Supertech Noida Twin Tower Case: 24 घंटे में शासन स्तर पर बड़ी कार्रवाई संभव, 50 अधिकारियों पर गिरेगी गाज!
सुपरटेक एमराल्ड मामले में 24 घंटे में शासन स्तर पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है। इसके लिए एक जांच रिपोर्ट प्राधिकरण की ओर से शासन को भेजी जा चुकी है। इसमें नियोजन ग्रुप हाउसिंग वित्त व इंजीनियरिंग विभाग के करीब 50 अधिकारी व कर्मचारियों के नाम शामिल है।
नोएडा [कुंदर तिवारी]। सुपरटेक एमराल्ड मामले में 24 घंटे में शासन स्तर पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है। इसके लिए एक जांच रिपोर्ट प्राधिकरण की ओर से शासन को भेजी जा चुकी है। इसमें नियोजन, ग्रुप हाउसिंग, वित्त व इंजीनियरिंग विभाग के करीब 50 अधिकारी व कर्मचारियों के नाम शामिल है। इनमें कुछ गजटेड श्रेणी के अधिकारी भी शामिल हैं। जांच रिपोर्ट में शामिल किए गए अधिकारी और कर्मचारियों में अधिकांश सेवानिृवत्त हो चुके हैं। जिनके नाम को शासन स्तर से उजागर किया जा सकता है। यह रिपोर्ट जीएच- 04 सेक्टर-93 ए का आवंटन व इस भूखंड पर मानचित्र स्वीकृति जो कि 2005, 2006, 2009 व 2012 में दी गई, के आधार पर बनाई गई है।
एमराल्ड मामले में अनियमितता की नींव 2004 में रखी गई। 2012 तक अधिकारियों की ओर से अनदेखी की जाती रही। इस समयांतराल में नियोजन विभाग में वास्तुविद के रूप में वीए देवपुजारी, एके मिश्र, त्रिभुवन सिंह, विमला और रितुराज व्यास शामिल हैं। रितुराज व्यास वर्तमान में यमुना विकास प्राधिकरण में तैनात है। इन सभी पर जांच के बादल मंडरा रहे हैं। रितुराज को छोड़कर अधिकांश अधिकारी व कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
सूत्रों ने बताया कि इन सभी का नाम प्राधिकरण ने अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है। इसके अलावा एक गजटेड आफिसर भी है। एमराल्ड मामले में मानचित्र स्वीकृत करने वाली समिति में इंजीनियरिंग सेक्शन के हस्ताक्षर होते थे। इसमें तत्कालीन परियोजना अभियंता बाबूराम का नाम भी शामिल है। यदि जांच में प्रस्तुत किए गए साक्ष्य इनके पक्ष में नहीं होते हैं, तो शासन स्तर से जल्द ही इन सभी पर गाज गिर सकती है।
2004 से 2017 तक अनियमितता मिली
शासन स्तर पर 2004 से 2017 तक प्राधिकरण में एमराल्ड मामले में मिले सभी अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के एसआइटी गठित की है। एसआइटी को जांच में अनियमितताएं मिलीं।
यह होगा जांच का दायरा
क्या टावर-16 व टावर-17 ग्रीन बेल्ट में बनाए गए दो टावरों के बीच की दूरी मानकों के अनुरूप नहीं थी क्या आरडब्ल्यूए को आरटीआइ का जवाब जानबूझ कर नहीं दिया गया क्या अतिरिक्त फ्लोर एरिया रेशियो देने में नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया
शासन स्तर पर हुई पहली कार्रवाई
एमराल्ड मामले में शासन स्तर से पहली कार्रवाई की गई है। एमराल्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट में नोएडा प्राधिकरण की ओर से पैरवी की जिम्मेदारी संभाल रहे नोएडा के तत्कालीन नियोजन प्रबंधक मुकेश गोयल को उच्चाधिकारियों से तथ्य छिपाने का दोषी पाया। संदिग्ध भूमिका सामने आते ही शासन ने इसी पद पर गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण में तैनात गोयल को निलंबित कर दिया है।