UP Assemble Election 2022: गौतमबुद्ध नगर में भाजपा की गुटबाजी से बिगड़े हालात, मंत्री बनते-बनते रह गए 'नेताजी'

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी में जुटी भाजपा ने गौतमबुद्ध नगर में अपनी ताकत दिखाने के लिए ताबड़तोड़ कई कार्यक्रम किए। वहीं अब भाजपा भी बसपा की राह पर चल पड़ी है। यहां भाजपा के तीन गुट हो गए हैं।

By Jp YadavEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 06:25 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 06:25 AM (IST)
UP Assemble Election 2022: गौतमबुद्ध नगर में भाजपा की गुटबाजी से बिगड़े हालात, मंत्री बनते-बनते रह गए 'नेताजी'
UP Assemble Election 2022: गौतमबुद्ध नगर में भाजपा की गुटबाजी से बिगड़े हालात, मंत्री बनते-बनते 'नेताजी'

नोएडा [मनोज त्यागी]। गौतमबुद्ध नगर कभी बसपा का मजबूत किला था। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का गृह जनपद होने के कारण यहां बसपा का जनाधार बढ़ता गया, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं की गुटबाजी ने नैया डुबो दी। फिर भाजपा ने बसपा के गढ़ पर कब्जा कर लिया। अब भाजपा भी बसपा की राह पर चल पड़ी है। यहां भाजपा के तीन गुट हो गए हैं। बीते दिनों भाजपा ने गौतमबुद्ध नगर में अपनी ताकत दिखाने के लिए ताबड़तोड़ कई कार्यक्रम किए। भीड़ भी खूब जुटी, भाजपा के लिए माहौल भी बना, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दादरी में 22 सितंबर और इससे पहले उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के कार्यक्रम में जिस तरह से पर्दे के पीछे चल रही गुटबाजी खुलकर सामने आई, उसने पार्टी को कहीं न कहीं कमजोर किया है।

तेजपाल नागर को लगा झटका

इसका पहला खामियाजा दादरी विधायक तेजपाल नागर को भुगतना पड़ा। वह प्रदेश सरकार में मंत्री बनते-बनते रह गए। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आए थे गुर्जरों को साधने, लेकिन सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा से गुर्जर शब्द हटाए जाने से मामला भाजपा के लिए उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है। सरकार और भाजपा के लोग सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा अनावरण विवाद को शीघ्र नहीं सुलझा पाए तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। किसान आंदोलन की वजह से जाट पहले से नाराज हैं। अब गुर्जरों की नाराजगी खेल बिगाड़ सकती है।

भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है ताजा विवाद

मिहिर भोज की प्रतिमा से गुर्जर शब्द हटाए जाने के विरोध में गुर्जरों ने 26 सितंबर दादरी में भाजपा और उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ गुर्जर स्वाभिमान रैली की। इसमें देशभर के गुर्जर बड़ी संख्या में एकत्र हुए। सभी का सीधा निशाना भाजपा और प्रदेश सरकार थी। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह भाजपा के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा।

राजपूत बनाम गुर्जर हो गया मामला !

दरअसल, सारा विवाद दादरी के मिहिर भोज पीजी कालेज में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा अनावरण से शुरू हुआ। गुर्जरों ने मिहिर भोज को अपना वंशज बताते हुए प्रतिमा लगवाने की घोषणा की, इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बुलाया गया। वहीं राजपूत समाज ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा कि सम्राट मिहिर भोज राजपूत थे। लोगों की नजरों में तो यहीं से विवाद शुरू हुआ, लेकिन शुरुआत दादरी विधायक तेजपाल नागर द्वारा गुर्जर विद्या सभा के साथ मिलकर मुख्यमंत्री का कार्यक्रम लेने के साथ शुरू हो गई थी।

भाजपा में बन गए तीन धड़े

सूत्रों की मानें तो जिले में गुटबाजी का केंद्र बिंदु सत्ता के तीन धड़े हैं। पिछले लंबे समय से यह गुटबाजी जिले के भाजपा के शीर्ष नेताओं में पर्दे के पीछे चलती आ रही थी। पार्टी से जुड़े सभी नेता धन-बल से सम्पन्न हैं। सभी एक दूसरे को नीचा दिखाने से पीछे नहीं हैं। जिसको जहां मौका मिलता है, वार कर देता है।

