पड़ोसी देश चीन ने दिया दर्द, नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 50,000 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित

China COVID-19 लगातार औद्योगिक नगरी नोएडा-ग्रेटर नोएडा में अर्थव्यवस्था धराशायी हो रही है। यूपी सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर में भले ही लॉकडाउन नहीं लगाया है लेकिन पिछले दो माह से महामारी से जिले से 50 हजार करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हो चुका है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Wed, 28 Apr 2021 01:16 PM (IST) Updated:Wed, 28 Apr 2021 01:16 PM (IST)
पड़ोसी देश चीन ने दिया दर्द, नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 50,000 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित
कोरोना संक्रमण के कारण ऑर्डर रद हो रहे हैं।

नई दिल्ली/नोएडा [कुंदन तिवारी]। कोरोना संकट काल में संक्रमण के बढ़ते प्रकोप से जहां लोगों की जिंदगी दांव पर है, वहीं लगातार औद्योगिक नगरी नोएडा-ग्रेटर नोएडा में अर्थव्यवस्था धराशायी हो रही है। यूपी सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर में भले ही लॉकडाउन नहीं लगाया है, लेकिन पिछले दो माह से महामारी से जिले से 50 हजार करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हो चुका है। जल्द हालात में नहीं सुधरे तो इकाइयों पर तालाबंदी शुरू हो जाएगी। सबसे अधिक दिक्कत निर्यात इकाइयों को हो रही है, समय पर ऑर्डर पूरा करने संकट मंडरा रहा है।

पिछले एक वर्ष से तमाम निर्यात इकाइयां 25 फीसद क्षमता संचालित हो रही है, जो ऑर्डर पूरा नहीं कर पाने से बंदी की ओर अग्रसर है। इसमें सबसे अधिक बुरी स्थिति में नोएडा विशेष आर्थिक जोन (एनएसईजेड) में संचालित इकाइयों की है। उद्यमियों के मुताबिक, गौतमबुद्धनगर में 20 हजार बड़ी, छोटी, मझौली इकाइयां संचालित हो रही है। इनका कुल वार्षिक कारोबार करीब चार लाख करोड़ रुपये का है। वर्ष 2019-20 में राजस्व आंकड़ों के आधार पर करीब चालीस फीसद कम कारोबार जिले में हुआ है, कोरोना संकट काल में करीब एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान उद्यमियों को झेलना पड़ा है। वहीं मार्च-अप्रैल में अब तक 50 हजार करोड़ रुपये के कारोबार प्रभावित होने की बात उद्यमियों की ओर से कही जा रही है।

इन आंकड़ों पर दें ध्यान

जिले में चार लाख करोड़ रुपये का वार्षिक टर्नओवर है। पिछले वर्ष जिले में 15 हजार करोड़ से अधिक टैक्स कलेक्शन हुआ। आंकड़ों के हिसाब से 40 फीसद कम राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ। ऐसे में पिछले लाकडाउन के दौरान जिले में करीब तीन लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। राज्य जीएसटी आंकड़ों में 25 फीसद टैक्स विगत वर्ष के मुकाबले कलेक्शन कम है। केंद्रीय जीएसटी एवं आइटीएसटी के आधार पर करीब 15 फीसद कम टैक्स कलेक्शन हुआ। स्टील के दाम 82 फीसद, प्लास्टिक के दाम 50 फीसद, पैकेजिंग के दाम ढ़ाई गुना तक बढ़ चुके हैं।

अजय गोयल (अध्यक्ष, एनएसईजेड एंटरप्रिनियोर्स एसोसिएशन) के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के कारण आर्डर रद हो रहे हैं, उत्पादन तैयार के लिए कच्चे माल की वृद्धि भी नुकसान का बड़ा कारण है। यहां की कई इकाइयां आने वाले समय में काम बंद कर सकती है।

राजीव बंसल (राष्ट्रीय सचिव, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन) के मुताबिक, 20 हजार इकाइयों औसत नुकसान का आंकलन कर ले, तो अब तक 50 हजार करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हो चुका है। खामियों से सरकार सबक लेना नहीं चाहती है।

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