नोएडा के छात्रों ने तैयार किया सस्ता एयर प्यूरीफायर, हवा साफ करने के साथ वायरस पर भी करेगा वार

वायु प्रदूषण घातक हो चुका है। तेजी से शुद्ध हवा स्वस्थ पर्यावरण में रहने के विकल्प ईजाद करने पर जोर दिया जा रहा है। अब प्रदूषण के साथ वायरस से बचाव भी चुनौती बन गया है। इसीलिए सार्वजनिक स्थानों पर घरों में एयर प्यूरीफायर लगाए जा रहे ।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Fri, 10 Sep 2021 06:50 PM (IST) Updated:Fri, 10 Sep 2021 06:58 PM (IST)
नोएडा के छात्रों ने तैयार किया सस्ता एयर प्यूरीफायर, हवा साफ करने के साथ वायरस पर भी करेगा वार
शारदा विश्वविद्यालय के चार छात्रों ने किया है तैयार।

ग्रेटर नोएडा [मनीष तिवारी]। वायु प्रदूषण इतना घातक हो चुका है कि इससे सिर्फ बीमारी ही पैदा नहीं हो रही हैं बल्कि लगातार हमारी उम्र भी कम हो रही है। तेजी से शुद्ध हवा, स्‍वस्‍थ पर्यावरण में रहने के विकल्‍प इजाद करने पर जोर दिया जा रहा है। अब प्रदूषण के साथ वायरस से बचाव भी चुनौती बन गया है। इसीलिए सार्वजनिक स्‍थानों पर घरों के परिसर में एयर प्‍यूरीफायर लगाए जा रहे हैं। लेकिन ये भी हर किसी की पहुंच तक हों ऐसा संभव नहीं है। शारदा विश्‍विद्यायल के चार छात्रों ने हवा को साफ रखने के साथ कोरोना वायरस समेत अन्‍य हानिकारक वायरसों से बचाव वाला स्‍वदेशी एयर प्‍यूरीफायर तैयार किया है।

प्‍यूरीफायर तैयार करने वाले छात्र सुधांशु शर्मा कहते हैं कि बाजार में विभिन्न विदेशी कंपनियों के एयर प्यूरीफायर उपलब्ध हैं। 2000 क्यूविक क्षमता के एयर प्यूरीफायर लगभग पांच लाख रुपये कीमत के हैं। नियमित रूप से चलने पर पांच से छह हजार रुपये प्रति माह बिजली बिल आता है। पांच से छह माह में इनका एयर फिल्टर बदलने की जरूरत होती है। फिल्टर की कीमत तकरीबन पांच हजार रुपये होती है। ऐसे में एक एयर प्यूरीफायर का संचालन खर्च प्रति माह औसतन सात हजार रुपये आता है। हमारे द्वारा तैयार स्‍वदेशी प्यूरीफायर हवा तो साफ करता ही है साथ उसमें मौजूद बैक्टीरिया व वायरस को भी खत्‍म करता है।

स्वदेशी एयर प्यूरीफायर की खासियत

प्राजेक्‍ट के चार सदस्‍यों में शामिल प्रांजल कुमार कहते हैं कि भारतीय बाजार में उपलब्ध उपकरणों की सहायता से बना 2000 क्यूविक एयर प्यूरीफायर के जरिए बैक्टीरिया व वायरस को नष्ट करने के लिए इसमें फार अल्ट्रा वायलेट सी 222 नैनोमीटर वेबलेंथ का प्रयोग किया गया है। जिसकी सहायता से इंफ्लुएंजा ए, एयरबोर्न ह्यूमन कोरोना वायरस अल्फा एंड बीटा, एमआरएसए बैक्टीरिया सहित अन्य बैक्टीरिया व वायरस को नष्ट किया जा सकता है। इसे तैयार करने में ट्रू हैपा फिल्टर, एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर, फाय यूवीसी, क्लाउड सर्वर व अन्य उपकरणों का उपयोग किया गया है।

जल्‍द ही डीएमआरसी में बन जाएगी बात

इस तकनीक को तैयार करने की सोच के बारे में अनिरुद्ध शर्मा और आर्यन बताते हैं कि माल, रेस्टोरेंट, वेटिंग रूम, स्टेशन समेत विभिन्न सार्वजनिक जगहों पर सीमित स्थान में भीड़ अधिक होने के कारण शारीरिक दूरी के नियम का पालन कराना मुश्किल होता है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी की तमाम सख्ती के बावजूद वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ता जा रहा है। इससे श्वास रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है। इन तमाम समस्याओं को देखने के बाद हमें यह आइडिया आया था। ये प्यूरीफायर खर्च के मामले में भी आत्मनिर्भर होगा। इस पर प्रचार बोर्ड लगाया गया है। विज्ञापन के जरिये होने वाली कमाई से एयर प्यूरीफायर की लागत व उसके संचालन में होने वाली बिजली खपत का खर्च निकल आएगा। इस उपकरण को पेंटेंट कराने के साथ ही नेक्स्टजेन इनोवेशन स्टार्टअप कंपनी भी शुरू की है। और इस दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन सहित कई कंपनियों से इसके इस्‍तेमाल के लिए वार्ता चल रही है। साथ ही ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भी प्रजेंनटेशन दिया है। 

स्‍वदेशी एयर प्‍यूरीफायर की विशेषता

खर्च : दो लाख रुपये

क्षमता : 2000 क्‍यूविक

ऊंचाई : सात फीट

चौड़ाई : दो फीट

एरिया कवर करता है : एक हजार से बारह सौ स्क्वायर फीट।

समय अवधि: प्रति मिनट क्लीन कर देगा।

विदेशी महंगा : स्‍वदेशी सस्‍ता

विदेशी एयर प्‍यूरीफायर : पांच लाख रुपये

स्‍वदेशी एयर प्‍यूरीफायर : दो लाख रुपये

बिजली खर्च: बचत :

छह हजार रुपये तक आता है बिजली बिल

छह माह पर बदला जाता है पांच हजार का एयर फिल्‍टर।

प्रतिमाह खर्च : सात हजार रुपये

सुविधा : स्‍वदेशी एयर प्‍यूरीफायर पर विज्ञापन की भी सुविधा जिसके जरिये विज्ञापन से निकल जाएगा खर्च।

 

स्टार्टअप सस्ता व कारगर

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए छात्रों द्वारा तैयार स्टार्टअप सस्ता व कारगर है। शीशे की इमारतों के लिए यह अधिक फायदेमंद होगा क्योंकि शीशे के भवन में हवा अंदर ही अंदर घूमती रहती है। कार्यस्थल पर लोगों को यदि बैक्टीरिया व वायरस रहित शुद्ध हवा मिलेगी तो कार्यक्षमता बढ़ेगी और बीमार भी नहीं होंगे।

प्रवीण पचौरी, तकनीकी विशेषज्ञ

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