कालम-हाल ए प्रशासन

आश्वासन में दिखी उम्मीदें मौका था विश्व दिव्यांग दिवस का। सरकार के आदेश पर प्रशासन के अधिका

By JagranEdited By: Publish:Mon, 04 Jan 2021 07:31 PM (IST) Updated:Mon, 04 Jan 2021 07:31 PM (IST)
कालम-हाल ए प्रशासन
कालम-हाल ए प्रशासन

आश्वासन में दिखी उम्मीदें

मौका था विश्व दिव्यांग दिवस का। सरकार के आदेश पर प्रशासन के अधिकारियों ने दिव्यांगों को ट्राइ साइकिल का उपहार दिया। आम आदमी को नेता व अधिकारी एक साथ मिल जाएं, ऐसा संयोग कम ही बनता है। संयोग बना तो मन की बात सामने आनी ही थी। विधायक धीरेंद्र सिंह व जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने परिचय प्राप्त करने के बाद दिव्यांगों का कुशलक्षेम, आय का साधन व यह भी जाना कि उन्हें काई समस्या तो नहीं है। दिव्यांगों ने उपहार पर आभार जताया। छपरौली गांव निवासी राधेश्याम व रायपुर बांगर गांव निवासी कविता व कुछ अन्य धीरे से बोले, साहब पेंशन भी दिलवा देते तो अच्छा होता। जिलाधिकारी ने कहा कि आवेदन कीजिए, मिल जाएगी। जवाब मिला, साहब दो-तीन बार आवेदन कर लिया। अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। पास खड़े विभागीय अधिकारियों के माथे पर बल पड़ा। जिलाधिकारी ने कार्रवाई का आदेश दिया। आश्वासन में दिव्यांगों को उम्मीदों की किरण दिखी है। अकेला चना भी भाड़ फोड़ सकता है

वर्षों से ये कहावत चली आ रही है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता। वहीं वर्षों से समाजसेवा का झंडा उठाए सुनील गौतम ने इस कहावत को बदल दिया है। शिक्षित कम हैं, तो क्या हुआ, जानकारी पूरी रखते हैं। सरकारी स्कूल में बच्चों को होने वाली पढ़ाई की दिक्कत हो, सरकारी आदेशों को मूर्त रूप न दिए जाने का मामला हो, विभागीय अधिकारियों द्वारा बरती जा रही लापरवाही का मामला हो या आम आदमी की कोई परेशानी। सुनील अकेले ही उसे हल कराने का बीड़ा उठा लेते हैं। प्रशासन, पुलिस, प्राधिकरण सहित अन्य विभागों के अधिकारी उन्हें भली-भांति जानते हैं। सुनवाई न होने पर जिलाधिकारी, कमिश्नर, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, एससी-एसटी आयोग, मानवाधिकार आयोग सहित अन्य कार्यालयों में तत्काल लिखा-पढ़ी शुरू कर देते हैं। ऐसे में ऊपर से होने वाली कार्रवाई से पहले ही अधिकारी समस्या के समाधान में जुट जाते हैं। ..और नहीं मिले वर-वधू

परिवार के बच्चों की शादी के लिए वर या वधू तलाशना मुश्किल भरा होता है। ऐसे में यदि सरकारी शादी के लिए वर-वधू तलाशना पड़े, वह भी 11, तो ठंड में भी पसीना आना लाजमी है। गरीब परिवार की लड़कियों के लिए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना शुरू की है। शादी पर आने वाले खर्च को सरकार वहन करती है। शादी के लिए 11 दिसंबर की शुभ तिथि तय की गई थी। मंडप में 11 जोड़ों का विवाह होना था। दूसरे कार्यों की फाइल आलमारी में बंद कर विभागीय अधिकारी जोड़े की तलाश में जुटे। अधिकारियों के लिए यह जंगल में शेर ढूंढने जैसा मुश्किल वाला काम था। तमाम प्रयास के बाद एक जोड़े को ही तलाश सके। ऐसे में ऊपर से मिली फटकार के बाद कार्यक्रम का निरस्त होना लाजिमी था। भर दिया खजाना

कोविड-19 काल में प्रशासनिक अधिकारियों का पूरा जोर संक्रमितों का उपचार व संक्रमण फैलने से रोकने पर केंद्रित था। दूसरे कार्यों को भी अधिकारियों ने अंजाम दिया, लेकिन प्रमुखता संक्रमण पर रही। संक्रमण काल में अधिकारियों की मेहनत भी दिखी। बकाया राजस्व वसूली का काम लगभग ठंडा पड़ा था। संक्रमण की रोकथाम, लोगों के उपचार व अन्य कार्यों में होने वाले खर्च से सरकारी खजाना खाली हुआ, तो अधिकारियों ने राजस्व वसूली पर जोर देना शुरू कर दिया। छोटे-बड़े बकाएदारों की विस्तृत सूची तैयार की गई। एसडीएम सदर प्रसून द्विवेदी, एसडीएम दादरी अंकित खंडेलवाल व तहसील के अन्य अधिकारियों की टीम ने पूरी तेजी दिखाई। साल समाप्त होते-होते प्रशासन ने अकेले दिसंबर में 15 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व पा लिया। वसूली से सरकारी खजाने को काफी बल मिला। अधिकारियों की भी खूब तारीफ हुई। अन्य लोगों पर बकाया राजस्व वसूलने के लिए भी अधिकारी मुश्तैद हो गए हैं।

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