IAS Officer Suhas LY: जानिये- देश के उस आइएएस अधिकारी के बारे में, जिन्होंने टोक्यो पैरालिंपिक में रचा इतिहास

IAS Officer Suhas LY टोक्यो पैरालिंपिक में इतिहास रचते हुए बैडमिंटन खिलाड़ी और गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एल यथिराज (Suhas L. Yathiraj) ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया है। वह ऐसा करने वाले देश के पहले भारतीय प्रशासनिक अधिकारी बन गए हैं।

By Jp YadavEdited By: Publish:Sun, 05 Sep 2021 07:35 PM (IST) Updated:Mon, 06 Sep 2021 04:54 AM (IST)
IAS Officer Suhas LY: जानिये- देश के उस आइएएस अधिकारी के बारे में, जिन्होंने टोक्यो पैरालिंपिक में रचा इतिहास
IAS Officer Suhas LY: जानिये- देश के उस आइएएस अधिकारी के बारे में, जिन्होंने टोक्यो पैरालिंपिक में रचा इतिहास

नई दिल्ली/नोएडा, जागरण डिजिटल डेस्क। टोक्यो पैरालिंपिक में इतिहास रचते हुए बैडमिंटन खिलाड़ी और गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एल यथिराज (Suhas L. Yathiraj) ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया है। वह ऐसा करने वाले देश के पहले भारतीय प्रशासनिक अधिकारी बन गए हैं। आइये हम बताते हैं कि कैसा रहा है आइएएस सुहास एलवाइ की कामयाबी का सफर और जिंदगी के कुछ अनछुए पहलू के बारे में।

शौक बन गया जुनून

ऐसा कहा जाता है कि आइएएस अधिकारी बनने के बाद सुहास अपने दफ्तर की थकान को मिटाने के लिए बैंडमिंटन खेलते थे। हालांकि, बैडमिंटन वह कालेज में इंजीनियरिंग करने के दौरान ही पूरे जुनून के साथ खेलते थे। इसके बाद प्रतियोगिताओं में पदक आने लगे तो उत्साह बढ़ा और फिर क्या था सुहास एलवाइ ने बैडमिंटन को प्रोफेशनल तरीके से खेलना शुरू किया। इसका नतीजा देश के सामने है कि उन्होंने टोक्यो पैरालिंपिक में इतिहास रचते हुए बैडमिंटन प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल हासिल कर लिया। इस कड़ी में वर्ष 2016 से सुहास ने इंटरनेशनल मैच खेलना शुरू किया। शुरुआत में चीन में बैंडमिंटन टूर्नामेंट में सुहास अपना पहला मैच हार गए, लेकिन इससे न हौसला टूटा और न इरादे डिगे। यह भी जानकारी सामने आई है कि सुहास जब भी टूर्नामेंट में मैच खेलने जाते हैं तो कोट में उतरने से पहले भगवान हनुमान की मूर्ति को रखकर जाते हैं। उनका कहना है कि भगवान की मूर्ति पास होने से उन्हें ताकत और आत्मविश्वास मिलता है।

दाहिने पैर से दिव्यांग सुहास जाने जाते हैं अपने साहस के लिए

पिछले एक साल से गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी की कमान संभाल रहे सुहास एलवाइ दाहिने पैर से दिव्यांग हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने इस कमी का रोना नहीं रोया। उनके करीबियों की मानें वह हमेशा अपने बुलंद इरादों और साहसिक निर्णय के लिए जाने जाते हैं। यही वजह है कि जब सुहास एलवाइ ने गौतमबुद्धनगर में जिलाधिकारी का पद संभाला था, तब जिले में कोरोना वायरस का संक्रमण चरम पर था। हालात बदतर होने लगे थे और ऐसे में यूपी सीएम योगी आदित्याथ ने उन्हें गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी की कमान सौंपी थी। डीएम सुहास एलवाइ ने भी इसे चुनौती की तरह लिया और आखिकार कोरोना पर काबू पाने में कामयाब हुए। 

