नाग-नागिन की समाधि की पूजा के बिना पूरी नहीं होती महादेव की आराधना

जसोई के नागेश्वर महादेव मंदिर में शिव की मूर्ति के साथ शिवलिग व इच्छाधारी नाग-नागिन की समाधि बनी है। प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में शिवरात्रि पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु यहां आकर प्रार्थना करता है भगवान शिव उनकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 06:26 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 06:26 PM (IST)
नाग-नागिन की समाधि की पूजा के बिना पूरी नहीं होती महादेव की आराधना
नाग-नागिन की समाधि की पूजा के बिना पूरी नहीं होती महादेव की आराधना

नागेश्वर महादेव शिव मंदिर-जसोई

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। जसोई के नागेश्वर महादेव मंदिर में शिव की मूर्ति के साथ शिवलिग व इच्छाधारी नाग-नागिन की समाधि बनी है। प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में शिवरात्रि पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु यहां आकर प्रार्थना करता है भगवान शिव उनकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं। इतिहास

जसोई गांव में 21 वर्ष पूर्व आलू के खेत मे नाग-नागिन का जोड़ा दिखाई दिया था, जो एक सप्ताह तक एक ही स्थान पर मौजूद रहा। गांव में चर्चा फैलने पर उन्हें देखने के लिए ग्रामीण जुट गए। बताया गया कि उन्होंने लड़की का रूप धारण कर वहां शिव मंदिर बनाने की इच्छा व्यक्त की और पुन: सांप का रूप धारण कर बिल में घुस गए। लोगों ने उस जगह से मिट्टी हटाकर देखा तो नाग-नागिन मृत मिले। क्षेत्र के गांवों से पैसा इकट्ठा कर उस स्थान पर शिव मंदिर की स्थापना की गई। मंदिर परिसर में नाग-नागिन की समाधि भी बनाई गई। विशेषता

श्रावण माह में मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है। शिवरात्रि पर हजारों शिवभक्त यहां जलाभिषेक करते हैं। शिवभक्तों की सेवा में ग्रामीण लगे रहते हैं। कांवड़ के दौरान शिवभक्तों की सेवा में मंदिर में भंडारा चलता है। सोमवार को मंदिर में भोलेनाथ के जलाभिषेक को श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। मंदिर में भगवान शिव की पूजा के बाद अगर नाग-नागिन की प्रतिमा की पूजा नहीं की जाती तो पूजा संपूर्ण नहीं मानी जाती। मंदिर में भोलेनाथ के अलावा गणेशजी, हनुमानजी व शाकुंभरी देवी की मूर्ति स्थापित है। इनका कहना है..

भगवान शिव अपने भक्तों के कष्टों का निवारण करते हैं। श्रावण माह में मंदिर में भंडारे का आयोजन किया जाता है। जो भी श्रद्धालु श्रद्धा व आस्था के साथ मंदिर में आकर महादेव की पूजा-अर्चना कर अभिषेक करते हैं, उनके घर में सुख-समृद्धि व शांति का वास रहता है।

- मोहनदास, पुजारी महादेव मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है। शिवरात्रि पर प्रति वर्ष आसपास के दर्जनों गांवों के शिवभक्त मंदिर पर आकर जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि यहां श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है।

- राकेश सैनी, श्रद्धालु

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