39 दिन बाद भी आरोपित पुलिसकर्मियों की पहचान नहीं कर पाई गाजियाबाद पुलिस

जागरण संवाददाता नोएडा एक कहावत है शीशे के घरों में रहने वाले लोग दूसरों के घरों

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 07:21 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 07:21 PM (IST)
39 दिन बाद भी आरोपित पुलिसकर्मियों की पहचान नहीं कर पाई गाजियाबाद पुलिस
39 दिन बाद भी आरोपित पुलिसकर्मियों की पहचान नहीं कर पाई गाजियाबाद पुलिस

जागरण संवाददाता, नोएडा : एक कहावत है शीशे के घरों में रहने वाले लोग दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते हैं। गौतमबुद्ध नगर पुलिस के भ्रष्टाचार का खेल उजागर कर वाहवाही लूटने वाली गाजियाबाद पुलिस अपने गिरेबां में झांकने को तैयार नहीं है। दस लाख के चेक पर हस्ताक्षर करवाने वाली इंदिरापुरम कोतवाली पुलिस के पुलिसकर्मियों की पहचान कर कार्रवाई करने के बजाय पिछले 39 दिनों से उनको बचाने का प्रयास किया जा रहा है। सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ नोएडा की फेज तीन कोतवाली में मुकदमा दर्ज है। एक महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद भी उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

बता दें कि बीते 23 अक्टूबर को नोएडा के फेस तीन कोतवाली क्षेत्र निवासी लीलू ने आरोप लगाया था कि इंदिरापुरम कोतवाली पुलिस लीलू, उसके भाई और भतीजे जितेंद्र को एक मामले में उठा कर ले गई और इंदिरापुरम कोतवाली के अंदर दस लाख के चेक पर हस्ताक्षर करने के बाद उन लोगों को छोड़ दिया गया। मामला इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ। इंदिरापुरम कोतवाली के चार अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। मामले में एक वीडियो भी वायरल हुआ। इंदिरापुरम एचएसओ की गाड़ी गढ़ी चौखंडी में लगे सीसीटीवी में कैद हुई। मुकदमा दर्ज होने व घटना के 39 दिन बीतने के बाद भी गाजियाबाद के आलाधिकारी आरोपित पुलिसकर्मियों की पहचान नहीं कर पाए है।

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जुटाए जा रहे हैं साक्ष्य

एसीपी अब्दुल कादिर ने बताया कि अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ अभी साक्ष्य जुटाने की प्रक्रिया चल रही है। पुलिसकर्मी सादे कपड़े में थे, ऐसे में पहचान करने में समय लग रहा है। कई सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला गया है। जल्द ही जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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सहयोग न करने का आरोप

आरोप है कि मामले में गाजियाबाद पुलिस का रवैया सकारात्मक नहीं है। वहां की पुलिस जांच में मदद नहीं कर रही है। बुधवार को फेज तीन कोतवाली पुलिस से जांच अधिकारी इंदिरापुरम कोतवाली गए। वहां से उनको वापस भेज दिया गया।

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दूरगामी परिणाम ठीक नहीं

पुलिसिग के जानकारों का मानना है कि दो शहरों या जिलों की पुलिस के बीच की तकरार के दूरगामी परिणाम अच्छे नहीं होते हैं। इससे अपराधियों पर अंकुश लगाना मुश्किल हो जाएगा। आपसी तालमेल, सहयोग और विश्वास की कसौटी पर ही अपराध पर विराम लग सकता है। कई बार सरकारी आंकड़ों और वास्तविकता में अंतर होता है, लेकिन अपराध नियंत्रण के लिए तालमेल होना जरूरी है।

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