MBBS Admission Fraud Case: 10 मिनट की मीटिंग के लिए खर्च करते थे लाखों रुपये, पुलिस को मिले कई अहम सुराग

ठगी के शिकार को एमबीबीएस में प्रवेश कराने का झांसा देने के लिए आरोपितों की तरफ से दस मिनट की मीटिंग कराने के लिए लाखों रुपये खर्च किए जाते थे। आरोपित जस्ट डायल पर फोन करके कार किराए पर लेते थे।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sat, 27 Mar 2021 08:13 PM (IST) Updated:Sat, 27 Mar 2021 08:17 PM (IST)
MBBS Admission Fraud Case: 10 मिनट की मीटिंग के लिए खर्च करते थे लाखों रुपये, पुलिस को मिले कई अहम सुराग
अब तक पुलिस को मिली हैं 15 शिकायतें

नोएडा [लोकेश चौहान]। एमबीबीएस में प्रवेश दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले आरोपित ठीक से पढ़े लिखे भले ही न हो, लेकिन कानून से बचने के लिए उन्होंने पूरी तैयारी की थी। जिन लैपटाप पर लाेगों का डाटा और जिन मोबाइल से ठगी करने के लिए बात करते थे, उनमें से दो लैपटाप और आधा दर्जन मोबाइल को आरोपित ने जला दिया था। जिससे पुलिस को जांच में सुबूत न मिले सकें।

हालांकि पुलिस को आरोपितों के पास से मिले कई मोबाइल और लैपटाप बरामद हुए हैं। इनमें एक तरफ ठगी का शिकार हुए लोगों का विवरण मिला है, वहीं आरोपित की अय्याशी के सुबूत भी मिले हैं।

अब तक पुलिस को मिली हैं 15 शिकायतें

ठगी के प्रकरण में नोएडा पुलिस को अब तक 15 शिकायतें मिल चुकी हैं। जिनकी जांच की जा रही है। वहीं नोएडा में ठगी करने से पहले आरोपित सुनील और उसके साथियों ने गाजियाबाद में भी दर्जनों लोगों के साथ एमबीबीएस में ही प्रवेश दिलाने के नाम पर ठगी की थी। गाजियाबाद के लिंक रोड थाने में यह मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में की हुई एफआइआर भी नोएडा पुलिस ने गाजियाबाद पुलिस से मांगी हैं।

दस मिनट की मीटिंग के लिए खर्च करते थे लाखों रुपये

ठगी के शिकार को एमबीबीएस में प्रवेश कराने का झांसा देने के लिए आरोपितों की तरफ से दस मिनट की मीटिंग कराने के लिए लाखों रुपये खर्च किए जाते थे। आरोपित जस्ट डायल पर फोन करके कार किराए पर लेते थे। जिससे वे ठगी का शिकार होने वाले लोगों को साथ लेकर बनारस से लेकर बांदा तक के विभिन्न मेडिकल कालेज में जाते थे। यहां राज विक्रम सिंह किसी से असिस्टेंट प्रोफेसर तो किसी से डीन बनकर मिलता था। कालेज के अंदर मीटिंग कराने के लिए चपरासी को दो लाख और लगभग इतनी ही धनराशि फर्जी असिस्टेंट प्रोफेसर और डीन बनने वाले राज विक्रम सिंह को भी दी जाती थी।

आठ मोबाइल प्रयोग करता था सुनील

गिरोह का मास्टर माइंड सुनील आठ मोबाइल प्रयोग करता था। इनमें से एक मोबाइल वह था, जिससे वह पंकज खटिक और आदर्श से बात करने के लिए करता था। एक मोबाइल का प्रयोग वह फरार अन्य लोगों से बात करने के लिए करता था। वहीं कई मोबाइल ऐसे थे, जिनके जरिये वह सिर्फ ठगी के शिकार लोगों से बात करता था। ऐसे में अलग-अलग नंबरों का प्रयोग करके वह ठगी करने के बाद भी पुलिस से बचने की फिराक में था। उससे कई मोबाइल बरामद हुए हैं और कई को वह जला चुका है।

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