केंद्र सरकार ने भी की थी तारीफ

गौतमबुद्धनगर में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में कमी आई तो केंद्र सरकार ने भी कोरोना रोकने के प्रबंधन के लिए सुहास एलवाइ की तारीफ की। देश के तेज तर्रार आइएएस अधिकारियों में गिने जाने वाले सुहास एलवाइ ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रभाव और खतरे को रोकने के लिए तमाम तरह के साहसिक कदम उठाए, नतीजतन कोरोना हारा और सुहास एलवाइ का प्रबंधन जीता।

खेल में रमता था मन, फिर अचानक लिया आइएएस बनने का फैसला 

दक्षिण भारत के अहम राज्यों में शुमार कर्नाटक के छोटे से शहर में जन्में सुहास एलवाइ को बचपन से ही खेल खेलना पसंद था। बताया जाता है कि जन्म से ही दाएं पैर से दिव्यांग सुहास एलवआइ शुरुआत से आइएएस नहीं बनना चाहते थे। बचपन में सुहास क्रिकेट खेलते थे। प्राथमिक शिक्षा कर्नाटक के गांव में हुई। इसके बाद उन्होंनेे सुरतकर शहर ने उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की। अन्य साथियों की तरह सुहास ने भी एक कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। वर्ष, 2005 में पिता की मृत्यु के बाद सुहास के जीवन में बड़ा बदलाव हुआ और उन्होंने ठान लिया कि अब सिविल सर्विस में जाएंगे।

बने यूपी कैडर के आइएएस अधिकारी

सुहास एलवाइ ने दिनरात मेहनत कर भारतीय प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना साकार किया। वर्ष 2007 में यूपी कैडर से आइएएस अधिकारी बन गए। इस दौरान उनकी तैनाती आगरा में हुई। इसके बाद जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़, हाथरस, महाराजगंज प्रयागराज और वर्तमान में गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी हैं। 

सुबह और फिर देर रात कर करते हैं अभ्यास

विश्व रैंकिंग में तीसरे पायदान पर काबिज सुहास एलवाइ बेहद मेहनती हैं। जागरण संवाददाता अर्पित त्रिपाठी के मुताबिक, सुहास रोजाना सुबह 5 बजे से 7  बजे तक और फिर सारा प्रशासनिक काम खत्म करने के बाद रात 10 बजे के बाद बैडमिंटन का अभ्यास करते हैं। 

जानिये- ये अहम बातें मूलरूप से कर्नाटक निवासी सुहास एलवाई का सिविल सेवा में 2007 में चयन हुआ। इंजीनियरिंग करने वाले सुहास एलवाइ को बचपन में क्रिकेट और बैडमिंटन खेलने का शौक था। कालेज में पढ़ाई के दौरान बैडमिंटन को पूरी तरह से सुहास ने अपना लिया। इसके बाद वह लगातार अभ्यास करने के साथ प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे और जीतते भी रहे। आइएएस की ट्रेनिंग के दौरान भी अकादमी के विजेता रहे। 2016 में आजमगढ़ के डीएम रहने के दौरान राज्य स्तरीय टूर्नामेंट का आयोजन हुआ था, तो वहां कुछ राज्य स्तरीय खिलाड़ियों के साथ खेला तो जीत गए, जिससे उनके हौसले बढ़ गए। नवंबर 2016 में चीन के बीजिंग में हुई एशियन चैंपियनशिप में शिरकत की और खिताब जीता है। 2019 मार्च से 2020 मार्च तक बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन की ओर से 14 चैंपियनशिप का आयोजन किया गया था, जिनमें से 12 में शिरकत की थी। इनमें कुछ में स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक जीते थे। फेडरेशन की ओर से जारी रैंकिंग में तीसरी रैंकिंग मिली और टॉप छह खिलाड़ी पैरालिंपिक 2020 के लिए क्वालिफाइ हुए।

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