नोएडा अथॉरिटी में कैग के जांच का दायरा बढ़ते ही कसेगा निर्माण एजेंसी व अधिकारियों पर शिकंजा

क्रिकेट स्टेडियम निर्माण संबंधी फाइल कैग खंगालेगी। उसमें तमाम खामियां मिलना तय है क्योंकि स्टेडियम में आज तक लिफ्ट व लाइट का काम ही नहीं हुआ है। कई जगह स्टेडियम में घटिया निर्माण सामग्री के प्रयोग का भी मामले सामने आया है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Tue, 09 Feb 2021 01:11 PM (IST) Updated:Tue, 09 Feb 2021 01:11 PM (IST)
नोएडा अथॉरिटी में कैग के जांच का दायरा बढ़ते ही कसेगा निर्माण एजेंसी व अधिकारियों पर शिकंजा
तमाम तथ्यों पर कैग की नजर रहेगी।

नोएडा [कुंदन तिवारी]। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की वित्तीय जांच रडार पर प्राधिकरण की तमाम परियोजनाएं आ सकती है, जिनका निर्धारित बजट समय समय पर बढ़ाया गया और आज भी परियोजनाओं पर कार्य पूर्ण होना बाकी है। यही नहीं कई निर्माण कंपनियों को अधिक बजट तक आवंटित किया गया, जिसकी विभागीय जांच में पुष्टि भी हुई है, लेकिन उसकी रिकवरी नहीं हो सकी। ऐसे में संबंधित अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की, यह तथ्य भी सामने आ सकते हैं।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि कैग ने 2016 तक की फाइलों का वित्तीय ऑडिट किया। कई परियोजना ऐसी भी थी, जिनका बजट उस दौरान कम था लेकिन बाद में उसे बढ़ाया गया। वहीं कई ऐसी परियोजना भी हैं, जिनमें बजट से ज्यादा पैसा ठेकेदार कंपनी को दिया गया। इन परियोजनाओं में कई ऐसी भी हैं, जिनकी जांच सीबीआई भी कर रही है।

इसमें सेक्टर-21ए में नोएडा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम भी शामिल है। इसका कार्य अब तक पूरा नहीं हो सका है। जबकि नोएडा प्राधिकरण की ओर से वर्ष 2016 में ही निर्माण कंपनी आनंद बिल्डटेक को एनओसी जारी कर दी गई थी। सीबीआइ इस परियोजना में महज 60 करोड़ की जांच में 10 अधिकारियों की कार्य प्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। निर्माण कार्य की फाइल की जांच सीबीआइ ने शुरू ही नहीं की है। जबकि इसका बजट तो 350 करोड़ रुपये के पार जा चुका है।

क्रिकेट स्टेडियम निर्माण संबंधी फाइल कैग खंगालेगी। उसमें तमाम खामियां मिलना तय है, क्योंकि स्टेडियम में आज तक लिफ्ट व लाइट का काम ही नहीं हुआ है। कई जगह स्टेडियम में घटिया निर्माण सामग्री के प्रयोग का भी मामले सामने आया है। ऐसे में निर्माण पर 350 करोड़ रुपये कैसे खर्च हुए। तमाम मुद्दों पर सवाल जवाब होने तय माने जा रहे हैं।

निर्माण कंपनियों को हुआ अधिक भुगतान

सूत्र बताते है कि एमपी-2 पर बनी एलिवेटेड के निर्माण, सेक्टर-18 में बहुमंजिला पार्किंग के निर्माण के दौरान प्राधिकरण ने ठेकेदार कंपनी को ज्यादा भुगतान किया है, जिसकी विभागीय जांच में भी पुष्टि हो चुकी है। ऐसे कई करोड़ रुपये रिकवरी के लिए क्या कार्रवाई हुई। दोषी अधिकारी पर प्राधिकरण ने क्या कार्रवाई की। तमाम तथ्यों पर कैग की नजर रहेगी।

बिना राजस्व वसूले, काम सौंपे

सूत्रों के मुताबिक शहर में बने तमाम फुटओवर ब्रिज (एफओबी) में भारी अनियमितता शामिल है। परियोजनाओं का टेंडर जारी होने के बाद उन सुविधाओं को टेंडर से हटाया गया, जिनका लाभ जन मानस को मिलना था। यहीं नहीं हाल में उन्हीं पार्किंग ठेके को बांड भर का टेंडर अलाट कर दिया गया, जिनके ऊपर प्राधिकरण का करोड़ों रुपये बकाया था। राजस्व वसूली का नोटिस जारी किया गया, इसी प्रकार रोड साइड विज्ञापन में उन्हीं कंपनियों को बार-बार काम दिया गया, जिनका भारी भरकम राजस्व प्राधिकरण में बकाया है।

इन परियोजनाओं पर जांच की तलवार

चिल्ला एलिवेटेड, भगत सिंह पार्क, नोएडा शिल्प हाट, बायोडायवर्सिटी पार्क, दादा-दादी पार्क, सेक्टर-96 प्राधिकरण कार्यालय, औद्योगिक भूखंड आवंटन, व्यवसायिक योजनाएं, इंडोर स्टेडियम, शूटिंग रेंज, सेक्टर-18 पुनर्विकास, सेक्टर-38 ए बहुमंजिला पार्किंग, यमुना पुल के समानांतर पुल, सेक्टर-1, 3 व 5 भूमिगत पार्किंग, एलइडी लाइट, शौचालयों का निर्माण, एफओबी का निर्माण।

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