इस पाठशाला में फीस के बदले लिया जाता है प्लास्टिक का कचरा, फ्री में मिलती है किताबें व खाना

प्रिंस शर्मा बताते है कि रोजाना पाठशाला में आने वाले छात्र घरों व रास्ते में पड़ी प्लास्टिक की बोतलें रैपर जैसे सूखे कूड़े को एकत्रित करते हैं। इसके स्कूल के बाह रखे डस्टबिन में डालते हैं। जिसे अलग-अलग करके प्राधिकरण को दिया जाता है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 01:37 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 01:37 PM (IST)
इस पाठशाला में फीस के बदले लिया जाता है प्लास्टिक का कचरा, फ्री में मिलती है किताबें व खाना
नन्हें साथियों संग एक सकारात्मक सोच को बढ़ावा दे रहे हैं प्रिंस शर्मा

नोएडा [पारुल रांझा]। पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या बनते जा रहे प्लास्टिक के खिलाफ जहां लोग साप्ताहिक बाजारों में जाकर दूसरों को जागरूक कर रहें है। वहीं, नोएडा सेक्टर-63 में एक ऐसी पाठशाला भी है, जहां इस समस्या से बड़े ही अनोखे ढंग से निपटने की पहल शुरू की गई है। यह कोई सरकारी या निजी स्कूल नहीं है, बल्कि चैलेंजर्स ग्रुप द्वारा संचालित आर्थिक रूप से कमजोर एवं असहाय बच्चों का शिक्षा केंद्र है। यहां बच्चों से फीस के बदले प्लास्टिक का प्लास्टिक का कचरा लिया जा रहा है।

 इसके बदले शिक्षा के साथ साथ फ्री किताबें, स्टेशनरी और खाना दिया जाता है। जब बच्चे इस शिक्षा केंद्र में प्रवेश करते हैं तो वह इकट्ठा किए गए प्लास्टिक कचरे को डस्टबिन में डालते हैं। इस अनोखी पहल की शुरुआत करने वाले शख्स का नाम प्रिंस शर्मा है, जो इस स्कूल के संस्थापक भी है। वह नन्हें साथियों के साथ एक सकारात्मक सोच को बढ़ावा दे रहे हैं।

साफ-सफाई के प्रति जागरूक करना मुख्य उद्देश्य

चैलेंजर्स ग्रुप संस्थापक प्रिंस शर्मा बताते है कि झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं से अनजान हैं। यहां पढ़ने वाले बच्चे भी गरीब परिवार से आते हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों को कम उम्र से ही साफ-सफाई और पर्यावरण अनुकूल के बारे में जागरूक करना है। शुरूआत में बच्चे घरों व रास्ते में पड़े प्लास्टिक उठाने को राजी नहीं थे। लेकिन जब उन्हें स्वच्छता के महत्व के बारे में समझाया गया तो स्वयं ही इस मुहिम में शामिल होने लगे। बच्चों द्वारा एकत्रित किए गए प्लास्टिक के कचरे के बदले उन्हें मुफ्त शिक्षा के साथ अन्य सुविधाएं भी मिल रही हैं।

350 से अधिक असहाय बच्चों को दी जा रही शिक्षा

प्रिंस शर्मा बताते है कि रोजाना पाठशाला में आने वाले छात्र घरों व रास्ते में पड़ी प्लास्टिक की बोतलें, रैपर जैसे सूखे कूड़े को एकत्रित करते हैं। इसके स्कूल के बाह रखे डस्टबिन में डालते हैं। जिसे अलग-अलग करके प्राधिकरण को दिया जाता है। बता दें कि प्रिंस पिछले करीब आठ वर्षों से शहर की झुग्गी-झोपड़ियों व बस्तियों में रहने वाली बालिकाओं की शिक्षा, सेहत और आर्थिक आत्मनिर्भरता को लेकर माता-पिता व लोगों को जागरूक कर समानता के अधिकार की मुहिम में जुटे है। वर्तमान में उनकी संस्था द्वारा शहर की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले 350 से अधिक बच्चों को चैलेंजर्स की पाठशाला नामक शिक्षा केंद्र में शिक्षित किया जा रहा है।

चैलेंजर्स ग्रुप लौटाएगा पक्षियों की चहचहाहट

कुछ वर्षों पूर्व हर घर में चहचहाती गौरेया अब कहीं दिखाई नहीं देती, इस भीषण गर्मी में मनुष्य ही नहीं बल्कि बेजुबान एवं बेघर पशु पक्षी भी बेहद परेशान रहते हैं। ऐसे में समाजसेवी संस्था चैलेंजर्स ग्रुप द्वारा विलुप्त होती इन प्रजातियों को पुनर्जिवित करने का अनूठा प्रयास किया जा रहा है जिसके तहत शहर के विभिन्न स्थानों, चोराहों पर चैलेंजर्स ग्रुप द्वारा निर्मित एक विशेष उपकरण लगाया जा रहा है। जिसमें इन बेसहारा परिंदों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था की गई है। गौरतलब है कि यह उपकरण वेस्ट टू बेस्ट का भी एक जीता जागता उदाहरण है।

चैलेंजर्स ग्रुप अध्यक्ष प्रिंस शर्मा ने बताया कि इस अभियान को प्रारंभ करने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि इस भीषण गर्मी के कारण पक्षियों को दाना पानी के लिए इधर उधर भटकना न पड़ें एवं शहर वासियों से अपील करते हुए कहा कि सभी मानवता का धर्म निभाते हुए अपनी बॉलकोनी, छत, मूढ़गैली, एवं आसपास इन पंछियों के लिए दाना पानी की व्यवस्था जरूर करें। संस्था से सतीश ने कहा कि शहर के सम्मानित शहरवासियों, जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों एवं समाजसेवियों आदि को इस मुहीम से जोड़ा जायेगा।

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