पत्थर पर गायब हुए कई दिग्गजों के नाम

22 सितंबर को मुख्यमंत्री का दादरी में कार्यक्रम स्थानीय विधायक तेजपाल नागर ने गुर्जर विद्या सभा की ओर से रखवाया। कार्यक्रम में भीड़ भी अच्छी खासी रही। इससे पार्टी का संदेश बहुत अच्छा जाना चाहिए था, जबकि हुआ उल्टा। गुटबाजी के चलते कार्यक्रम हुआ खराब हो गया। नोएडा विधायक पंकज सिंह ने गुटबाजी से दूरी बना रखी है। इसी वजह से वह जिले के किसी भी पार्टी के मामले में दखल नहीं देते। गुटबाजी की स्थिति यह रही कि मिहिर भोज की प्रतिमा के लिए लगाए गए पत्थर पर सांसद महेश शर्मा, जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह व एमएलसी श्रीचंद शर्मा का नाम तक नहीं लिखा गया।

बताया जाता है कि दादरी विधायक, सांसद महेश शर्मा का नाम प्रतिमा के शिलालेख पर लिखवाना चाहते थे। सूत्रों की मानें तो राज्यसभा सदस्य व भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र नागर गुट ने महेश शर्मा का नाम पत्थर पर नहीं लिखवाने दिया। हालांकि, सुरेंद्र नागर गुट धीरेंद्र सिंह का नाम पत्थर पर लिखवाना चाहते थे। जब महेश शर्मा का नाम नहीं लिखा गया तो विधायक तेजपाल ने जेवर विधायक के नाम पर अड़ंगा लगा दिया। यदि पूर्व की स्थिति देखें तो सांसद महेश शर्मा के यहां जब-जब कार्यक्रम हुए तो उन्होंने सभी गुर्जर नेताओं के नाम शिलालेखों पर लिखवाए थे। सुरेंद्र नागर का भी नाम भी कैलाश अस्पताल के उद्घाटन अवसर पर लगाए गए पत्थर पर लिखा है। उस समय नागर एमएलसी थे।

सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन धूम मानिकपुर में शिक्षक सम्मेलन हुआ, उसमें डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा आए थे। उसमें सुरेंद्र नागर को तवज्जो नहीं मिली थी। यहीं से गुटबाजी बढ़ गई। इतना ही नहीं, जिस दिन डिप्टी सीएम का कार्यक्रम था, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और एमएलसी अरविंद शर्मा भी ग्रेटर नोएडा आए थे। उन्होंने भूमिहार और त्यागी समाज के जरिये भाजपा की ताकत दिखाई थी। इस कार्यक्रम में भी सुरेंद्र नागर को जगह नहीं दी गई थी।

कहा यह भी जा रहा है कि गुर्जर विद्या सभा का कार्यक्रम तेजपाल नागर ने रखा था। मुख्यमंत्री के आने का श्रेय विधायक तेजपाल नागर को न जाने पाए, इसी को लेकर गुटबाजी हावी रही। तेजपाल नागर कार्यक्रम की अध्यक्षता गुर्जर विद्या सभा में अहम स्थान रखने वाले पूर्व मंत्री नरेंद्र भाटी से कराना चाहते थे, पहले से अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे सुरेंद्र नागर गुट ने इसका विरोध किया। नतीजा यह रहा कि नरेंद्र भाटी सभा के अहम किरदार होने के बाद भी उन्हें कार्यक्रम में स्थान नहीं दिया गया। इसकी भनक जैसे ही नरेंद्र भाटी को मिली उन्होंने कार्यक्रम से दूरी बना ली। विधान परिषद सदस्य श्रीचंद शर्मा को मंच पर जगह नहीं मिल पाई। यह भी गुटबाजी के कारण ही हुआ।

क्षेत्रीय समिति के मंत्री आशीष वत्स ने श्रीचंद शर्मा के लिए जगह छोड़ दी तो कमांडो ने आशीष को मंच से उतार दिया। गौतमबुद्ध नगर जिले में जितने भी कार्यक्रम हुए सभी भाजपा को मजबूत करने के लिए किए गए। पर मामला उल्टा पड़ गया। गुटबाजी ने पार्टी की छवि को भारी नुकसान पहुंचाया है। गुटबाजी का ही नतीजा रहा कि न तो तालमेल बना, न ही सामंजस्य और न ही नेताओं की एक राय बन पाई।

पार्टी के नीति नियंता यह मानकर चल रहे थे कि जो जाट किसान नेता पार्टी के विरुद्ध जाने का प्रयास कर रहे हैं, गुर्जरों को उनके विकल्प के रूप में खड़ा किया जाए। यहां गुर्जरों को साधना गुटबाजी की भेंट चढ़ गया। मुख्यमंत्री को भी सच्चाई से अवगत नहीं कराया गया। गुटबाजी के कारण एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए ऐसा माहौल बना दिया गया कि भाजपा को यह सब भारी पड़ता नजर आ रहा है।

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