जानिए अधिकारियों और बिल्डरों की सांठगांठ से नोएडा प्राधिकरण समेत सरकार को कुल कितने करोड़ राजस्व का हुआ नुकसान
नोएडा प्राधिकरण में एक फ्लैट के ट्रांसफर शुल्क के रूप में चार लाख रुपये लिया जाता है। बिल्डर ट्रांसफर शुल्क के रूप में खरीदार से करीब एक लाख रुपये ले लेता है। बिल्डर भूखंड आवंटन के बाद या पहले से खरीदारों व निवेशकों से बुकिंग लेकर सूचीबद्ध कर लेता है।
नोएडा [कुंदन तिवारी]। प्राधिकरण में अधिकारियों और बिल्डरों की सांठगांठ का नया खेल उजागर हो गया है। इसमें अधिकारियों ने 70 करोड़ रुपये खुद की जेब में डालने के लिए प्राधिकरण समेत सरकार को 440 करोड़ रुपये के राजस्व का चूना लगा दिया। इसमें प्राधिकरण का 280 करोड़ और निबंधन विभाग का 160 करोड़ रुपये का राजस्व शामिल है।
सूत्र का कहना है कि यह राजस्व नुकसान का खेल कार्यालय में वर्ष 2014 से चल रहा है, जिसमें भूखंड आवंटन के बाद बिल्डर प्रोजेक्ट में भेजी गई बुकिंग खरीदारों की सूची से प्रथम खरीदार का नाम हटाकर द्वितीय खरीदार का नाम शामिल किया जाता है। इस काम के बदले अधिकारियों को बिल्डर की ओर से एक लाख रुपये का सुविधा शुल्क दिया जाता है। अब तक सात हजार प्रथम खरीदारों को सूची से हटाकर द्वितीय खरीदार का नाम प्राधिकरण में शामिल किया जा चुका है।
बता दें कि नोएडा प्राधिकरण में एक फ्लैट के ट्रांसफर शुल्क के रूप में चार लाख रुपये (औसत सबसे छोटा फ्लैट) लिया जाता है। जबकि बिल्डर ट्रांसफर शुल्क के रूप में खरीदार से करीब एक लाख रुपये ले लेता है। ग्रुप हाउसिंग परियोजना में बिल्डर भूखंड आवंटन के बाद या पहले से खरीदारों व निवेशकों से बुकिंग लेकर सूचीबद्ध कर लेता है। ले आउट प्लान स्वीकृत होने के बाद बुकिंग के आधार पर फ्लैट खरीदारों की सूची प्राधिकरण कार्यालय में जमा करनी होती है। तमाम निवेशक या खरीदार ऐसे होते है, जो परियोजना पूर्ण होने से पहले या परियोजना पूर्ण होने के बाद अधिभोग प्रमाण पत्र बिल्डर को मिलने से पहले ही फ्लैट ट्रांसफर कर देते है।
नियमानुसार प्रथम खरीदार की नि:शुल्क रजिस्ट्री प्राधिकरण से होती है। यदि वह अपना फ्लैट ट्रांसफर करता है तो बिल्डर को प्राधिकरण में फ्लैट ट्रांसफर शुल्क जमा करा द्वितीय खरीदार का नाम सूची में चढ़वाना पड़ता है लेकिन बिल्डर ऐसा नहीं कर रहे। अंतिम खरीदार को प्रथम खरीदार की सूची में शामिल कराया जाता है। इसके लिए हर बार प्राधिकरण अधिकारियों को एक लाख रुपया थमा दिया जाता है, जिससे सूची में अंतिम खरीदार को प्रथम खरीदार की सूची में शामिल दिखा दें। इस दौरान ट्रांसफर शुल्क के रूप में प्राधिकरण पैसे भी बिल्डर अधिकारियों के सांठगांठ कर डकार रहा है। यह खेल सिर्फ नोएडा प्राधिकरण में ही नहीं चल रहा है, बल्कि जहां भी बिल्डर की परियोजनाएं प्राधिकरण क्षेत्र में आ रही है। उन जगहों पर राजस्व घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। जांच में बड़ा घोटला सामने आ सकता है।
नौ फाइलें उगलेंगी एमराल्ड कोर्ट में दोनों टावरों के राज
नोएडा प्राधिकरण के नियोजन विभाग की नौ फाइलें सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट में बने दो टावरों की अनियमितता के साथ अधिकारियों की कारगुजारियों का राज उगलेंगी। इन नौ फाइलों को मंगलवार को एसआइटी के सामने रखा गया है। इनमें तीन फाइल अदालत की कार्रवाई व अब तक किए गए आदेशों से संबंधित हैं। इनको आधार बनाकर ही जांच की जा रही है। मंगलवार को टीम के सभी सदस्य प्राधिकरण में मौजूद रहे। यहां पर एसआइटी ने पूरे मामले का पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन (पीपीटी) भी देखा।
प्राधिकरण के नियोजन विभाग में रखी नौ फाइलों की जांच मंगलवार को एसआइटी ने शुरू की। इन्हीं फाइलों में ही बिल्डर व प्राधिकरण की ओर से की गई कई अनियमितताओं का कच्चा चिट्ठा है। पीपीटी से संबंधित फाइलों को मंगलवार को जांच के लिए भी मंगवाया गया। हस्ताक्षर मिलान व बिल्डिंग बायलाज यानी एनबीआर 2006 के उल्लंघन के साथ बायलाज के पालन में बरती गई लापरवाही और अनियमितता की भी जांच की गई। जो कर्मचारी व अधिकारी इनमें लिप्त थे, उनकी एक सूची भी तैयार की गई।
ये भी पढ़ें- आतंकी हक्कानी को अफगानिस्तान का गृहमंत्री बनाए जाने पर कुमार विश्वास ने कुछ इस अंदाज में कसा तंज, आप भी जानें
ये भी पढ़ें- पारदर्शिता होगी तो बिल्डर गलत करने से बचेगा और गलत करेगा तो समय रहते पकड़ा जाएगा, जानिए कैसे करते हैं बायर को परेशान?