ऑक्सीजन की कमी को हरियाली बढ़ाकर ही पूरा किया जा सकता है : पीपल बाबा

नामी पर्यावरणकर्मी पीपल बाबा ने विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर पर्यावरण में हुए परिवर्तन को समझाते हुए कहा हैं कि देश के हर नागरिक को हरियाली बढ़ाने की दिशा में कार्य करने की जरूरत है।हरियाली बढ़ाने से ही कोरोना जैसी महामारी को दुनिया से दफा किया जा सकता है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 06:51 PM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 06:51 PM (IST)
ऑक्सीजन की कमी को हरियाली बढ़ाकर ही पूरा किया जा सकता है : पीपल बाबा
पर्यावरणकर्मी पीपल बाबा लोगों को बताते हुए।

नोएडा, आनलाइन डेस्क।। 2 साल पहले तक पृथ्वी दिवस पर जहां ऑफ लाइन कार्यक्रम होते थे अब कोरोना की वजह से इस दिन होने वाले कार्यक्रम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ही सिमट गये हैं | हर वर्ष हम लोग विश्व पृथ्वीं दिवस, विश्व जल दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस ...समेत अनेकों दिवस मना रहे हैं | लेकिन, पृथ्वी पर से समस्याओं की समाप्ति के बजाय समस्याओं का अम्बार लगता जा रहा है। अब समय नहीं बचा है अब इस दिन केवल बातचीत और आईडिया देने के लिए नहीं एक्शन लेने का समय आ गया है, नहीं तो लोग इस पृथ्वी पर नहीं बचेंगे तो कौन पृथ्वी दिवस मनायेगा?

अब तो स्थिति और भी भयावह हो गई है, सड़कों पर सन्नाटा छाया हुआ है। चारों तरफ ऑक्सीजन की कमी की खबरें आ रही हैं, अस्पतालों में अफरा-तफरी मची हुई है। ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत क्यों आन पड़ी। अगर जरूरत आई तो कमी किस वजह से हुई है इस पर निरंतर बहस जारी है। देश के नामी पर्यावरणकर्मी पीपल बाबा ने विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर पर्यावरण में हुए परिवर्तन को समझाते हुए कहा हैं कि देश के हर नागरिक को हरियाली बढ़ाने की दिशा में कार्य करने की तत्काल जरूरत है। हरियाली बढ़ाने से ही कोरोना जैसी महामारी को दुनिया से दफा किया जा सकता है। 

इस साल World Earth Day पर कोविड-19 महामारी के बाद भी विश्व पृथ्वीं दिवस को मनाने में कसर नहीं छोड़ा जा रहा है। हर साल इस दिन को ढेर सारी गतिविधियों का आयोजन किया जाता था, लेकिन यह लगातार दूसरा साल है जब इस दिन को ऑनलाइन आयोजन के रूप में मनाया जा रहा है। इस बार पृथ्वी (Earth) के पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से कायम करने पर जोर दिया जा रहा है।

कोरोना जैसे आपदा पृथ्वीं के जनमानस के लिए खतरा बनकर कैसे उपस्थित हुए ? इसकी पड़ताल करें तो हम इसके पीछे घोर लापरवाही और वृक्षों को काटकर निरंतर हो रहे शहरों के विस्तार को देखते हैं | वृक्षों को काटनें से ऑक्सीजन स्वतः घट गया और शहरों के बनने से और ज्यादे लोग आकर यहाँ पर बसनें लग गये। जन घनत्व बढ़नें के साथ- साथ ऑक्सीजन के लेवल के घटनें से लोगों का रोग प्रतिरोधक क्षमता दिन प्रतिदिन घटता जा रहा है। जहां कहीं भी जनघनत्व ज्यादा है और ऑक्सीजन की पर्यावरण के मात्रा कम है या आसपास पेड़ पौधे कम हैं कोरोना ने अपना तांडव वहां पर ज्यादा मचाया है | 2011 की जनगणना के मुताबिक दिल्ली में देश में सबसे ज्यादे (11394 व्यक्ति प्रति वर्ग किलो मीटर ) जन घनत्व हैं | अगर इस आपदा को देखते हुए लोगों को इसके समाधान से जोड़ा जाय तो कम क्षेत्र में ज्यादे पेड़ लगनें की सम्भावना भी दिल्ली में ही होगी।

इस घटना से देश का हर नागरिक सबक लें सरकारें ऐसा क़ानून लायें जिससे देश का हर व्यक्ति देश की हरियाली को बढ़ाने के लिए अपना योगदान दे। हर व्यक्ति अस्पताल से छूटते ही एक पेड़ लगाये | हरियाली बढ़ेगी तो पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा अपने आप बढ़ेगी ऑक्सीजन के स्तर के बढ़नें से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा और कोरोना जैसे वायरस हमारे शरीर पर कोई प्रभाव नही बना सकेंगे, वही उत्तम और अंतिम समाधान होगा |

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