जेपी के 20,000 निवेशकों को मिली राहत, अब सुरक्षा कंपनी पूरा करेगी जेपी के अधूरे प्रोजेक्ट
jaypee infratech news जेपी के 20000 निवेशकों को बुधवार को बड़ी राहत मिली। स्टेक होल्डर की 10 दिन चली वोटिंग में सुरक्षा कंपनी को सर्वाधिक 9866 फीसद वोट हासिल किए। इससे यह तय हो गया कि अब सुरक्षा कंपनी जेपी के अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करेगी।
नोएडा, जागरण संवाददाता। जेपी के 20,000 निवेशकों को बुधवार को बड़ी राहत मिली। स्टेक होल्डर की 10 दिन चली वोटिंग में सुरक्षा कंपनी को सर्वाधिक 98:66 फीसद वोट हासिल किए। इससे यह तय हो गया कि अब सुरक्षा कंपनी जेपी के अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करेगी। वहीं जेपी के 32 परियोजनाओं को पाने के लिए नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनबीसीसी) महज 0.12 फीसद वोट से पीछे रह गई। वोटिंग प्रक्रिया में करीब दो हजार फ्लैट खरीदारों ने हिस्सा नहीं लिया है। इससे दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के लोगों को लाभ मिलेगा, क्योंकि इसमें निवेश करने वाले कई राज्यों के हैं।
बता दें कि वोटिंग में हिस्सा लेने वाले होम बायर्स, बैंक, फाइनेंशियल कंपनी ने हिस्सा लिया था। इसमें से लगभग सभी स्टेक होल्डर ने दोनों कंपनियों को बराबर वोट दिया। स्टेक होल्डर इक्यूमेंट फाइनेंस लिमिटेड ने अपने 0.12 फीसद वोट केवल सुरक्षा कंपनी को दिया। इससे एनबीसीसी वोटिंग में हार गई। वहीं आइसीआइसीआइ बैंक ने किसी के पक्ष में वोट नहीं डाला है। इसलिए सुरक्षा कंपनी को 98.66 फीसद व एनबीसीसी को 98.34 फीसद वोट मिले। बता दें कि जेपी की अधूरी परियोजनाओं के मामले में करीब 10 दिन पहले शुरू हुई वोटिंग का सिलसिला बुधवार दोपहर समाप्त हो गया। सर्वाधिक वोटिंग फीसद पाने में सुरक्षा कंपनी कामयाब रही। अब सुरक्षा को अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी मिलेगी या नहीं, इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट व एनसीएलटी करेंगे।
नोएडा सेक्टर-128 स्थित किंगसटन बुलेवर्ड अपार्टमेंट परियोजना में फ्लैट बुक करने वाले एसके सूरी ने बताया कि अभी उनकी परियोजना में करीब 30 फीसद ही काम पूरा हुआ है। वोटिंग के दौरान एसआरई कंपनी ने पूरी तरह सुरक्षा को वोट दिया, जबकि आइसीआइसीआइ बैंक ने दोनों में से किसी को भी वोट देने से इन्कार कर दिया। बाकी बैंक व खरीदारों ने दोनों कंपनियों के लिए वोट किए। अब इंटिम रेजुलेशन प्रोफेशनल्स इस वोटिंग प्रक्रिया की पूरी रिपोर्ट नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) को देंगे। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में जाएगा। इसके बाद फैसला होगा कि जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने का जिम्मा सुरक्षा को मिलेगा या नहीं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में एक बार एनबीसीसी वोटिंग फीसद में सबसे आगे रही थी, लेकिन कुछ वजहों से मामला खटाई में पड़ गया। ऐसे में अभी कहा नहीं जा सकता कि सुरक्षा को लेकर क्या निर्णय होगा।
उधर, रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि अगर प्रोमोटर बिल्डर शिथिलता बरतते हैं तो आवंटियों के हितों के संरक्षण के लिए रेरा अधिनियम की धारा 63 के अतिरिक्त अन्य प्रविधानों के तहत कार्यवाही की जाएगी। अब तक रेरा ने सुपरटेक बिल्डर को रिफंड के लिए 282 आदेश पारित किए हैं। वहीं कंपनी के विरुद्ध 249 वसूली प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। सिर्फ सुपरटेक लिमिटेड ने 101 मामलों का ही अनुपालन किया है।