UP Religion Conversion Case: सीएसआर के तहत कई कंपनियों ने सोसायटी को दिया था फंड, मतांतरण में हो रहा था इस्तेमाल
UP Religion Conversion Case पिछले कुछ वर्षों में नोएडा डेफ सोसायटी को देश की कंपनियों और व्यक्तिगत रूप से कुछ लोगों ने करीब पांच करोड़ रुपये की ग्रांट दी है जबकि विदेश से भी तीन करोड़ रुपये की ग्रांट मिलने की बात सामने आई है।
नोएडा [लोकेश चौहान]। मतांतरण से सवालों के घेरे में आई नोएडा सेक्टर-117 डेफ सोसायटी को देश-विदेश की कई कंपनियों ने सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) के तहत फं¨डग की थी। अप्रैल 2019 से लेकर मार्च 2020 तक भारतीय करेंसी के रूप में करीब ढाई करोड़ रुपये और विदेशी करेंसी के रूप में करीब डेढ़ करोड़ रुपये की ग्रांट सोसायटी को मिली थी। इसमें व्यक्तिगत रूप से दान देने वाले लोगों के अलावा 45 कंपनियां देश की और करीब 12 कंपनियां विदेश की शामिल हैं। करीब इसी स्कूल के 60 छात्रों का मतांतरण हुआ है और इसमें शिक्षक व कर्मचारी लिप्त रहे थे। अब एटीएस सोसायटी के गठन से लेकर अब तक की गई फं¨डग के रिकार्ड खंगाल रही है, जिससे पता लगेगा कि जो करोड़ों रुपये बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए दिए जा रहे थे, उसका इस्तेमाल कब, कैसे, कहां और कितना किया गया।
पिछले कुछ वर्षों में नोएडा डेफ सोसायटी को देश की कंपनियों और व्यक्तिगत रूप से कुछ लोगों ने करीब पांच करोड़ रुपये की ग्रांट दी है, जबकि विदेश से भी तीन करोड़ रुपये की ग्रांट मिलने की बात सामने आई है। यह ग्रांट पिछले कुछ वर्षो में मिली हैं, ऐसे में जबसे सोसायटी का गठन हुआ है, तब से अबतक कितनी ग्रांट मिली है, इसकी जानकारी एटीएस द्वारा जुटाई जा रही है। इसके लिए आयकर विभाग की भी मदद ली जा रही है। विभाग में उपलब्ध कराई गई बैलेंस सीट के जरिये यह पता लगेगा कि किन लोगों और किन कंपनियों ने कब कितना पैसा दिया है। इसके बाद एटीएस की टीम उन लोगों और कंपनी प्रबंधन से भी पूछताछ करेगी, जिन्होंने लाखों-करोड़ों रुपये की फंडिंग की थी।
दर्जनों संस्थाएं पा रही हैं फंडिंग
नोएडा डेफ सोसायटी नोएडा की अकेली ऐसी संस्था नहीं है, जिसे करोड़ों रुपये की ग्रांट मिली है, ऐसी दर्जनों सोसायटी और एनजीओ हैं, जिन्हें ग्रांट के रूप में लाखों-करोड़ों रुपये मिलते हैं। इस पैसे को कहां खर्च किया जाता है, इसका हिसाब सिर्फ बैलेंस सीट में दिखाया जाता है। सरकारी स्तर पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जो ग्रांट के रूप में मिलने वाले पैसे का लेखाजोखा जांचती हो। रजिस्ट्रार सोसायटी को सिर्फ बैलेंस सीट की कापी उपलब्ध कराई जाती है, तो सोसायटी या एनजीओ के सीए द्वारा तैयार की जाती है।
कोई भी दे सकता है एनजीओ या सोसायटी को ग्रांट
चाटर्ड अकाउंटेंट राजीव शर्मा के मुताबिक कोई भी व्यक्ति, संस्था या कंपनी किसी भी एनजीओ या सोसायटी को कितनी भी ग्रांट दे सकती है। इसके लिए न तो कहीं से अनुमति की आवश्यकता है, न ही किसी को सूचना देने की बाध्यता है। इसके अलावा धनराशि दिए जाने की कोई सीमा नहीं है। एक रुपये से लेकर करोड़ों रुपये तक किसी भी संस्था या सोसायटी को ग्रांट के रूप में दिए जा सकते हैं। एनजीओ या सोसायटी को सिर्फ आयकर विभाग को अपनी बैलेंस सीट सीए के माध्यम से उपलब्ध करानी होती है।
उत्तर प्रदेश के नोएडा व लखनऊ, हरियाणा के गुरुग्राम, तमिलनाडु के चेन्नई, महाराष्ट्र के नागपुर, पंजाब के पटियाला, राजस्थान के जयपुर व दिल्ली के आदर्श नगर में नोएडा डीफ सोसायटी के द्वारा मूक बधिर बच्चों की प्राथमिक शिक्षा के लिए स्वयं स्कूल और प्रशिक्षण केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। जबकि बिहार, पंजाब, राजस्थान, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, झारखंड, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, बंगाल में विभिन्न एनजीओ के माध्यम से संस्थान का संचालन किया जा रहा है।