कोरोना की जंग में बांट रही जीवन की आशा, पढ़िए सुमन लता की कहानी

सेक्टर-49 बरौला की रहने वाली सुमन लता। वह अपने हुनर ज्ञान और क्षमता के अनुसार कोरोना को हराने में समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जुटी हुई हैं। कोरोना के मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या के बावजूद जान जोखिम में डाल कर दिन-रात सेवाएं दे रही हैं।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sat, 12 Dec 2020 03:59 PM (IST) Updated:Sat, 12 Dec 2020 03:59 PM (IST)
कोरोना की जंग में बांट रही जीवन की आशा, पढ़िए सुमन लता की कहानी
आशा कार्यकर्ता के तौर पर कार्यरत सुमन लता पांच वर्षों से काम कर रही हैं।

नोएडा, पारुल रांझा। एक तरफ जहां कोरोना महामारी के चलते हर इंसान चिंतित है। वहीं, ऐसी परिस्थितियों में डॉक्टरों की टीम के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ता भी अपना फर्ज बखूबी निभा रही हैं। इन्हीं में एक हैं सेक्टर-49 बरौला की रहने वाली सुमन लता। वह अपने हुनर, ज्ञान और क्षमता के अनुसार कोरोना को हराने में समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जुटी हुई हैं। कोरोना के मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या के बावजूद जान जोखिम में डाल कर दिन-रात सेवाएं दे रही हैं। इनका कार्य भले ही कई मामलों में चुनौतीपूर्ण है, लेकिन पारिवारिक समस्याओं को दरकिनार कर, सामाजिक असहयोग का सामना करते हुए लोगों को इस महामारी से बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ती।

स्वयं से ज्यादा समाज की परवाह

पिछले पांच वर्षों से आशा कार्यकर्ता के तौर पर कार्यरत सुमन लता बताती है कि आमतौर पर उनका काम जन्म से पहले और बाद में नवजात की देखभाल, परिवार नियोजन और बुनियादी बीमारियों का इलाज व टीकाकरण के लिए लोगों का प्रोत्साहन आदि का होता है। लेकिन, कोरोना के चलते जिम्मेदारियां बढ़ गई है। वह रोज झुग्गी-झोपड़ियों व ग्रामीण इलाकों में घर-घर जाकर लोगों को साफ-सफाई और घर में रहने की नसीहत देती है। लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करने के साथ उनका हालचाल लेती है। साथ ही शारीरिक दूरी का पालन करने और मास्क लगाने के फायदे के बारे में जानकारी देती है। ग्रामीणों के बीच एक पुल का काम करते हुए सर्वे के दौरान उन्हें संक्रमण का खतरा तो होता है, लेकिन उन्हें स्वयं से ज्यादा समाज की परवाह है। कोरोना से जंग जीतने की उम्मीद के साथ वह अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रही हैं।

दिनभर गांवों में पैदल करती हैं मुआयना

सुमन बताती है कि समाज के लिए कुछ करने की चाह बचपन से ही उनके मन में थी और लोगों की सेवा का इससे बेहतर मौका कोई नहीं है। सुबह घर के काम निपटाती हैं, अपने बच्चों को घर में छोड़ कर चिलचिलाती धूप में दिनभर गांवों में पैदल मुआयने पर निकल जाती हैं। सर्वे के दौरान उन्हें कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। कोरोना के प्रति डर के चलते कई लोग पूरी जानकारी देने से भी कतराते हैं। लोग तरह-तरह के सवाल करने लगते हैं। बावजूद परेशानियों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें केवल लोगों की सुरक्षा की चिंता रहती है। इसलिए स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ले कर अपना कार्य पूरा करती हैं। शाम को घर लौटने के बाद परिवार से दूरी बनाकर रखती हैं।

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