बैंक में बच्चों को जरूर बनाएं नामिनी, जानें- भविष्य के लिए क्यों है जरूरी

कोरोना संकट काल में देखने में आया है कि कामकाजी लोग अक्सर अपने बैंक अकाउंट में नामिनी अपनी पत्नी या पति को ही बनाते है। बच्चों को बहुत कम नामिनी बनाया जाता है। ऐसे में निवेश या बचत की जानकारी बच्चों को नहीं होती।

By Neel RajputEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 02:44 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 02:44 PM (IST)
बैंक में बच्चों को जरूर बनाएं नामिनी, जानें- भविष्य के लिए क्यों है जरूरी
वारिसान साबित करने पर मिलेगा एफडी का पैसा

नोएडा [कुंदन तिवारी]। यदि आप अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए बचत कर रहे है, उन्हें बैंक में वारिस जरूर बनवाएं। कोरोना संकट में देखने में आ रहा है कि पूरा परिवार ही काल के गाल में समा गया है। ऐसे में परिवार के मुख्य सदस्यों की मृत्यु के बाद बच्चों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ सकती हैं। आप की जरा सी लापरवाही से बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए जोड़ी गई रकम उनके किसी काम नहीं आएगी। बैंक में वारिस (नामिनी) नहीं होने पर यह रकम कुछ समय तक बैंक में पड़ी रहेगी, बाद में यह आरबीआइ के पास वापस चली जाएगी।

कोरोना संकट काल में देखने में आया है कि कामकाजी लोग अक्सर अपने बैंक अकाउंट में नामिनी अपनी पत्नी या पति को ही बनाते है। बच्चों को बहुत कम नामिनी बनाया जाता है। ऐसे में निवेश या बचत की जानकारी बच्चों को नहीं होती। कुछ जागरूक नागरिकों का परिवार भी इस संक्रमण काल में कष्ट उठा रहा है। जिसमें पिता ने एफडी बेटे के नाम कराई, लेकिन पिता व बेटे दोनों की मौत हो गई, अब व्यक्ति की पत्नी एफडी की रकम के लिए दर-दर भटक रही है। विपत्ति के इस समय में दैनिक जागरण ने लोगों की सुविधा के लिए सीरीज शुरू की गई। जिसमें लोगों को स्वजन की मौत के बाद उनके द्वारा की गई बचत व एफडी मिल सके।

केस स्टडी सेक्टर-71 निवासी कैथरीन ने बताया कि अप्रैल में बेटा एग्नल हैनरी को कोरोना हुआ था। इलाज के बावजूद 26 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। बेटे का गम दूर नहीं हुआ था कि सात मई को पति जॉन हैनरी की कोरोना से जान चली गई। दोनों की ¨जदगी बचाने के लिए जेवर तक बेचने पड़े। जीवन जीने के लिए पैसों की आवश्यकता पड़ी तो पता चला कि पति ने बेटे के नाम एफडी कर रखी है, लेकिन उसमें मुझे नामिनी नहीं बनाया। उसे बैंक से हासिल करने का प्रयास किया तो बैंक वालों ने देने से इन्कार कर दिया। कहा कि पहले पति व बेटे का मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर आना पड़ेगा, उसके बाद कागजी कार्रवाई शुरू होगी। जब सत्यापन हो जाएगा तो एफडी का पैसा मिलेगा। पैसा बैंक में होने के बावजूद दूसरों के भरोसे जीना पड़ रहा है।

जमा रकम डूबती नहीं

खाताधारक की मृत्यु के बाद नामिनी का नाम नहीं होने पर रकम डूबती नहीं है, बल्कि दस वर्ष तक यह रकम बैंक में ही जमा रहती है। दस वर्ष बाद यह राशि आरबीआइ के पास चली जाती है। यदि आप जमा रकम पर अपना वारिसान साबित कर देते हैं तो यह रकम आपको मिल जाएगी। इतना ही नहीं दस वर्ष होने के बाद रकम आरबीआइ से भी वापस मिल जाती है।

बैंक में एफडी के लिए नियम : जिला अग्रणी बैंक अधिकारी वेद रतन ने बताया कि बैं¨कग नियमानुसार यदि किसी खाताधारक की मृत्यु हो जाती है, तो उसके नामिनी को 15 दिन में सारी चीजें ट्रांसफर हो जाती हैं, लेकिन खाताधारक के साथ-साथ नामिनी की मृत्यु होने पर बच्चे व उनके रिश्तेदारों को अपना वारिसान साबित करना होता है। यदि एक से अधिक वारिस हैं, तो मामला ब्लाक स्तर पर एसडीएम कोर्ट, जिलाधिकारी कोर्ट या जिला कोर्ट से वारिस तय होता है। उसके आदेश पर ही बैंक आगे का निर्णय लेता है। वारिस के नाबालिग होने पर कोर्ट उसकी उम्र के हिसाब से आदेश करता है।

नाबालिग बच्चों में दिक्कत अधिक

यदि बच्चे की उम्र पांच या छह वर्ष है, तो कोर्ट बैंक को आदेश जारी कर सकता है कि उसके माता-पिता की जमा रकम की 15-16 वर्ष की एफडी बना दी जाए। चूंकि बैंक में दस वर्ष से अधिक एफडी बनाने का प्रविधान नहीं है, इसलिए कोर्ट के आदेश पर इतनी लंबी एफडी तैयार होगी। जब बच्चा 21 वर्ष का हो जाएगा, तब यह रकम बैंक से उसे मिल जाएगी।2-दूसरी स्थिति में जमा रकम तभी बच्चे को मिलेगी, जब बच्चे ने दसवीं या बारहवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी कर ली हो। आगे की पढ़ाई के लिए जमा रकम से कुछ हिस्सा मिल सकता है। रिश्तेदार पढ़ाई पर होने वाले खर्च को वहन करने में सक्षम न हो, तो वह कोर्ट से इसकी अनुमति साक्ष्यों के आधार पर ले सकते हैं।

chat bot
आपका साथी