बिना लाइसेंस की दवा फैक्ट्री में चल रहा था बुखार की गोली को कोरोनावायरस की दवा बनाने का खेल, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे इस्तेमाल

ग्रेटर नोएडा में बिना लाइसेंस की दवा फैक्ट्री संचालित करने के आरोपित सुदीप मुखर्जी ने मेरठ से पैरासिटामाल दवा खरीदी थी। इस पर बाद में एजिथ्रोमाइसिन फेविपिराविर हाईड्राक्सीक्लोरोक्वीन एसफुरेक्स सीवी फरोपिनम फेवीमैक्स व अन्य दवाओं का नकली लेबल लगाई पैकिंग कराई।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 12:29 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 12:29 PM (IST)
बिना लाइसेंस की दवा फैक्ट्री में चल रहा था बुखार की गोली को कोरोनावायरस की दवा बनाने का खेल, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे इस्तेमाल
ग्रेटर नोएडा में बिना लाइसेंस की फैक्ट्री में नकली दवाओं की पैकिंग कर बेचने का मामला।

नोएडा, [मोहम्मद बिलाल]। ग्रेटर नोएडा में बिना लाइसेंस की दवा फैक्ट्री संचालित करने के आरोपित सुदीप मुखर्जी ने मेरठ से पैरासिटामाल दवा खरीदी थी। इस पर बाद में एजिथ्रोमाइसिन, फेविपिराविर, हाईड्राक्सीक्लोरोक्वीन, एसफुरेक्स सीवी, फरोपिनम, फेवीमैक्स व अन्य दवाओं का नकली लेबल लगाई पैकिंग कराई। फिर इसे मुंबई ले जाकर बेचा। यह बात जिला औषधि विभाग की जांच में सामने आई है। औषधि निरीक्षक वैभव ने बब्बर ने बताया कि ग्रेटर नोएडा में बिना लाइसेंस की दवा फैक्ट्री संचालित करने वाले सुदीप मुखर्जी ने मेरठ के संदीप मिश्रा की लाइसेंस प्राप्त फर्म से करीब डेढ़ माह पूर्व सात लाख रुपये की पैरासिटामाल खरीदी थी।

दवा को बाद में ग्रेटर नोएडा की फैक्ट्री लाया गया। जहां पैरासिटामाल पर हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले की फर्जी मैक्स रिलीफ हेल्थकेयर कंपनी का लेबल लगाया गया। लेबल लगाने के बाद दवाओं की पैकिंग करके इन्हें कार्टन में भरकर मुंबई पहुंचाया गया। हिमाचल प्रदेश के औषधि नियंत्रक ने भी सोलन में लेबल लगी दवा कंपनी के होने से इन्कार किया है। फैक्ट्री से बरामद दवा की गुणवत्ता जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा जा चुका है। गुरुवार को मुंबई पुलिस ने दिल्ली के अलग-अलग जगह पर छापेमारी की है। आशंका है कि दवाओं की आपूर्ति दिल्ली में भी की गई है।

मशीन कहां से खरीदी जांच जारी

आरोपित सुदीप मुखर्जी मूलत: पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। पेशे से इंजीनियर है, लेकिन पिछले डेढ़ वर्ष से गाजियाबाद में रह रहा था। कोरोना काल में नकली दवा की फैक्ट्री खोल आरोपित मुनाफा कमाने के फिराक में था। वह मेरठ से खरीदी सात लाख रुपये की दवा को करोड़ों में बेचना चाहता था। मेडिकल स्टोर 10 रुपये प्रति पत्ता मिलने वाली पैरासेटिमॉल को 35 रुपये प्रति टैबलेट मिलने वाली फेविपिराविर बताकर थोक बाजार में बेच रहा था। आरोपित ने दवा का लेबल लगाने के लिए जरूरी मशीन व पैकिंग का लेबल कहां से छपवाया इसकी जांच की जा रही है।

नोएडा में तेज की छापेमारी

औषधि विभाग ने पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नकली दवाओं की बरामदगी के लिए अभियान चलाया हुआ है। मुजफ्फरनगर के मेडिकल स्टोर से बिना लाइसेंस की फैक्ट्री में पैक 93 हजार व मेरठ के मेडिकल स्टोर से 10-12 पत्ता दवा मिलने के बाद नोएडा में छापेमारी तेज कर दी है। विभाग ने जिले में अब तक किसी भी मेडिकल स्टोर से दवा मिलने से इन्कार किया है। इतना ही नहीं अधिकारी दवा के जनता के बीच पहुंचने की बात से भी इन्कार कर रहे हैं। वैभव बब्बर ने बताया कि बीते दिन बिसरख क्षेत्र में दो मेडिकल स्टोर का औचक निरीक्षण किया गया। यह आगे भी जारी रहेगी।

chat bot
आपका साथी