निवेशकों को बिल्डर परियोजनाओं में कब्जा मिलने की बढ़ी उम्मीद

जागरण संवाददाता ग्रेटर नोएडा बिल्डर परियोजनाओं में फंसे हजारों निवेशकों को सुप्रीम

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 08:26 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 08:26 PM (IST)
निवेशकों को बिल्डर परियोजनाओं में कब्जा मिलने की बढ़ी उम्मीद
निवेशकों को बिल्डर परियोजनाओं में कब्जा मिलने की बढ़ी उम्मीद

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : बिल्डर परियोजनाओं में फंसे हजारों निवेशकों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बड़ी राहत मिल सकती है। प्राधिकरण के हजारों करोड़ के कर्ज तले दबे बिल्डरों को भारी भरकम ब्याज से राहत मिल गई है। प्राधिकरणों को बिल्डरों से वही ब्याज वसूल करना होगा, जिसकी गणना प्रदेश सरकार के फार्मूले के तहत एसबीआइ की ब्याज दर पर की जाएगी। प्राधिकरण को बिल्डरों पर ब्याज की गणना तीन माह में करनी होगी और बिल्डर बकाया राशि का 25 फीसद भुगतान तीन माह में करेगा। शेष राशि बिल्डरों को एक साल में भुगतान करनी होगी।

प्राधिकरण की देय राशि पर आवंटियों से वसूले जाने वाले ब्याज की दर तय करने के लिए प्रदेश सरकार ने फार्मूला तय किया है। एसबीआइ के एमसीएलआर को आधार बनाते हुए प्राधिकरण की ब्याज दरें तय होंगी। इसके तहत प्राधिकरणों ने ब्याज दरों को पुनर्निर्धारित करते हुए एक जुलाई से इसे साढ़े आठ फीसद कर दिया है, लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने इन ब्याज दरों का लाभ बिल्डर एवं ग्रुप हाउसिंग को नहीं दिया था।

बिल्डर इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। कोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश दिया है कि प्राधिकरण के सभी लीज धारकों पर ब्याज दरों में समानता होगी। उनके पूर्व के बकाया और एरियर का भुगतान भी इसके आधार पर होगा। यह दरें एक जनवरी 2010 से प्रभावी मानी जाएंगी। इसके साथ ही भविष्य की देय राशि की ब्याज दर भी एसबीआइ के एमसीएलआर के आधार पर तय होंगी। कोर्ट ने प्राधिकरण को यह भी आदेश दिया है कि वह एक माह में बकाया धनराशि का आकलन करे। आदेश के तीन माह में बिल्डरों को बकाया राशि का 25 फीसद प्राधिकरण को भुगतान करना होगा और शेष रकम आदेश के एक वर्ष के भीतर भुगतान करनी होगी। परियोजनाओं का काम शुरू होने की बढ़ेगी उम्मीद

ब्याज दर तय होने से प्राधिकरण के कर्ज के बोझ तले दबे बिल्डरों को फायदा होगा। ब्याज दर कम होने से उनकी बकाया रकम कम हो जाएगी। इससे बिल्डरों के लिए इसका भुगतान करना आसान हो जाएगा। डिफॉल्टर की श्रेणी से बिल्डरों को बाहर आकर बैंक से ऋण मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी। इससे बिल्डर अपनी परियोजनाओं को पूरा कर सकेंगे और वर्षो से कब्जे का इंतजार कर रहे हजारों निवेशकों को फायदा मिलेगा। प्राधिकरण को भी होगा फायदा

बिल्डरों पर प्राधिकरण की बड़ी रकम बकाया है। तमाम प्रयास के बावजूद प्राधिकरण बिल्डरों से बकाया रकम वसूल नहीं कर पा रहा है। प्राधिकरण की आर्थिक सेहत भी बिगड़ चुकी है। कोर्ट के आदेश के बाद प्राधिकरण को तीन माह में 25 फीसद बकाया रकम व शेष एक साल में मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।

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