NOIDA Coronavirus Alert ! कोरोना संक्रमण के साथ खराब हो रहे फेफड़े, जानें- डॉक्टर ने क्या कहा

NOIDA Coronavirus Alert ! 80 फीसद संक्रमितों की मौत खून के थक्के जमने और हृदयघात से बताई जा रही है। वहीं 20 फीसद संक्रमितों के फेफड़ों में फाइब्राइड बनने और ऑक्सीजन न मिल पाने से मल्टी आर्गन व श्वांस तंत्र खराब होने के बाद दिल का दौरा पड़ रहा है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 09:27 AM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 09:07 PM (IST)
NOIDA Coronavirus Alert ! कोरोना संक्रमण के साथ खराब हो रहे फेफड़े, जानें- डॉक्टर ने क्या कहा
NOIDA Coronavirus Alert ! इन 2 वजहों से हो रही है 80 फीसद कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत

नोएडा, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस संक्रमण के तेजी से फैलने के साथ ही लोगों के फेफड़े भी खराब कर रहा है। कोरोना की चपेट में आने वाले 80 फीसद संक्रमितों की मौत का कारण खून के थक्के जमने और हृदयघात से बताई जा रही है। वहीं, 20 फीसद संक्रमितों के फेफड़ों में फाइब्राइड बनने और ऑक्सीजन न मिल पाने से मल्टी आर्गन व श्वांस तंत्र खराब होने के बाद दिल का दौरा पड़ रहा है। यहीं कारण है कि अप्रैल से अब तक जिले में 236 लोग कोरोना संक्रमण से दम तोड़ चुके हैं।

नोएडा सेक्टर-39 स्थित कोविड अस्पताल के एनेस्थेटिक चिकित्सक डॉ. तृतीय कुमार सक्सेना ने बताया कि धमनियों में खून के धक्के जमने से रिकवर न होने वाले कोरोना संक्रमितों की भी मौत हो रही है। बताया कि अस्पताल में भर्ती सभी संक्रमित ऑक्सीजन सपोर्ट पर भर्ती है। संक्रमण फेफड़ों को खराब कर रहा है और निमोनिया के मरीज बढ़ गए हैं। कई बार संक्रमित देरी से भी अस्पताल पहुंचते हैं। इलाज में देरी से निमोनिया की शिकायत बढ़ जाती है। ऐसे में इन्हें बचाना मुश्किल हो रहा है। खास यह भी है कि रेमडेसिविर समेत अन्य जीवनरक्षक दवाइयां भी इस स्टेज में किसी काम की नहीं होती। अस्पताल में प्रत्येक गंभीर संक्रमित को रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जा रहा है, लेकिन रेमडेसिविर का असर मध्यम संक्रमितों पर ही पड़ता है। एल-3 संक्रमितों पर दवा का प्रभाव नहीं पड़ रहा है। इससे फेफड़े (फाइब्राइड) फाइबर में बदलने लगते हैं। ऑक्सीजन सेचुरेशन कम होना शुरू हो जाता है। इसे मशीनों से नियंत्रित करना मुश्किल होता है। 

उन्होंने बताया कि इससे धीरे-धीरे लिवर, किडनी, मस्तिष्क, दिल पर असर पड़ता है और कार्डियक अरेस्ट की संभावना बढ़ जाती है। को-मार्बिड यानी गंभीर बीमारियों से पीड़ित संक्रमितों को इसका ज्यादा खतरा है। खून के धक्के जमने की शिकायत युवाओं में ज्यादा हो रही है। इसका कारण धूमपान व अधिक शराब का सेवन भी हो सकता है, इसलिए ऑक्सीजन सेचुरेशन 93 से कम होते ही भर्ती होने के लिए अस्पताल की तलाश शुरू कर देनी चाहिए।

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