बाइक बोट के घोटालेबाजों ने जेल में ऐशोआराम के लिए दी रिश्वत

मनीष तिवारी ग्रेटर नोएडा बाइक बोट के नाम पर देश के लगभग सवा दो लाख लोगों से अरबों रुपय

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 09:12 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 09:12 PM (IST)
बाइक बोट के घोटालेबाजों ने जेल में ऐशोआराम के लिए दी रिश्वत
बाइक बोट के घोटालेबाजों ने जेल में ऐशोआराम के लिए दी रिश्वत

मनीष तिवारी, ग्रेटर नोएडा:

बाइक बोट के नाम पर देश के लगभग सवा दो लाख लोगों से अरबों रुपये की ठगी के आरोपित गौतमबुद्ध नगर जिला जेल में भी घूस के दम पर ऐशोआराम की जिदगी जी रहे हैं। जेल में सुविधाओं के लिए जेल प्रशासन को पांच लाख रुपये की घूस दी गई। दो लाख रुपये एक जेल कर्मचारी के परिचित के खाते में और तीन लाख रुपये नकद दिए गए। गुप्त शिकायत के बाद आरोपित सिपाही का स्थानांतरण कर मामले को दबा दिया गया।

बाइक बोट मामले के मुख्य आरोपित संजय भाटी, विजयपाल कसाना, बीएन तिवारी सहित अन्य, लंबे समय से जिला जेल में बंद हैं। ठगी से कमाये अरबों रुपये से आरोपित ऐशोआराम की जिदगी जी रहे थे। आरोपितों ने जेल प्रशासन को रिश्वत देकर सलाखों के पीछे भी अपने लिए सुविधाएं जुटा लीं। जेल प्रशासन की रिश्वत की भूख बढ़ती गई। सूत्रों का दावा है कि जेल प्रशासन ने आरोपितों से सुविधाओं की एवज में पांच लाख रुपये की मांग कर दी। रकम अधिक होने के कारण आरोपितों ने देने से इन्कार कर दिया। दबाव बनाने के लिए जेल प्रशासन ने संजय व अन्य आरोपितों को प्रताड़ित करते हुए तनहाई बैरक में बंद कर दिया था। परेशान होकर आरोपितों ने जेल प्रशासन की मांग पूरी करने पर हामी भर दी। जेल में तैनात एक सिपाही के परिचित के खाते में दो लाख रुपये ट्रांसफर किए गए। तीन लाख रुपये नकद दिए गए थे। रकम मिलने के बाद जेल कर्मचारियों ने आरोपितों को सुविधाएं मुहैया करा दीं। मामला प्रकाश में आने के बाद आरोपित सिपाही का दूसरी जेल में स्थानांतरण कर दिया गया था। इन सुविधाओं के लिए देते थे पैसा

सूत्रों का दावा है कि जेल की लाइब्रेरी में संजय को एक डेस्कटाप कंप्यूटर व इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। शाम को सात बजे के बाद अन्य बंदी लाइब्रेरी से हटा दिए जाते थे। संजय कंप्यूटर व इंटरनेट के जरिये अपने काम को अंजाम देता था। इंटरनेट के जरिये वह अपने लोगों से बात भी करता था। संजय व उसके साथियों को जेल में अलग से बना हुआ भोजन भी उपलब्ध कराया जाता था। जेल परिसर के पीसीओ से लंबी बात करने की सुविधा भी आरोपितों को मुहैया कराई गई थी। परिचितों की संजय से विशेष मुलाकात कराई जाती थी। उसे जेल में कहीं भी बेरोकटोक आने-जाने की अनुमति थी। यह है बाइक बोट मामला

संजय भाटी ने गर्वित इनोवेटिव नाम से कंपनी बनाई थी। लोगों को आफर देते थे कि कंपनी में एक बाइक का 62 हजार रुपये लगाएं और हर माह तकरीबन सात हजार रुपये रिटर्न मिलेगा। आरोपितों ने अपने जाल में उत्तर प्रदेश के साथ ही मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, जम्मू कश्मीर सहित अन्य प्रदेशों के लाखों लोगों को जाल में फंसाया था। लोगों को कुछ माह तक रकम दी । इसके बाद रकम मिलनी बंद हो गई। आरोपितों के खिलाफ गौतमबुद्ध नगर में 70 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। बाइक बोट के आरोपितों को सुविधा देने की एवज में रकम लिए जाने का मामला मेरी जानकारी व कार्यकाल का नहीं है। जेल में सभी आरोपित

सामान्य बंदी की भांति रह रहे हैं। सिपाही का स्थानांतरण अन्य वजह से हुआ था।

-अरुण प्रताप सिंह, जेल अधीक्षक गौतमबुद्ध नगर

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