसा डिवाइस बनाया, जिससे घरों व पार्कों में पानी की बर्बादी को रोका जा सके। ऑटोमेटेड प्लांट वाटरिंग सिस्टम नाम का यह डिवाइस तापमान और मिट्टी की नमी को भाप कर स्वयं उचित मात्रा में ही सिंचाई करता है। 2018 में वाई वेस्ट प्रोग्राम के जरिये उन्होंने लोगों को जल बचाने के लिए जागरूक करना शुरू किया था। उन्होंने ऐसे यंत्र बनाए, जिससे हाथ धोते वक्त 90 फीसद तक पानी बचे। डिवाइस में डीएचटी 22 सेंसर का उपयोग किया गया है, जो तापमान, आर्द्रता और नमी को जांचता है। यह डेटा आर्डयूनो माइक्रो कंट्रोलर को भेजा जाता है, जहां कोड पौधे को पानी की आवश्यकता, मिट्टी की नमी का स्तर और तापमान निर्धारित करता है। फिर कनेक्टेड वॉटर पंप को संदेश भेजता है कि पानी को सीमित समय व जरूरत पूरी होने तक ही पहुंचाया जाए।
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