जोगिया द्वारे-द्वारे: सत्येंद्र सिंह
बरोदा विधानसभा सीट का उपचुनाव मनोहर सरकार के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं। सत्ता में रहकर उपचुनाव में कमल नहीं खिला तो संदेश गलत जाएगा।
गुरुग्राम से बरोदा भेजे योद्धा
बरोदा विधानसभा सीट का उपचुनाव मनोहर सरकार के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं। सत्ता में रहकर उपचुनाव में कमल नहीं खिला तो संदेश गलत जाएगा। ऐसी स्थिति आए ही नहीं इसके लिए पार्टी ने पूरी ताकत लगा दी है। गुरुग्राम से चुनावी योद्धा भेजे गए हैं। उन्हें ही चुना गया जो चुनावी समर में असर दिखा सकते हैं। वर्ग विशेष व युवाओं को अधिक तरजीह दी गई। सभी को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने पार्टी जिला अध्यक्ष गार्गी कक्कड़ की मौजूदगी में विजयी भव का संदेश देकर रवाना किया। दूसरी ओर गुरुग्राम में रह रहे बरोदा के मूल निवासियों से भी संपर्क कर उन्हें अपना सिपहसालार बनाने का प्रयास किया जा रहा है। यह काम पार्टी ने उन अनुभवी नेताओं को सौंपा है जो बेदाग छवि व अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं। इन नेताओं ने लोगों के घरों की घंटी बजाना भी शुरू कर दिया है।
हाय-तौबा के बाद राहत
कुछ दिन पहले कई सोसायटियों में जेनरेटर बंद किए गए तो हायतौबा मच गई। फेसबुक और ट्विटर शिकायतों से भर गए। अधिकारियों ने तो प्रदूषण से शहर को राहत देने के लिए कदम उठाया था, लेकिन बाजी उल्टी पड़ती देख बैकफुट पर आना पड़ा। हां, सीधे नहीं तो घुमाकर राहत दे दी गई। बिल्डरों से अंडरटेकिग ले ली गई कि सोसायटी के लिए वे कागजी कार्यवाही पूरी कर लें और निर्माण स्थल पर बिजली का स्थायी कनेक्शन ले लें। बीच में पिस गए निवासी। लगातार मांगों के बाद बिल्डरों ने तीन-पांच कर यह अनुमति ले ली कि उन्हें जेनरेटर चलाने दिया जाए। लेकिन निवासी अब भी परेशान हैं कि राहत केवल एक महीने के लिए है। आगे फिर वही स्थिति होगी क्योंकि कई सोसायटियों में अभी तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है फिर भी वह अस्थायी पजेशन देकर निर्माण के लिए दिए गए कनेक्शन से ही काम चला रहे थे। आयोग के जगाने पर जागे अधिकारी
नगर निगम के कुछ अधिकारी अपनी कार्यशैली के लिए किसी परिचय के मोहताज नहीं। उनके काम करने का अंदाज निराला है। कोई आयोग आदेश दे या अदालत का फैसला, चलना उनको अपनी ही चाल है। जर्जर इमारतों को चिह्नित करने का मामला इसकी बानगी है। अफसर हरियाणा मानवाधिकार आयोग की फटकार के बावजूद डेढ़ साल बाद भी शहर की जर्जर इमारतों को नहीं ढूंढ पाए हैं। दरअसल गांव उल्लावास में एक बहुमंजिला इमारत ढहने के कारण कई लोगों की मौत होने व 2019 में सेक्टर 13 में भी एक इमारत ढहने से हुए हादसे पर हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया था। आयोग ने गुरुग्राम नगर निगम से ऐसी खतरे वाली इमारतों को चिह्नित करने व कार्रवाई करने की रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) नहीं मिलने पर अब दोबारा निगम से इस बारे में रिपोर्ट मांगी गई है। देखना है कि रिपोर्ट कब तैयार होती है। सोते रहे अधिकारी मलबे का बना पहाड़
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अफसरों को विभागीय जमीन की चिता नहीं है। अगर होती तो सेक्टर 37 में पड़ी कई एकड़ जमीन पर मलबे का पहाड़ नहीं खड़ा हो जाता। प्राधिकरण के अधिकारियों कीे सुस्ती का लाभ नगर निगम के अफसरों ने उठाया। बंधवाड़ी में कूड़ा जाना बंद हो गया तो सेक्टर 37 में मलबा व कूड़ा डलवाना शुरू कर दिया। आसपास के क्षेत्र में बदबू से परेशानी हुई तो लोगों ने प्रशासन को चेताया, जिसके बाद पता चला जगह तो शहर का विकास कर चमकाने वालों की है। नगर निगम का वहां कुछ भी नहीं। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अफसरों को अपनी जगह की चिता ही नहीं थी। लोगों ने हाय-तौबा मचाई तो साइट पर जाकर देखा तो मलबे का पहाड़ बन चुका था, जिसे हटवाने में लाखों की रकम लगेगी। वहीं नगर निगम वालों ने पल्ला झाड़ लिया कि उनकी ओर से मलबा नहीं डाला गया।