नृत्य-संगीत से संवर रहा झुग्गीवासी बच्चों का बचपन
वर्तमान दौर में नृत्य संगीत न सिर्फ मनोरंजन बल्कि बेहतरीन करियर का भी विकल्प बन रहा है।
पारुल रांझा, नोएडा:
वर्तमान दौर में नृत्य, संगीत न सिर्फ मनोरंजन, बल्कि बेहतरीन करियर का भी विकल्प बन रहा है। दुनियाभर में गीत-संगीत, नृत्य व थियेटर के प्रति आकर्षण बढ़ा है। इन कलाओं से देश का नाम तो रोशन होता ही है, साथ ही कलाकारों को भी भरपूर शोहरत और पैसा भी मिलता है। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारने में जुटे हैं निठारी के रहने वाले राज। वे वंचित बच्चों को कला और संगीत के क्षेत्र में उभार कर उन्हें अलग-अलग प्रतियोगिताओं में हिस्सा दिलाने में मदद करते है। उनका कहना है कि केवल पढ़ाई ही बच्चों को आगे बढ़ने, जिदगी में कुछ नया करने का मौका नहीं देती है। उनकी अदंर छुपी प्रतिभाओं को बाहर निकालकर भी भविष्य संवारा जा सकता है।
पेशे से डांसर 18 वर्षीय राज बताते है कि एक डांसर के लिए उसका नृत्य ही उसकी जिदगी होता है। जैसे ही संगीत बजता है, पैर खुद-ब-खुद थिरकने लगते हैं। बचपन से डांस को अपना जुनून बना लिया था। अपने इस हुनर से झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को नृत्य के क्षेत्र में आगे बढ़ाने की सोची। इसके बाद से ऐसे बच्चों की तलाश कर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने में जुटे हैं। अपने ही गांव में वंचित बच्चों के निश्शुल्क विद्यालय पहल एक पाठशाला के सहयोग से निश्शुल्क म्यूजिक एंड थियेटर क्लास की शुरुआत की। इसमें वंचित बच्चों को कला और संगीत के क्षेत्र में उभारने की कोशिश होती है। साथ ही बच्चों को अलग-अलग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। छात्राओं को निश्शुल्क आत्मरक्षा के गुर भी सिखाए जाते हैं। रचनात्मकता बढ़ाना ही मुख्य उद्देश्य:
राज बताते है कि उनका उद्देश्य है कि वे किसी भी स्तर पर बच्चों में रचनात्मकता बढ़ा सकें। इसमें कई चुनौतियां भी आती हैं, लेकिन ²ढ़ संकल्प से ये सामने नहीं टिकतीं। कोरोना महामारी के दौर में जब बच्चे घरों पर है, तब भी फोन व वीडियो काल से लगातार बच्चों के संपर्क में रहते है। वे अन्य बच्चों को भी नृत्य व संगीत के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके अलावा शहर के ग्रामीण इलाकों में बच्चों को संगीत और नाट्य के लिए जागरूक भी करते हैं। वे बताते है कि भविष्य में अन्य इलाकों में भी नृत्य क्लास की शुरुआत होगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रतिभाओं को उभारा जा सके।