खतरनाक यू टर्न व खराब लेन मार्किंग बन रही हादसे की वजह

रजनी कान्त मिश्र नोएडा गौतमबुद्ध नगर में बढ़ते यातायात को व्यवस्थित करने के लिए जगह-जगह बना

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 09:00 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 09:00 PM (IST)
खतरनाक यू टर्न व खराब लेन मार्किंग बन रही हादसे की वजह
खतरनाक यू टर्न व खराब लेन मार्किंग बन रही हादसे की वजह

रजनी कान्त मिश्र, नोएडा :

गौतमबुद्ध नगर में बढ़ते यातायात को व्यवस्थित करने के लिए जगह-जगह बनाए गए यू टर्न ही अब सुरक्षित यातायात में बाधक बनने लगे हैं। अधिकांश जगहों पर बने यू-टर्न के पास लोग हादसे का शिकार हो जा रहे हैं। जाम से मुक्ति के लिए अधिकांश चौराहों को बंद कर उसके आस-पास के क्षेत्र में यू-टर्न तो बनाए गए, लेकिन इसकी वजह से वहां सड़कें काफी संकरी हो गई हैं। इसकी वजह से खासकर रात व धुंध के समय विजविलटी कम होने पर काफी संख्या में सीधे जाने वाले लोग भी यू-टर्न में चले जाते हैं या यू टर्न में टकरा जाते हैं। यू टर्न के पास सड़क संकरी होने से भी लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है और वहां जाम लगता है। व्यवस्थित लेन मार्किंग नहीं होना भी खतरनाक

शहर की सड़कों पर व्यवस्थित लेन मार्किंग नहीं होना भी हादसों का कारण बन रहा है। सड़क सुरक्षा के लिए काम करने वाली एनजीओ ट्रैक्स के अध्यक्ष अनुराग कुलश्रेष्ठ की माने तो सुरक्षित यातायात के लिए सड़कों पर लेन मार्किंग अति आवश्यक होती है, लेकिन नोएडा ग्रेटर-नोएडा में सपाट सड़कों पर लेन मार्किंग अधिकांश जगह या तो है नहीं, कुछ जगहों पर है तो व्यवस्थित नहीं है। खासकर यू टर्न के आस-पास तो स्थिति और खतरनाक है। इसके अलावा जिले की सड़कों पर चलने वाले पैदल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर ध्यान नहीं दिया जाता है। व्यवस्थित फुटपाथ नहीं होने से लोग सड़क पर चलने लगते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं। सड़कों के किनारे लग रही दुकानें भी हैं खतरनाक

नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे से लेकर जिले की अधिकांश सड़कों के किनारे जगह-जगह रेहड़ी, ठेली व बुग्गी पर दुकानें सज रही हैं। सड़कों के किनारे लोग अपने वाहन खड़े कर खरीदारी करने लगते हैं। जिससे हादसे का खतरा बना रहता है। इसके लिए अभियान चलाकर कार्रवाई करने की जरूरत है। खासकर कोहरे और धुंध के समय ये दुकानें और खतरनाक हो सकती हैं। कोहरे और धुंध के समय स्पीड लिमिट और कम करने की जरूरत

गौतमबुद्ध नगर के दो प्रमुख मार्ग नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे और यमुना एक्सप्रेस वे पर गाड़ियां तेज रफ्तार से दौड़ती है। इन मार्गों पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तर कार के लिए तय है, लेकिन यही रफ्तर कोहरे और धुंध के समय खतरनाक साबित होते हैं। इस दौरान विजिविलटी कम होने से दिक्कत होती है। एक्सपर्ट की माने तो इस समय के लिए एक्सप्रेस वे पर वैरियर स्पीड साइन बोर्ड लगाने की जरूरत है। जिससे लोग जागरूक हों और कोहरे व धुंध के समय रफ्तर पर लगाम लग सके।

--

ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिए नोएडा-ग्रेटर नोएडा की सड़कों पर जगह-जगह यू टर्न बनाए गए, लेकिन मानक के अनुसार नहीं बनने से वह हादसे का कारण बन रहे हैं। वहीं जिले में पैदल यात्रियों के लिए व्यवस्थित फुटपाथ, सड़क पार करने के लिए सही तरीके से जेब्रा क्रासिग बनाने के साथ सड़क बनाने के दौरान रोड इंजीनियरिग पर विशेष जोन देने की जरूरत है। जिससे हादसों को रोका जा सके। प्राधिकरण व प्रशासन को इन पर ध्यान देने की जरूरत है।

अनुराग कुल श्रेष्ठ, अध्यक्ष, ट्रैक्स, रोड सेफ्टि एनजीओ

--

गौतमबुद्धनगर के 33 ब्लैक स्पाट, जहां हुए सबसे अधिक हादसे

महामाया प्लाइओवर एक्सप्रेस-वे, गंदे नाले के पास, एनआइबी चौकी के पास, यूफ्लेक्स के पास सेक्टर-60, सेक्टर-12-22 चौराहा, मोरना बस स्टैंड, एडोब चौराहा, बरौला टी-प्वाइंट, एफएनजी रोड, सेक्टर-74 चौराहा, एक्सप्रेस-वे हाइवे छपरौली कट, सेक्टर-63 एबीसीडी चौराहा, सेक्टर-93-बी पंचशील, हनुमान मंदिर चौराहे के पास, बिसरख रोड, पटवारी बाग, धूममानिकपुर, तिलपता चौक, मुख्य सड़क देवला, हल्दौनी मोड़, कच्ची सड़क, हौंडा चौक, एटीएस गोल चक्कर, चुहडपुर अंडरपास, पी-3 गोल चक्कर, सिग्मा गोल चक्कर, जीरो प्वाइंट, एलजी चौक, आरवी आर्थलैंड तिराहा, जेपी स्पो‌र्ट्स सिटी एक्सप्रेस-वे, यमुना एक्सप्रेस-वे जीरो प्वाइंट, ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे।

