जिम्स में बनेगी वायरस से निदान पर शोध वाली लैब, लाखों लोगों को होगी सुविधा
लैब के लिए उपकरणों मशीन व इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए करीब पांच करोड़ रुपये खर्च होंगे। मेडिकल सेवा को बेहतर करने के उद्देश्य के तहत केंद्र सरकार की ओर से कुल खर्च का 75 फीसद व राज्य सरकार द्वारा 25 फीसद वहन किया जाएगा।
ग्रेटर नोएडा [अर्पित त्रिपाठी]। राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में प्रदेश की तीसरी वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब (वीआरडीएल) को संचालित किया जाएगा। इसको लेकर कवायद शुरू हो गई है। इस लैब में वायरस से निदान और उसके इलाज पर शोध किया जाएगा। अभी प्रदेश में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय व किंग्स जाॅर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में इस तरह की लैब है। इससे पहले संस्थान में प्रदेश की पहली जीनोम सिक्वेंसिंग लैब शुरू करने की मंजूरी मिल गई है, जहां वायरस के स्ट्रेन में होने वाले बदलाव और वह किस फैमिली से आता है, उस पर शोध होगा। वीआरडीएल के जरिए वायरस पर शोध होने के बाद उसकी वैक्सीन बनाने में मदद मिलेगी।
करीब पांच करोड़ की लागत से बनेगी लैब
जानकारी के मुताबिक लैब के लिए उपकरणों, मशीन व इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए करीब पांच करोड़ रुपये खर्च होंगे। मेडिकल सेवा को बेहतर करने के उद्देश्य के तहत केंद्र सरकार की ओर से कुल खर्च का 75 फीसद व राज्य सरकार द्वारा 25 फीसद वहन किया जाएगा। अगले दो महीने में लैब शुरू करने की तैयारी है।
प्रदेश सरकार को लिखा पत्र
जिम्स प्रशासन की ओर से लैब शुरू करने के लिए पत्र लिखा गया है। इस लैब के लिए पहले प्रदेश सरकार से अनुमति लेनी होती है। शासन से अनुमति मिलने के लिए बाद भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की मंजूरी के बाद लैब की शुरुआत होगी।
पांच वर्ष बाद प्रदेश सरकार को हो जाएगी हस्तांतरित
नियम के मुताबिक लैब शुरू होने के बाद पांच वर्ष तक ये संस्थान के अधीन रहेगी। इसके बाद ये लैब प्रदेश सरकार को हस्तांतरित हो जाएगी।
जल्द पूरी होगी सभी औपचारिकताएं
लैब के लिए प्रस्ताव बनाकर प्रदेश सरकार को भेजा जाएगा। इसके बाद जिम्स की गवर्निंग बाॅडी की बैठक में चर्चा के बाद आगे की प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी। उम्मीद है जल्द सभी औपचारिकताएं पूरी हो जाएंगी।
ब्रिगेडियर डाॅ. राकेश गुप्ता, निदेशक, जिम्स