Greater Noida News: गांवों में वायरस की जांच न करवाने की वजह कोविड अस्पताल का डर

Greater Noida News अस्‍पताल के बुरे हालातों को देख सुन लोग जांच से बचते हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों में यह बात फैली है कि जो भी अस्‍पताल गया वह वापस नहीं आया है। ऐसे में लोग बीमारियां छ‍िपाने का काम भी कर रहे हैं।

By Jp YadavEdited By: Publish:Mon, 24 May 2021 08:21 PM (IST) Updated:Mon, 24 May 2021 08:28 PM (IST)
Greater Noida News: गांवों में वायरस की जांच न करवाने की वजह कोविड अस्पताल का डर
Greater Noida News: गांवों में वायरस की जांच न करवाने की वजह कोविड अस्पताल का डर

ग्रेटर नोएडा/बिलासपुर [घनश्याम पाल]। गांव में लोगों के बीच कई तरह की भ्रांतियां भी देखने को मिल रही हैं। लोगों को डर है कि अगर जांच कराई और पॉजिट‍िव आए तो उन्‍हें अस्‍पताल जाना ही होगा। अस्‍पताल के बुरे हालातों को देख सुन लोग जांच से बचते हैं। वहीं, ग्रामीण इलाकों में यह बात फैली है कि जो भी अस्‍पताल गया वह वापस नहीं आया है। ऐसे में लोग बीमारियां छ‍िपाने का काम भी कर रहे हैं। गांव में इलाज करने वाले एक झोलाछाप डॉक्‍टर ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया कि मैं दो दशक से गांवों में मरीजों का इलाज कर रहा हूं। इतने वर्षों में ऐसा वायरस नहीं देखा। हर घर में लोग बीमार हैं, लेकिन कोई जांच नहीं करा रहा। जांच की सलाह देने पर केवल बुखार होने की बात कहकर टाल देते हैं। मुझ पर इतना भार बढ़ा है कि पहले एक गांव में एक घंटे लगते थे, अब तीन से चार घंटे लग जा रहे हैं।

बिलासपुर व आसपास गांवों में पिछले एक महीने में साठ से ज़्यादा ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। डेवटा, लडपुरा, मंडीश्याम नगर, अस्तौली, नवादा, दादूपुर, रामपुर माजरा में 35 मरीजों की मौत हुई है जबकि बिलासपुर में बीते 30 दिनों में 25 लोगों की जान चली गई। इनमें से अधिकतर को पहले बुखार हुआ और फिर सांस लेने में दिक्कत हुई । समय से इलाज नहीं मिला तो मौत हो गई। 

आंकड़ों से ज्यादा संक्रमित प्रशासन झूठ बोल रहा है। आंकड़े फर्जी हैं। स्थिति बेहद खराब है। नहीं हो रही सबकी जांच गांव में सबकी जांच नहीं कराई जा रही हैं। घर-घर चारपाइयां बिछी हैं। जांच के लिए ग्रामीण जांच केंद्र नहीं जा रहे हैं। गांवों में जागरूकता का अभाव है। जागरूकता अभियान की जरूरत है। -देवेश भाटी, युवा समाजसेवी बांजरपुर

एक महीने से क्षेत्र में रोज दो-तीन लोग मर रहे हैं। बुजुर्ग सबसे ज्यादा हैं। बुखार में उनकी मौत कोरोना से हो रही है। सौ पच्चास कोविड जांच कर पूरे गांव को कोविड मुक्त बताना गलत है। जागरुकता के अभाव में जांच कराने से ग्रामीण पीछे हट रहे हैं जो गलत है। जांच करानी चाहिए। - राकेश भाटी, समाजसेवी पतलाखेड़ा

ये हैं संभावित कारण 

 पंचायत चुनाव के दौरान बाहरी लोगों का आवागमन, जनसंपर्क, चौपाल।   गांवों में कोरोना गाइड लाइन की अनदेखी। मास्क व सामाजिक दूरी का पालन नहीं किया जाना।  कर्फ्यू के दौरान भी गांवों में सजगता और पुलिस व प्रशासन की देखभाल नहीं। 

 पंचायत चुनाव के बाद से ही गांवों में कोरोना का प्रकोप तेज़ी से बढ़ा है । लोग एक-दूसरे के संपर्क में आए और संक्रमित होते गए । लोगों को बुख़ार हो रहा है, दवा ले रहे हैं लेकिन बुख़ार नहीं उतर रहा है । उसके बाद गले में सूजन और फिर सांस लेने में दिक़्क़त हो रही है । इसी कारण लोग मर रहे हैं । गांवों में कोविड जांच का दायरा और बढाना चाहिए। जांच के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। -हरेंद्र शर्मा, समाजसेवी बिलासपुर।

गांव की आबादी दो से पांच हज़ार सौ से दो सौ लोगों का कोविड जांच शिविर में जांच कर गांव को कोविड मुक्त गांव बताना गलत है। जांच शिविर में जागरूक लोग आ रहे हैं। बीमार आने से कतरा रहे हैं। उन्हें जागरूक कर जांच शिविर तक लाने की जरूरत है। वरना भविष्य में इसका खामियाजा ग्रामीणों को उठाना होगा। - हरिओम शर्मा, समाजसेवी दलेलगढ

 कोविड जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है। जिसका लाभ व्यापारियों को नहीं मिल रहा है। बाजार मोहल्ला विशेष कर व्यापारी वर्ग के मुताबिक कोविड जांच शिविर आयोजित करने की ज़रूरत है। -नवनीत अग्रवाल, व्यापारी फल्टलाइजर इनपुट सप्लाई गौतमबुद्धनगर प्रतिनिधि

बता दें कि गांवों में स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने ग्रामीणों की जांच की तो कई लोग कोरोना से संक्रमित भी मिले। अब गांव में सैनिटाइजेशन कराया जा रहा है और दवाइयां बांटी जा रही हैं । स्वास्थ्य विभाग की टीमें यहां कैंप भी कर रही हैं । ग्रामीणों की मानें तो मृतकों की संख्या इससे कहीं ज़्यादा है ।

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