-- गाजियाबाद का इनपुट - गाजियाबाद के 16 ब्लाक स्पाट पर होते हैं हादसे -

गाजियाबाद में 16 ब्लैक स्पाट हैं। ब्लैक स्पाट पर आए दिन हादसे होते रहते हैं। एनएच 9, जीटी रोड व मेरठ रोड पर ज्यादा ब्लैक स्पाट हैं। मसूरी गंगनहर के पास का ब्लैक स्पाट बहुत खतरनाक है। यहां पर तो दिशा सूचक बोर्ड भी नहीं है। कुछ दिन पहले यहां पर एक कार गंगनहर में गिर गई थी। जिसमें तीन कार सवार युवकों की मौत हो गई थी। यातायात नियमों का सख्ती से लागू नहीं होने के कारण भी ब्लैक स्पाट पर हादसे होते हैं। लोग विपरीत दिशा में वाहन चलाते हैं। सड़क की बनावट से भी कई जगह ज्यादा हादसे होते हैं। जनपद में ट्रैफिक सिग्नल तो सभी काम कर रहे हैं। मेरठ रोड पर जगह-जगह डिवाइडर टूटे हुए हैं। लोग अपनी मर्जी से किसी भी डिवाइडर से वाहन निकाल देते हैं। जिस वजह से हादसा हो जाता है। वहीं मेरठ रोड पर रैपिड रेल का काम चल रहा है। इस वजह से मेरठ रोड का चौड़ीकरण किया गया है। सड़क तो बना दी गई है, मगर रिफ्लेक्टर नहीं लगाए गए हैं। जीटी रोड पर डासना, मसूरी और मेरठ रोड पर मुरादनगर, मोदीनगर व मोरटा में सड़क के किनारे आबादी है। लोग सड़क पर अपने वाहन खड़े कर देते हैं। कई बार सड़क पर पशु आ जाते हैं। मुरादनगर, मोदीनगर और मसूरी थाने के बाहर हाईवे किनारे क्षतिग्रस्त वाहन खड़े हुए हैं। इनसे भी हादसा होने का खतरा रहता है।

--

हापुड़ का इनपुट - चकाचक सड़कों पर रफ्तर बन रही खतरनाक -

हापुड़ में वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्गों की स्थिति बेहतर और सड़कों के चकाचक होने के कारण वाहनों की रफ्तार बढ़ गई है। इस कारण सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। लोक निर्माण विभाग और एनएचएआइ की सड़कों के बीच कई जगह ऐसी हैं, जहां सड़क दुर्घटनाएं होने के कारण ब्लैक स्पाट चिन्हित दिए गए हैं। हालांकि, जिले में वर्ष 2018 में 11 ब्लैक स्पाट हुआ करते थे, जो वर्ष 2019 में घटकर 7 रह गए। जिन स्थानों पर आज भी ब्लैक स्पाट हैं। वहां पर मोड़ को अधिक घुमावदार बनाना, तेज रफ्तार, लापरवाह ड्राइविग, चालक की लापरवाही, रास्ता अधिक घूमने के कारण और चालक की उपेक्षा को सड़क दुर्घटनाओं का कारण माना जाता है। जिनमें बदलाव को लेकर अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। यही कारण है कि यहां सड़क दुर्घटनाएं अधिक होती हैं। पिलखुवा में सिखैड़ा बम्बा, धौलाना में कंदौला गेट के सामने, हापुड़ नगर में बालाजी मंदिर, अंबेडकर चौराहा, रामपुर मोड़, गढ़मुक्तेश्वर में स्याना चौराहा फाटक के पास और बहादुरगढ़ में गांव सलारपुर के निकट ब्लैक स्पाट बनाए गए हैं। इन स्थानों पर रिफ्लेक्टर आदि की उचित व्यवस्था भी नहीं है। जबकि, करीब एक किलोमीटर पहले ही चेतावनी का बोर्ड लगा होना चाहिए। इसके अलावा शहर में ट्रैफिक सिग्नल खराब पड़े हुए हैं। यहां तक कि जरूरी दिशा-निर्देश को लेकर भी जगह-जगह बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। इसी प्रकार लोक निर्माण विभाग के डिवाइडर पर रिफ्लेक्टर न लगे होने के कारण भी सड़क दुर्घटनाएं हो सकती हैं। यहां तक कि सूचना पट पर यातायात नियमों को लेकर भी जागरूकता की कमी है। वहीं, राजमार्गों के किनारे से गांवों को रास्ता जाता है। यहां पर ही सूचना चिह्न की कमी है। रात्रि में यहां सड़क दुर्घटनाएं अधिक होती हैं। इसके अलावा सड़क किनारे खड़े रहने वाले वाहनों के कारण पहले जनपद में हादसे हुआ करते थे लेकिन, अब खराब वाहनों को तुरंत की सड़कों से हटवा दिया जाता है।

लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता जोध कुमार का कहना है कि जिले में खराब सड़कों के कारण सड़क दुर्घटनाएं न के बराबर होती हैं। जहां पर लंबे और घुमावदार मोड़ हैं, उन्हें दुरुस्त कराया जा रहा है। वहां रिफ्लेक्टर आदि लगाए गए हैं।

chat bot
आपका साथी